क्या भारतीय न्याय संहिता में ‘आत्महत्या की कोशिश’ करने पर सजा अब है या नही जाने विवरण ?

धारा 309 की काफी लंबे समय से लगातार आलोचना हो रही है। यह सबसे पुराने प्रावधानों में से एक है। साल 2018 में संसद में एक कानून पारित कर इसे निरर्थक बना दिया गया था, लेकिन यह अब भी IPC का हिस्सा बना हुआ है। इसका दुरुपयोग भी हो रहा है।

आईपीसी की धारा 309 क्या है?

IPC, 1860 की धारा 309 के अनुसार अगर कोई व्यक्ति आत्महत्या की कोशिश करता है तो यह अपराध है। और इसके लिए उसे दंडित किए जाने का प्रावधान है। इसमें एक साल तक की जेल और जुर्माने का प्रावधान है।

19वीं सदी में जब अंग्रेजों ने ये कानून लाया गया था।और ये कानून उस समय की सोच को दर्शाता है जब खुद को मारना या मारने की कोशिश करना राज्य के साथ-साथ धर्म के खिलाफ भी अपराध माना जाता था।

जबकि 1971 में विधि आयोग ने अपनी 42वीं रिपोर्ट में आईपीसी की धारा 309 को खत्म करने की सिफारिश की थी।

इसके बाद, उस समय के प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई की जनता पार्टी सरकार आईपीसी (संशोधन) विधेयक, 1978 लेकर आई। विधेयक को राज्यसभा में पेश किया गया तथा पारित किया गया, लेकिन लोकसभा में मंजूरी मिलने से पहले संसद भंग कर दी गई, और विधेयक पारित नहीं हो पाया।

जियान कौर बनाम पंजाब राज्य (1996) मामले में सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की बेंच ने आईपीसी की धारा 309 की संवैधानिक वैधता को बरकरार रखा। जबकि 2008 में विधि आयोग ने अपनी 210वीं रिपोर्ट में कहा कि आत्महत्या की कोशिश करने वालों को चिकित्सा और मानसिक देखभाल की आवश्यकता है, न कि उनको सज़ा देने की।

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मार्च 2011 में सुप्रीम कोर्ट ने भी संसद से सिफारिश की थी कि वो धारा 309 को खत्म करने पर विचार करे।

इसके कुछ साल बाद, यानी 2017 में मानसिक स्वास्थ्य देखभाल विधेयक (MHCA) पारित हुआ और 2018 में लागू हुआ। इसमें स्पष्ट कर दिया गया कि धारा 309 (आत्महत्या की कोशिश करने पर सजा) का इस्तेमाल केवल अपवाद के रूप में किया जाएगा। साथ ही राज्य आत्महत्या की कोशिश करने वालों के उपचार पर ध्यान दे।

उसके बाद से भी 20 मई, 2020 को गुड़गांव की भोंडसी जेल में एक कैदी ने कथित तौर पर कैंची से खुद को मारने की कोशिश की थी।

जो की आईपीसी की धारा 309 के तहत मामला दर्ज किया गया। फिर, 8 जून, 2020 को एक भागे हुए जोड़े ने कथित तौर पर बेंगलुरु के अशोक नगर पुलिस स्टेशन में हेयर डाई पीकर आत्महत्या का प्रयास किया। उन पर आईपीसी की धारा 309 के तहत मामला दर्ज किया गया था।

सवाल यह है की क्या नया कानून ‘आत्महत्या की कोशिश’ को पूरी तरह से अपराध मुक्त करता है?

जवाब यह है की नहीं। भारतीय न्याय संहिता (BNS) आत्महत्या की कोशिश करने के अपराध को पूरी तरह से अपराध से मुक्त नहीं करता है।

BNS की धारा 224 के अनुसार जो कोई भी किसी लोक सेवक को उसके आधिकारिक कर्तव्य का निर्वहन करने के लिए मजबूर करने या रोकने के इरादे से आत्महत्या करने की कोशिश करेगा, उसे एक साल तक की जेल हो सकती है। उदाहरण

जैसे एक प्रदर्शनकारी जो पुलिस को अन्य प्रदर्शनकारियों को गिरफ्तार करने से रोकने के लिए आत्मदाह का प्रयास करता है।

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