भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 (बीएनएसएस) Bhartiya nagarik suraksha sanhita 2023

बिल की मुख्‍य विशेषताएं

  • भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023जिसको की (बीएनएसएस) भी कहा जाता है । दंड प्रक्रिया संहिता, 1973 (सीआरपीसी) का स्थान लेने का प्रयास करती है। सीआरपीसी गिरफ्तारी, अभियोजन (प्रॉसीक्यूशन) और जमानत की प्रक्रिया प्रदान करती है।
  • बीएनएसएस मे सात साल या उससे अधिक की सजा वाले अपराधों के लिए फोरेंसिक जांच को अनिवार्य किया है । इसके अनुसार फोरेंसिक विशेषज्ञ फोरेंसिक सबूत इकट्ठा करने और प्रक्रिया को रिकॉर्ड करने के लिए अपराध स्थलों का दौरा करेंगे।
  • सभी ट्रायल, पूछताछ और कार्यवाही इलेक्ट्रॉनिक मोड में संचालित की जा सकती है। इसमे इलेक्ट्रॉनिक संचार उपकरणों, जिनमें डिजिटल सबूत की संभावना है, उस को जांच, पूछताछ या ट्रायल के दौरान प्रस्तुत करने की अनुमति दी जाएगी।
  • अगर कोई घोषित अपराधी मुकदमे से बचने के लिए भाग रहा है और उसकी गिरफ्तारी की तत्काल कोई संभावना नहीं है, तो उसकी अनुपस्थिति में मुकदमा चलाया जा सकता है और फैसला सुनाया जा सकता है।
  • जांच या कार्यवाही के लिए नमूना हस्ताक्षर या लिखावट के साथ-साथ उंगलियों के निशान और आवाज के नमूने भी एकत्र किए जा सकते हैं। ऐसे व्यक्ति से भी नमूने इकट्ठे किए सकते हैं जिसे गिरफ्तार नहीं किया गया है।

प्रमुख मुद्दे और विश्‍लेषण

  • बीएनएसएस मे 15 दिनों तक की पुलिस हिरासत की अनुमति देता है। जिसे न्यायिक हिरासत की 60- या 90- दिनों की अवधि के शुरुआती तथा 40 से 60 दिनों के दौरान भागों में रखा जा सकता है। अगर पुलिस ने 15 दिन की हिरासत अवधि समाप्त नहीं की है तो इस प्रावधान से पूरी अवधि के लिए जमानत से इनकार किया जा सकता है।
  • इसके अंतर्गत अपराध की आय से अर्जित जो भी संपत्ति है उसको को कुर्क करने की शक्तियों में वैसे सुरक्षा उपाय नहीं हैं, जैसे मनी लॉन्ड्रिंग निवारण कानून में दिए गए हैं।
  • अगर कोई आरोपी किसी अपराध के लिए निर्धारित अधिकतम कारावास की अवधि हिरासत में काट चुका हो तो ऐसे दशा मे सीआरपीसी उसके लिए जमानत का प्रावधान करती है। बीएनएसएस कई आरोपों का सामना करने वाले किसी भी व्यक्ति के लिए इस सुविधा से इनकार करता है। चूंकि कई मामलों में कई सेक्शंस के तहत आरोप लगाए जाते हैं, इसलिए इस प्रावधान से जमानत की गुंजाइश कम हो सकती है।
  • आर्थिक अपराधों सहित कई मामलों में हथकड़ी के उपयोग की अनुमति है जोकि सर्वोच्च न्यायालय के फैसले के विरुद्ध माना जाता है। 
  • बीएनएसएस में सेवानिवृत्त या स्थानांतरित जांच अधिकारियों द्वारा एकत्र सबूतों को उनके परवर्ती (सक्सेसर) अधिकारी द्वारा प्रस्तुत करने की अनुमति है। जो की यह साक्ष्य के सामान्य नियमों का उल्लंघन करता है। और जिसमें दस्तावेज़ के लेखक से जिरह की जा सकती है।
  • सीआरपीसी में बदलावों पर उच्च स्तरीय समितियों की सिफारिशें जैसे सजा संबंधी दिशानिर्देशों में सुधार और अभियुक्तों के अधिकारों को संहिताबद्ध करना बीएनएसएस में शामिल नहीं किया गया है।
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See Also  धारा 143 कंपनी अधिनियम 2013 के अनुसार

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