Major Steps in Control Process नियंत्रण प्रक्रिया के प्रमुख चरण

जैसा की हम सबको पता है नियंत्रण प्रक्रिया के तीन प्रमुख चरण होते हैं। जिसमे प्रथम, प्रमापों या लक्ष्यों का निर्धारण,तथा द्वितीय वास्तविक निष्पादन का मूल्यांकन तथा अंतिम निर्धारित प्रमापों से उसकी तुलना और तृतीय, सुधारात्मक कार्यवाही करना होता है ।

प्रमापों या लक्ष्यों का निर्धारण

वास्तविक निष्पादन का मूल्यांकन

निर्धारित प्रमापों से उसकी तुलना और तृतीय, सुधारात्मक कार्यवाही करना होता है ।

लक्ष्यों या प्रमापों का निर्धारण (Establishment of Goals of Standards)

इसमे लक्ष्य वांछित निष्पादन का प्रतिनिधित्व करते हैं। और इन्हीं लक्ष्यों के अनुसार ही इसके विरुद्ध वास्तविक निष्पादन या परिणामों की सफलता या असफलता का मूल्यांकन किया जाता है।तथा लक्ष्यों का निर्धारण निायेजन का अंग हैं, किन्तु इनका निर्धारण नियंत्रण के लिए नितान्त आवश्यक है।

 प्रबन्धक उन लक्ष्यों को निर्धारित करता है। और जिन्हें संस्था प्राप्त करने की आशा करती है।कुछ लक्ष्य पहले सम्पूर्णता में निर्धारित किए जाते हैं और फिर बाद मे उन्हें विभागीय लक्ष्यों में विभाजित कर दिया जाता है। फिर इन विभागीय लक्ष्यों को विशेष लक्ष्यों में जो गुण, मात्रा, लागत, विक्रय, कार्यक्रम आदि से सम्बन्धित हो सकते हैं।

यह लक्ष्य मूर्त (Tangible) और अमूर्त (Intangible), निश्चित (Specific) और अनिश्चित (Vague) तथा आदर्श (Indealistic) और यथार्थवादी (Realistic) कई प्रकार के हो सकते हैं। जिसमे मूर्त लक्ष्यों का भौतिक माप सम्भव होता है। उनको वजन, समय, दूरी, क्षेत्र, रंग एवं मुद्रा की इकाइयों में नापा-तौला जा सकता है।

जैसे की वजन के लक्ष्यों को टन, तथा किलोग्राम या तोला में नापा जा सकता है। समय प्रमापों को वर्ष माह, दिन, घंटा या मिनट की इकाइयों में प्रस्तुत किया जा सकता है। और क्षेत्र प्रमापों को (लम्बाई, चौड़ाई, ऊचाई) मीटर या फुट में नापा जा सकता है और मुद्रा के प्रमापों को रूपया, मार्क, डालर या रूबल में व्यक्त किया जा सकता है।  

See Also  ऑनलाइन FIR कैसे करे – Online Fir for Lost Goods

निष्पादन का मूल्यांकन (Measurement of Performance)

इस चरण में निष्पादित कार्य की माप-तौल निर्धारित लक्ष्यों के संदर्भ में होती है। और यह भी कहा जा सकता है की इस मूल्यांकन को उन व्यक्तियों को सम्प्रेषित कर दिया जाता है। जो की सुधारात्मक कार्यवाही के लिए उत्तरदायी होते हैं। और यह सामान्यतः निष्पादन का मूल्यांकन यह बताता है कि “हम कैसा कर रहे हैं?

लक्ष्य विभिन्न प्रकार के होते हैं अतः उनका मूल्यांकन भी लक्ष्यों के स्वभाव के अनुरूप भिन्न-भिन्न प्रकार से होता है। मूर्त लक्ष्यों, जैसे वजन, क्षेत्र, रंग, समय और मुद्रा, को उसी के अनुसार माप-तौल के पैमाने से नाप सकते हैं। भौतिकरूप में निर्धारित लक्ष्यों के निष्पादन के मूल्यांकन में कोई कठिनाई उत्पन्न नहीं होती है।

सुधारात्मक कार्यवाही (Corrective Action)

नियंत्रण प्रक्रिया में यह सुधारात्मक कार्यवाही का चरण होता है। इस संदर्भ में यह ध्यान देने योग्य बात है कि इसमे सुधारात्मक कार्यवाही भविष्य में होने वाले अन्तरों और त्रुटियों को रोकने के लिए होती है ।

क्योंकि यह प्रबन्धक का भूतकालीन घटनाओं, अन्तरों या त्रुटियों पर कोई वश नहीं होता। जैसे की यदि खर्च, बजट में निर्धारित धन से जादा हुआ है, या उत्पादन नियोजित प्रमाप के कम हुआ है, तो प्रबन्धक सुधारात्मक कार्यवाही भविष्य में इसकी पुनरावृत्ति को रोकने के लिए कर सकता है।

क्योंकि यह भूतकालीन घटनाओं पर उसका कोई नियंत्रण नहीं हैं। और चूँकि नियंत्रण अग्रावलोकी होता है अतः यह आवश्यक है कि अन्तरों को शीघ्र से शीघ्र अंकित किंया जाय तथा जिससे दोषपूर्ण नियोजन, सामग्री, मशीन, व्यक्ति या कार्यविधि कीवजह से उत्पन्न होने वाली हानि को रोकने के लिए यथासम्भव शीघ्र सुधारात्मक कार्यवाही की जा सके।

See Also  आईपीसी की धारा 506 आपराधिक धमकी के लिए सजा का प्रावधान IPC section 506

यदि आप इससे संबन्धित कोई सुझाव या जानकारी देना चाहते है।या आप इसमे कुछ जोड़ना चाहते है। या इससे संबन्धित कोई और सुझाव आप हमे देना चाहते है। तो कृपया हमें कमेंट बॉक्स मे जाकर अपने सुझाव दे सकते है।

हमारी Hindi law notes classes के नाम से video भी अपलोड हो चुकी है तो आप वहा से भी जानकारी ले सकते है। कृपया हमे कमेंट बॉक्स मे जाकर अपने सुझाव दे सकते है।और अगर आपको किसी अन्य पोस्ट के बारे मे जानकारी चाहिए तो आप उससे संबन्धित जानकारी भी ले सकते है।

Leave a Comment