कई बार ऐसा होता है की ना चाहते हुए भी कुछ ऐसी परिस्थितियां आ जाती हैं जिन के वजह से माता-पिता अपने किसी बच्चे को अपने संपत्ति से बेदखल कर देते हैं। यह तब होता है जब कोई बच्चा असामाजिक या गैरकानूनी गतिविधियों में पड गया हो अथवा वह अ्पने माता-पिता के कहने से बाहर हो गया होऔर उनकी बात नही सुनता है ।
बेदखली क्या होता है?
जब कोई व्यक्ति किसी को अपनी जिंदगी के साथ-साथ अपनी संपत्ति से भी दूर रखना चाहता है तो उस व्यक्ति को अपनी चल-अचल संपत्ति से बाहर करने के लिए या कह सकते है । अन्य सभी प्रकार के संबंधों को खत्म करने के लिए जो कानूनी प्रक्रिया अपनाई जाती है उसे बेदखली कहते हैं।
कोई भी व्यक्ति किसी भी व्यक्ति को जो की उसका वारिस है उसे अपनी संपत्ति से बेदखल करने की प्रक्रिया कर सकता हैं।
कई बार तो यह भी देखा जाता है कि जब पति या पत्नी सरकारी नौकरी में होते हैं तो दहेज या तलाक का केस कोर्ट में चलने पर एक दुसरे को अपनी सर्विस बेनिफिट से बेदखल कर देते हैं।
पैतृक संपत्ति के संबंध मे बेदखली
- कोई भी पुत्र को अपने जन्म से ही, अपने पिता से स्वतंत्र, पैतृक संपत्ति में अधिकार प्राप्त होता है। नए कानून और सुप्रीम कोर्ट के फैसले को मद्देनजर एक बेटी को भी पैतृक संपत्ति में पुत्र के बराबर अधिकार प्राप्त होता हैं।ऐसे दशा मे यदि कोई भी माता-पिता अपने किसी भी बच्चे को पैतृक संपत्ति से बैदखल नहीं कर सकते। पैतृक संपत्ति के मामले में की गई बेदखली की कोई भी प्रक्रिया बिलकुल अमांन्य है।
- पैतृक संपत्ति के संबंध में कोई भी वसीयत नहीं बनाई जा सकती। अगर कोई माता-पिता अपने किसी बच्चे को वसीयत के माध्यम से पैतृक संपत्ति से बेदखल करना चाहते है तो वह बिलकुल अमान्य है।
स्वय अर्जित संपत्ति के संबंध में बेदखली
- अगर माता-पिता की अपनी स्वय अर्जित संपत्ति है तो उस संपत्ति में किसी भी बच्चे का कोई भी कानूनी अधिकार नही होता। ऐसी संपत्ति को माता-पिता जब चाहे अपने वसीयत या गिफ्त-डीड के माध्यम से किसी को भी दे सकते हैं।
- यदि माता-पिता ने अपनी कोई वसीयत या गिफ्ट डीड नहीं बनाई है तो एसी परिस्थिति मे उनका मृत्यु हो जाता है तो उनके मृत्यु के बाद उस संपत्ति में उनके बच्चें उत्तराधिकारी होते हैं बेशक उन्हे अपने माता-पिता के द्वारा बेदखल किया जा चुका हो। इसलिए इस बात को ठीक से समझ लें कि मात्र बेदखली से किसी का उत्तराधिकार खत्म नहीं हो जाता।
प्रक्रिया
- वैसे तो बेदखली को लेकर भारत में कोई भी विशिष्ट प्रकार का कानून उपलब्द नहीं हैं। किसी भी कानून में बेदखली की कोई भी प्रक्रिया नहीं दी गई हैं।
- आमतौर पर लोग अपने बच्चे या किसी निजी व्यक्ति को अपने वकील साहब के माध्यम से बेदखल करवाते हैं।
- ऐसे में वकील साहब के द्वारा अखबार में लिखित नोटिस निकलवाया जाता है कि उनका क्लाइंट अमुक किसी व्यक्ति को जो उसका कोई उत्तराधिकारी हो सकता है उसे अपनी चल और अचल संपत्ति से बेदखल कर रहा है।
- और उसे कोई सामाजिक रिश्ता नहीं रखना चाहता है। फिर अगर उस व्यक्ति का भविष में किसी दुसरे अंन्य व्यक्ति के साथ कोई लेन-देन या कोई अनुबंद होता है तो उसके लिए मेरा क्लाइंट जिम्मेदार नहीं होगा। परंतु यह अपने आप में बिल्कुल एक अधूरी प्रक्रिया है क्योंकि इसके लिए कोई खास कानूनी असर नहीं होता।
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