कंपनी एक्ट के अनुसार मीटिंग की परिभाषा और प्रकार

जैसा की आप सबको पता होगा मीटिंग का मतलब साथ साथ रहते हुए किसी विषय पर चर्चा करने से है। मीटिंग कि उत्पत्ति कैसे हुई आपको बताती हु। पहले के समय मे लोग सुबह और शाम को खाना एक साथ खाते थे और वही पर सभी लोग मिलकर बात करते हुए आवश्यक चर्चा करते और निर्णय लेते थे । वही से मीटिंग की सुरुवात हुई।  

जब 2 या अधिक से लोग किसी इंस्टीट्यूट के एक साथ मिलते है जो पहले से तय होता है और किसी निश्चित सबजेक्ट पर decision लेते है।

कोलिन ने मीटिंग को परिभाषित करते हुए कहा है कि – यह एक ऐसा स्थान है जहा 2 या 2 से अधिक लोग एक साथ मिलते हुए किसी बात को करते है और उसपर निर्णय लेते है।

कंपनी एक आर्टिफ़िश्यल पर्सन है और उसके decision लेने के लिए कंपनी के मेम्बर्स जब मिलते है तो वह कंपनी मीटिंग कहलाती है। यहा कंपनी के जनरल इन्टरेस्ट की बात की जाती है।

इसके 2 तत्व है ।

जीतने मेम्बर्स जरूरी है उतने वहा पर उपस्थित होने चाहिए ।

मेम्बर्स को एक निश्चित समय पर मिलना चहहिए।

दूसरे शब्दो मे कहे तो जब आप किसी से मिलते हैं चाहे वह खुद से हो या किसी के कहने से या किसी काम से तो यह मिलना ही मीटिंग कहलाता है।

आपको पता ही होगा कंपनी मुख्यता 2 प्रकार की मीटिंग करती है।

डायरेक्टर मीटिंग

जनरल मीटिंग

इसके अलावा शेयर होल्डेर्स और डिबैंचर होल्डेर्स की मीटिंग होती है।

डायरेक्टर मीटिंग के अंतर्गत बोर्ड मीटिंग और कमेटी मीटिंग होती है।

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जनरल मीटिंग मे एकूयटी मीटिंग और preference मीटिंग आती है।

स्टेट्यूटरी मीटिंग – यह पब्लिक कंपनी जो लिमिटेड बाई शेयर को ही यह मीटिंग करनी होगी। यह कंपनी के 6 माह incorporation के अंदर होना चाहिए। इसका मुख्य उद्देश्य मेम्बर्स को यह बताना होता है की कंपनी मे कितना पैसा आया कितनी preliminary expence हुआ और कौन कौन कंपनी का मेम्बर है। इसको करने से पहले मेम्बर्स को नोटिस भेजी जाती है । यह 21 दिन पहले भेजी जाती है। इसमे डायरेक्टर को स्टेट्यूटरी रिपोर्ट मेम्बर्स को देना होता है।

और अब हम जनरल मीटिंग के बारे मे पढ़ते है।

जनरल मीटिंग मे सभी लोग सम्मलित हो सकते है जिसमे सभी शेयर होल्डर आते है।और इसके अलावा डायरेक्टर आते है। 

Annual जनरल मीटिंग –

यह साल मे एक बार होती है। यह हर साल होती है । सेक्शन 96 मे यह बताया गया है। इसमे accounts ,डिविडेंट, डायरेक्टर और ऑडिट से संबन्धित मीटिंग होता है। इसमे ऑडिटर को हरसाल शेयर होल्डर से approved कराना पड़ता है। ऑडिटर को 5 साल तक का कार्य काल होता है परंतु हर साल उसको approval लेना होता है। इसको ओरडीनरी बिज़नेस भी कहा जा सकता है।

इसमे इसके अलावा रजिस्टर ऑफिस को शिफ्ट करना,डायरेक्टर को निकालना, कंपनी का नाम परिवर्तित करना, आदि स्पेशल बिज़नस भी इस मीटिंग मे डिस्कस कर सकते है। ओरडीनरी बिज़नेस केवल annual जनरल मीटिंग मे ही डिस्कस हो सकते हैं। 

Extraordinary जनरल मीटिंग- ऐसे मीटिंग जो annual जनरल मीटिंग नही होती वह extraordinary जनरल मीटिंग होती है। ,या ऐसे मीटिंग जो 2 annual जनरल मीटिंग के बीच मे होती है वह भी extraordinary जनरल मीटिंग होगी। ईजीएम बुलाना जरूरी नही होता है। इसमे केवल स्पेशल बिज़नेस ही आता है।स्पेशल बिज़नेस के लिए एक्सप्लनेशन की जरूरत होती है अतः स्पेशल बिज़नेस के लिए explanatory स्टेटमेंट की आवश्यकता होती है। और यह नोटिस के साथ जाएगी।  

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क्लास मीटिंग – क्लास मीटिंग मे डायरेक्टर और इन्वैस्टर आते है।

आपको अब जनरल मीटिंग के सभी सेक्शन को संझेप मे बताते है जिससे आपको याद रखने से सहायता मिलती है।

सेक्शन 96 यह annual जनरल मीटिंग को बताता है।

सेक्शन 97 यह बताता हैं की एनसीएलटी कब annual जनरल मीटिंग बुला सकता है।

सेक्शन 98 यह बताता हैं की एनसीएलटी कब एक्स्ट्राओर्डिनरी जनरल मीटिंग बुला सकता है।

सेक्शन 99 यह बताता है कि जब सेक्शन 96,97,98 को कोई कंपनी लागू नही करती है तो यह पेनालिटी को बताती है।

सेक्शन 100  यह extraordinary जनरल मीटिंग को बताता है।

सेक्शन 101 यह बताता हैं कि जनरल मीटिंग की नोटिस मेम्बर्स को कैसे भेजी जाएगी।

सेक्शन 102 इसमे explanatory स्टेटमेंट नोटिस के साथ भेजी जाती है।

सेक्शन 103 इसमे quaram को डिसाइड किया जाता है।

सेक्शन 104 इसमे मीटिंग का chair पर्सन के बारे मे बताया गया हैं। जायदातार कंपनी का chair पर्सन और मीटिंग का chair पर्सन एक ही होता है परंतु यदि ऐसा नही होता है तो मीटिंग के 15 मिनट के अंडर किसी एक को chair पर्सन बना दिया जाता है जिसकी देख रेख मे मीटिंग होती है।

सेक्शन105  यह प्रोक्सी को बताता है । जब कोई मेम्बर खुद नही आ सकता है तो वह अपने स्थान पर प्रोक्सी को भेजता है।

सेक्शन 106 इसमे वोटिंग राइट को रेस्ट्रिक्ट करने को बताया गया है।

सेक्शन 107 इसमे हाथ उठा के वोटिंग करने को बताया गया है।

सेक्शन 108 यह एलेक्ट्रोनिक वोटिंग को बताता है।

सेक्शन 109 यह पोल के द्वारा वोटिंग को बताता है ।

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सेक्शन 110 यह पोस्टल valid को बताता है। यह ओर्डिनरी बिज़नेस मे नही होती।

सेक्शन 111 इसमे circulation  ऑफ मेम्बर्स को बताया गया है।

सेक्शन 112 इसमे president और गवर्नर को represent किया गया है।

सेक्शन 113 यह बॉडी कॉर्पोरेट को दर्शाती है। उसका रिप्रेजेंटेटिव कौन होगा।

सेक्शन 114 यह ordinary  और स्पेशल resolution को बताता है। ordinary रेसोल्यूशन के लिए मीटिंग मे आधे से जादा लोगों का वोट होगा और स्पेशल रेसोल्यूशन के लिए 75% होना चाहिए।

सेक्शन 115 रेसोल्यूशन पास करने के लिए स्पेशल नोटिस देने की आवश्यकता होती है।

सेक्शन 116 इसमे यह बताता है की रेसोल्यूशन को adjourned मीटिंग मे पास किया गया ।

सेक्शन 117 इसमे resolution और आरओसी के एग्रीमेंट के बारे मे बताया गया है जो आरओसी के पास बताना होगा।

सेक्शन 118 यह मिनट ऑफ बुक्स के बारे मे बताता है ।

सेक्शन 119 inspection ऑफ मिनट के बारे मे बताता है।

सेक्शन 120 इसमे रेकॉर्ड्स को electronic फॉर्म मे रखना होगा ।

सेक्शन 121 annual जनरल मीटिंग की रेपोर्ट्स को आरओसी मे फ़ाइल करना होता है।

सेक्शन 122 यह वन पर्सन कंपनी पर अप्लाई होगा । इसमे बोर्ड मीटिंग होगा जनरल मीटिंग नही होगा।

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