दण्ड प्रक्रिया संहिता धारा 76 से 81 तक का विस्तृत अध्ययन

जैसा कि आप सभी को ज्ञात होगा इससे पहले की पोस्ट मे दंड प्रक्रिया संहिता धारा 71 से 75 का विस्तृत अध्ययन करा चुके है यदि आपने यह धाराएं नहीं पढ़ी है तो पहले आप उनको पढ़ लीजिये जिससे आपको आगे की धराये समझने मे आसानी होगी।

धारा 76


यह गिरफ्तार किए गए व्यक्ति को न्यायालय के समक्ष पेश किया जाना धारा 76 वारंट के अधीन गिरफ्तार किए गए व्यक्ति पर लागू होता है। दंड प्रक्रिया संहिता के अनुसार पुलिस अधिकारी या अन्य व्यक्ति जो गिरफ्तारी के वारंट का निष्पादन करता है उस व्यक्ति के सामने बिना विलंब के लाया जाएगा जिसके लिए वह आधिकारिक रूप से वह नियुक्त किया गया यह दंड संहिता धारा 71 के अधीन रहते हुए किया जाएगा ।

परंतु यह 24 घंटे से अधिक नही होना चाहिए यात्रा का समय छोड़ दिया जाता है। 24 घंटे से अधिक अवधि के बाद पुलिस अधिकारी उसको निरोध कर नही रख सकता है। लकीन न्याय्यलय इसको आदेश करेगा की उस व्यक्ति को कितना और कैद मे रख सकते है आर न्यायालय धारा 309 के अधीन ञ आदेश जारी करेगा और यह करगार के अधीक्षक या उस व्यक्ति के नामसे होगा जो उस व्यक्ति को निरोध करेगा।

धारा 77


दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 77 के अनुसार यह धारा बताता है की वारंट कहा निष्पादन किया जा सकता है तो विधि मे लिखा गया है की वारंट का निष्पादन भारत मे किसी भी स्थान पर किया जा सकता है। परंतु यह आधिकारिक शक्ति पर कोई परिसीमा निर्धारित नही कर सकता है बल्कि यह धारा का विस्तार है जिससे व्यक्ति को काही भी गिरफ्तार किया जा सकता है।

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धारा 78
दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 78 के अनुसार यह अधिकारिता के बाहर निष्पादन के लिए भेजी गयी वारंट के बारे मे बताया गया है। जब वारंट का निष्पादन न्याय्यलय के क्षेत्राधिकार के बाहर किया जाना हो तो वह अपने अधिकार क्षेत्र मे रहने वाले पुलिस अधिकारी के बजाय वह बाहर के किसी पुलिस अधिकारिता के पास भेज सकता है जिसके अधिकारिता मे उसको पकड़ना है। यह डाक द्वारा भी भेज सकता है। वह व्यक्ति उसका निष्पादन करेगा ।

वारंट का निष्पादन करने वाला व्यक्ति वारंट को भेजने वाले व्यक्ति को उस गिरफ्तार किए गए व्यक्ति से संबन्धित सभी साक्ष्य देगा तथा यह भी बतयेगा की उसको जमानत मिल सकती है या नही। वह वारंट के साथ उए द्वारा किया जाने वाला  अपराध  का विवरण ,अपराध का साक्ष्य और उनकी जमानत किया ज सकता है य नही उसका विवरण दिया होना चाहिए।इसका निष्पादन दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 74 के अनुसार होगा।

धारा 79

अधिकारिता के बाहर निष्पादन के लिए पुलिस अधिकारी को वारंट का निर्दिस्ट करना
जब पुलिस अधिकारी वारंट का निष्पादन उसे जारी करने वाले न्यायालय की स्थानीय अधिकारिता के बाहर करना है। तब वह पुलिस अधिकारी कार्यपालक मजिस्ट्रेट के पास या पुलिस थाने के भारसाधक अधिकारी से पुलिस अधिकारी के पास जिसकी अधिकारिता की स्थानीय सीमाओं के अंदर उस वारंट का निष्पादन किया जाना है। उसके पास ले जाएंगे।


कोई ऐसा मजिस्ट्रेट या पुलिस अधिकारी उस पर अपना नाम लिखें । जिसको वह वारंट निर्दिष्ट किया गया है, उसका निष्पादन करने के लिए पर्याप्त प्राधिकार होगा और स्थानीय पुलिस यदि ऐसी अपेक्षा की जाती है तो ऐसे अधिकारी की ऐसे वारंट का निष्पादन करने में सहायता करेगा।

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जब ऐसा कहा जाए की उस मजिस्ट्रेट या पुलिस अधिकारी का जिसकी स्थानीय अधिकारिता के अंदर वह वारंट निष्पादित किया जाना है। उसके हस्ताक्षर प्राप्त करने में होने वाले विलंब से ऐसा निष्पादन न हो पाएगा ऐसे स्थित मे  तब वह पुलिस अधिकारी जिसे वह निदिष्ट किया गया है उसका निष्पादन उस न्यायालय की जिसने उसे जारी किया है। तथा वह ऐसे  स्थानीय अधिकारिता के अलावा  किसी स्थान में ऐसे पृष्ठांकन के बिना कर सकता है।


धारा 80


इसके अनुसार जिस व्यक्ति को गिरफ्तार किया जाना होता है उसको गिरफ्तार करने की प्रक्रिया को बताया गया है। जब गिरफ्तारी के वारंट का निष्पादन उस जिले से बाहर किया जाता है। जिस जिले मे वह जारी किया गया था । तब वह  गिरफ्तार किए गए व्यक्ति को उस अनुसार जिसमें वह न्यायालय जिससे वह वारंट जारी किया गिरफ्तारी के स्थान से तीस किलोमीटर के अंदर होता है ।  

या फिर उस कार्यपालक मजिस्ट्रेट या जिला पुलिस अधीक्षक या पुलिस आयुक्त से जिसकी अधिकारिता की स्थानीय सीमाओं के अंदर गिरफ्तारी की गई थी। जो भी  अधिक निकट है वह ले जाया जाता है। या धारा 71 के अधीन जमानत ले ली गई है। तब ऐसे समय मे ऐसे मजिस्ट्रेट या जिला अधीक्षक या आयुक्त के समक्ष ले  जाया जाता है।


धारा 81


इस धारा के अनुसार गिरफ्तारी के बाद मजिस्ट्रेट के पास पेश करना इसमे शामिल है। वारंट के अंतर्गत जब किसी व्यक्ति को गिरफ्तार किया जाता है फिर उसको मजिस्ट्रेट के पास ले कर आते है। और फिर मजिस्ट्रेट के द्वारा क्या किया जाता है यह बताया गया है। यदि गिरफ्तार किया गया व्यक्ति वही व्यक्ति है जो वारंट के अनुसार बताया गया है तो कार्यपालक मजिस्ट्रेट उसे अभिरक्षा मे भेजने का निर्देश देगा । वह का स्थानीय पुलिस पुलिस आयुक्त या मजिस्ट्रेट के पास लाया जाता है और न्यायालय के पास लाया जाता है।

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परंतु यदि अपराध जमानती है तो ऐसे समय मे पुलिस अधीक्षक या मजिस्ट्रेट जिला अधीक्षक जिसके समझ उसको लाया गया है और वह जमानत देने के लिए तैयार है और धारा 71 के अधीन उस वारंट पर यह लिखा गया है और वह व्यक्ति प्रतिभूति देने के लिए तैयार है तो ऐसे समय मे पुलिस अधीक्षक या मजिस्ट्रेट जिला अधीक्षक उसको जमानत दे देगा  और बंध पत्र भेज देगा।

और यदि वह अपराध अजमानतीय अपराध है तो ऐसे समय मे निम्न प्रक्रिया आफ्नै जाएगी इसमें धारा 434 के अधीन रहते हुए वह जिला मजिस्ट्रेट या मुख्य मजिस्ट्रेट के पास उसको भेज दिया जाएगा। वह धारा 78 (2) के अधीन रहते हुए उसको लाया जाएगा । और दस्तावेजो के देखते हुए न्यायालय उसको छोड़ देगा। इस धारा की कोई  बात पुलिस अधीक्षक  को धारा 71 के अधीन जमानत लेने से नही रोक सकती है।

यदि आपको इन धारा को समझने मे कोई परेशानी आ रही है। या फिर यदि आप इससे संबन्धित कोई सुझाव या जानकारी देना चाहते है।या आप इसमे कुछ जोड़ना चाहते है।या फिर आपको इन धारा मे कोई त्रुटि दिख रही है तो उसके सुधार हेतु भी आप अपने सुझाव भी भेज सकते है।

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