सम्पत्ति ASSETS (परिसंपत्ति) किसे कहते हैं। सम्पत्ति के कौन से प्रकार है। चालू संपत्ति क्या है। All About assets

सम्पत्ति क्या है।

जैसा कि हम सभी जानते हैं किसी व्यवसाय में सम्पत्ति से आशय व्यवसाय के संचालन मे शामिल होती वाली वस्तुओं से होता है। यदि हम साधारण भाषा में कहें तो व्यवसाय को चलाने के लिए जिन वस्तुओं की आवश्यकता होती है। वह वस्तुए व्यवसाय की सम्पत्ति कहलाती है। 

जैसे :- कारख़ाना, फर्निचर, प्रिंटर, मशीनरी, नगद रोकड़, बैंक मे रोकड़ आदि।

एक अन्य भाषा में कहे तो ऐसी कोई भी वस्तु जो व्यवसाय को वर्तमान में या भविष्य में लाभ प्राप्त करने मे सहायक होती है। वह सम्पत्ति कहलाती है।

किसी संपत्ति का व्यवसाय के स्वामित्व वाला जो कुछ कोई संसाधन। कुछ भी जो मूर्त या अमूर्त होता है, जिसका मूल्य उत्पादन करने के लिए स्वामित्व पर या नियंत्रण किया जा सकता है और जो किसी कंपनी द्वारा सकारात्मक आर्थिक मूल्य का उत्पादन करने के लिए धारण किया जाता है, वह एक परिसंपत्ति है

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सम्पत्ति के प्रकार।

1. चालू सम्पत्ति (Current Assets)

(अ) तरल सम्पत्ति (Liquid Assets)

2. गैर-चालू सम्पत्ति (Non-current Assets)

(अ) स्थायी सम्पत्ति (Fixed Assets)

(i) मूर्त सम्पत्ति (Tangible Assets)

(ii) अमूर्त सम्पत्ति (Intangible Assets) 

1. चालू सम्पत्ति (Current Assets)

चालू सम्पत्ति से आशय ऐसी सम्पत्ति से है। जिसे कुछ समय के पश्चात् आसानी से रोकड़ में परिवर्तित किया जा सकता है। सामान्यः इन्हे एक वर्ष के अंतर्गत रोकड़ या मॉल (Goods) में परिवर्तित कर दिया जाता है। 

चालू संपत्ति के अंतर्गत स्कन्ध (Stock), देनदार, हस्तस्थ रोकड़, बैंक में रोकड़ आदि को शामिल किया जाता है। 

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(अ) तरल सम्पत्ति (Liquid Assets) 

 तरल संपत्ति से आशय ऐसी सम्पत्तियो से होता है। जिसे तुरंत ही रोकड़ में परिवर्तित किया जा सकता है। 

तरल सम्पत्तियो में देनदार, प्राप्य बिल, हाथ में रोकड़, बैंक में रोकड़ आदि को शामिल किया जाता है। 

तरल सम्पत्ति (Liquid Assets) ज्ञात करने का सूत्र 

यदि चालू सम्पत्ति में से स्कंध (Stock) और पूर्वदत्त व्ययों को घटा दिया जाये तो शेष सम्पत्ति तरल सम्पत्ति कहलाती है।

तरल सम्पत्ति = चालू सम्पत्ति – (स्टॉक + पूर्वदत्त व्यय)

Liquid Assets = Current Assets – (Stock – Prepaid Expenses)

 2. गैर-चालू सम्पत्ति (Non-current Assets)

गैर-चालू सम्पत्ति से आशय ऐसी सम्पत्ति से है। जिसे व्यवसाय में 12 माह से अधिक अवधि के लिए प्रयोग में लाया जाता है। ये सम्पत्तियाँ व्यवसाय मे पुनः बिक्री के उद्देश्य से नहीं खरीदी जाती है। गैर-चालू सम्पत्ति को दो भागों में विभाजित किया गया है। 

मूर्त सम्पत्ति (Tangible Assets) और अमूर्त सम्पत्ति (Intangible Assets)

(अ) स्थायी सम्पत्ति (Fixed Assets)

स्थायी सम्पत्तियों से आशय ऐसी सम्पत्तियों से होता है। जिन्हें व्यवसाय में लंबे समय तक लाभ अर्जित करने के लिए क्रय किया जाता है। ऐसी सम्पत्ति को तुरंत रोकड़ मे नहीं बदला जा सकता है। ये सम्पत्तियाँ अपने प्रयोग के स्वभाव अनुसार स्थायी सम्पत्तियाँ कहलाती है। जैसे :- कारखाना, मशीनरी, प्लांट, कार, फर्निचर, भवन आदि। 

(i) मूर्त सम्पत्ति (Tangible Assets)

मूर्त सम्पत्ति से आशय ऐसी सम्पत्ति से है। जिसे देखा व छुआ जा सकता है। 

उदाहरण :- मशीनरी, भवन, फर्निचर, भूमि, कार, आदि। 

(ii) अमूर्त सम्पत्ति (Intangible Assets) 

अमूर्त सम्पत्ति से आशय ऐसी सम्पति से है। जिसे देखाऔर छुआ नहीं जा सकता है। 

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जैसे- पेटेन्ट, ट्रेडमार्क, ख्याति आदि। 

सम्पत्तियों को उनके व्यवसाय मे प्रयोग के अनुसार स्थायी सम्पत्ति और चालू सम्पत्ति मे विभाजित किया जाता है। जैसे :-

1. यदि कोई व्यवसायी भूमि का प्रयोग अपने व्यवसाय में कारखाना लगाने के लिए करता है। तो य़ह स्थायी संपत्ति होगी। और यदि कोई व्यवसायी भूमि का क्रय – विक्रय का कार्य करता है। तो वह उसके लिए चालू सम्पत्ति होगी। 

2. इसी तरह यदि कोई व्यवसायी मशीनरी का प्रयोग व्यवसाय में माल उत्पादन के लिए करता है। तो वह स्थायी सम्पत्ति होगी। और यदि कोई व्यवसायी मशीनरी का क्रय – विक्रय करता है। तो वह उसके लिए चालू सम्पत्ति होगी। 

3. यदि कोई व्यवसायी कार का प्रयोग कार्यालय के उपयोग के लिए करता है। तो वह स्थायी सम्पत्ति होगी। यदि कोई व्यवसायी Car को खरीदने और बेचने का कार्य करता है। तो वह उसके लिए चालू सम्पत्ति होगी। 

4. यदि कोई व्यवसायी फर्नीचर का उपयोग अपने कार्यालय के उपयोग के लिए करता है। तो वह स्थायी सम्पत्ति होगा। और यदि व्यवसायी फर्नीचर का व्यापार करता है। तो वह उसके लिए चालू सम्पत्ति होगा। 

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