डाइरेक्टर (निदेशक) का अर्थ होता है – “दिशा देने वाला” अर्थात डाइरेक्टर “एक ऐसा व्यक्ति जो किसी कंपनी या संस्थान को चलाता है। ”
कंपनी अधिनियम, 2013 के अनुसार –
डायरेक्टर “निदेशक” शब्द को किसी ऐसे व्यक्ति के रूप में परिभाषित किया गया है जो कंपनी बोर्ड में नियुक्ति का अधिकार है ।डाइरेक्टर निदेशक मंडल का अर्थ उन व्यक्तियों का समूह से होता है जो किसी कंपनी के शेयरधारकों द्वारा कंपनी के मामलों का प्रबंधन करने के लिए चुने जाते हैं। क्योकि एक कंपनी एक कृत्रिम कानूनी व्यक्ति है। जो कि कानून के द्वारा बनाई गई है।
और इसे केवल प्राकृतिक व्यक्तियों की एजेंसी के माध्यम से कार्य करना चाहिए। यह केवल मनुष्यों के माध्यम से कार्य कर सकता है। और यह डायरेक्टर (निदेशक )हैं जिनकी सहायता से कंपनी मुख्य रूप से कार्य करती है। इसलिए, एक कंपनी का प्रबंधन व्यक्तियों के एक निकाय को सौंपा जाता है। जिन्हें “निदेशक मंडल” (Board of directors)कहा जाता है।
इस प्रकार विभिन्न प्रकार की कंपनियों के लिए आवश्यक निदेशकों की न्यूनतम संख्या इस प्रकार से है।
प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के लिए – न्यूनतम दो डायरेक्टर (निदेशक)
एक लिमिटेड कंपनी के लिए – न्यूनतम तीन डायरेक्टर (निदेशक)
के लिए एक व्यक्ति कंपनी न्यूनतम डायरेक्टर (निदेशक)
आज के समय मे प्राइवेट लिमिटेड कंपनी जिसकी रु। की शेयर पूंजी रु। १०० करोड़ रुपये या उससे अधिक है। या फिर ३०० करोड़ रुपये या उससे अधिक का टर्नओवर नियुक्त करने के लिए आवश्यक है कम से कम एक महिला निर्देशक (वूमेन डायरेक्टर ) नियुक्त कि जाती है। लेकिन निजी लिमिटेड कंपनी पंजीकरण के लिए किसी महिला निदेशक की आवश्यकता नहीं है ।
केवल एक व्यक्ति (जीवित व्यक्ति) को कंपनी के निदेशक के रूप में नियुक्त किया जा सकता है। एक निकाय कॉर्पोरेट या व्यवसाय इकाई को कंपनी के निदेशक के रूप में नियुक्त नहीं किया जा सकता है।, एक कंपनी में अधिकतम पंद्रह निदेशक हो सकते हैं और एक विशेष प्रस्ताव पारित करके इसे और बढ़ाया जा सकता है।
एक डायरेक्टर (निदेशक) कितनी कंपनियों में डायरेक्टर (निदेशक) हो सकता है।
एक डायरेक्टर (निदेशक)अधिकतम 20 कंपनियों में हो सकता है।
एक डायरेक्टर (निदेशक)अधिकतम 10 पब्लिक कंपनियों में डायरेक्टर (निदेशक) हो सकता है|
वह कंपनी जिसमें एक महिला कंपनी में एक महिला डायरेक्टर होने अनिवार्य है?
वह कंपनी जो लिमिटेड हो तथा जिस पब्लिक कंपनी की लास्ट ऑडिटेड फाइनेंशियल स्टेटमेंट में प्रदत्त पूंजी (Paid up capital) 100 करोड़ हो या कारोबार (Turnover) 300 करोड़ हो| होने अनिवार्य है।
एक व्यक्ति के लिए निजी लिमिटेड कंपनी पंजीकरण के समय निदेशक (डायरेक्टर ) बनने के लिए उसके पास एक निदेशक पहचान संख्या (डीआईएन नंबर) होना आवश्यक है। डीआईएन नंबर किसी भी ऐसे व्यक्ति से प्राप्त किया जा सकता है जो 18 वर्ष से अधिक आयु के डीआईएन सेल में आवेदन कर सकता है।बिना डीआईएन के कोई व्यक्ति डायरेक्टर नही बन सकता है।
डीआईएन एक आठ अंकों की निदेशक डायरेक्टर पहचान संख्या है। यह नंबर किसी भी व्यक्ति को केंद्र सरकार के द्वारा आवंटित किया जाता है जो निदेशक( डायरेक्टर ) बनने जा रहा है या किसी कंपनी का मौजूदा( डायरेक्टर ) निदेशक है और DIN नंबर की आजीवन वैधता है।
डायरेक्टर आइडेंटिफिकेशन नंबर (DIN) की मदद से डायरेक्टर की डिटेल्स को डेटाबेस में रखा जाता है।यदि वह 2 या अधिक कंपनियों में निदेशक डायरेक्टर है। तो भी उसे केवल 1 DIN Number करना होगा। और यदि वह एक कंपनी छोड़ देता है और किसी अन्य से जुड़ता है। तो भी वही डीआईएन दूसरी कंपनी में भी काम करेगा।
डाइरेक्टर (निदेशक) के क्या कर्तव्य होते हैं।
1- सहायक कर्तव्य
किसी भी कंपनी में डायरेक्टर का यह कर्तव्य है कि वह एक कंपनी के एक निदेशक के उपबंधों के अधीन रहते हुए कंपनी के लेख के अनुसार कार्य करेगा। था वह दुर्भावनापूर्ण (Malicious) तरीके से कार्य न करें|
कोई भी इस प्रकार का कार्य डायरेक्टर (निदेशक) के द्वारा नहीं होना चाहिए जिसमें डायरेक्टर का कुछ पर्सनल बेनिफिट हो|
डायरेक्टर किसी भी प्रकार का सीक्रेट प्रॉफिट नहीं कमा सकते|
2- देखभाल और कौशल का कर्तव्य
डायरेक्टर निर्देशक एक पूरे के रूप में अपने सदस्यों के लाभ के लिए कंपनी की वस्तुओं को बढ़ावा देने के क्रम में और कंपनी ने अपने कर्मचारियों, शेयरधारकों, समुदाय के सर्वोत्तम हित हेतु तथा कंपनी की देखभाल करनी चाहिए|
3- बोर्ड की बैठकों में भाग लेने का कर्तव्य
डायरेक्टर को कंपनी के मामलों पर उचित ध्यान देना चाहिए|
सभी बोर्ड बैठकों में भाग लेने के लिए बाध्य नहीं होता| फिर भी वह निरंतर गैर उपस्थिति अपने साथी निदेशकों को इस प्रकार के कार्य करने के लिए प्रेरित कर सकती है|
4- प्रतिनिधि नहीं करने का कर्तव्य
जो कार्य डायरेक्टर को करने के लिए तय किए गए हैं । डायरेक्टर के द्वारा उनके कार्यो को करना चाहिए। वह कौशल और परिश्रम के साथ अपने कर्तव्यों का प्रयोग करेगा और स्वतंत्र निर्णय का प्रयोग करेगा
बिना फिजूल के कार्यों का प्रतिनिधित्व करने से बचना चाहिए|
5- संवैधानिक कर्तव्यों का खुलासा करने का कर्तव्य
सेक्शन 184 के तहत डायरेक्टर को अपने किसी भी तथ्य को छुपाना नहीं चाहिए| इसके लिए मैं आपको एक उदाहरण देता हूं|
मान लीजिए कंपनी किसी दूसरी कंपनी को ऑर्डर देना चाहती है| दूसरी कंपनी किसी डायरेक्टर के भाई की है| ऐसे में उसे इस बात को बोर्ड के अन्य सदस्यों को बताना पड़ेगा|
साथ ही साथ नियम के अनुसार उसे उस बोर्ड मीटिंग से अनुपस्थित रहना पड़ेगा क्योंकि उसके उपस्थित रहने पर बोर्ड द्वारा लिए गए फैसले में दबाव की स्थिति उत्पन्न हो सकती है| यदि वह खुद को या अपने रिश्तेदारों, सहयोगियों, या सहयोगियों के लिए और इस तरह के निर्देशक किसी भी अनुचित लाभ बनाने का दोषी पाया जाता है। तो वह यह करने के लिए उत्तरदायी होगा या तो लाभ के लिए प्रयास नहीं करेगा कंपनी के लिए कि लाभ के बराबर राशि का भुगतान करना पड़ सकता है।
6- वैधानिक कर्तव्य
डायरेक्टर के कुछ वैधानिक कर्तव्य भी होते है । जो इस प्रकार है।
सेक्शन 39 – जब तक कम से कम सदस्य ना बन जाए तब तक शेयर के अलॉटमेंट ना की जाए|
सेक्शन 92 – डायरेक्टर का यह कर्तव्य है कि वह वार्षिक विवरण तथा प्रमाण पत्र पर हस्ताक्षर करे|
सेक्शन 96 – वार्षिक जनरल मीटिंग को हर साल समय पर बुलाना है|
सेक्शन 100 – extraordinary general meeting (EGM) की मांग होने पर उन्हें समय से मीटिंग बुलाती है|
प्रॉफिट एंड लॉस की बैलेंस शीट बनानी है|
यदि कोई निदेशक डायरेक्टर इसका उल्लंघन करता है। तो यह प्रावधान है कि वह दंडनीय होगा। जो पांच लाख रुपए तक का हो सकता है।