जैसा कि आप सभी को ज्ञात होगा इससे पहले हमने सीए के विभिन्न टॉपिक का अध्ययन किया था अगर आप जिन टॉपिक का अध्ययन कर चुके है। तो यह आप के लिए लाभकारी होगा । यदि आपने यह टॉपिक नहीं पढ़ी है तो पहले आप उनको पढ़ लीजिये जिससे आपको आगे की टॉपिक समझने मे आसानी होगी।
समामेलन से पूर्व लाभ या हानि का आशय-
(Meaning of Profit or Loss Prior to Incorporation)-
कोई भी कम्पनी समामेलन का प्रमाण पत्र (Certificate of Incorporation) प्राप्त हो जाने के बाद वैधानिक रूप से अस्तित्व में आती है। जब कोई नई कंपनी स्थापित की जाती है तो वह अपने समामेलन से पूर्व की तिथि से किसी चालु व्यवसाय को क्रय करती है। और तिथि से कंपनी के समामेलन की तिथि तक क्रय किये गये व्यवसाय द्वारा अर्जित लाभ या हानि की राशि को समामेलन से पूर्व का लाभ अथवा हानि कहते हैं।
जब तक किसी विक्रेता से कोई स्पष्ट समझौता नहीं हो जाता है। तब तक यह लाभ या हानि विक्रेता कम्पनी का ही होगा। चूंकि कोई कम्पनी अपने अस्तित्व में आने से पूर्व कोई लाभ या हानि नहीं अर्जित कर सकती है। अतः इस प्रकार हम कह सकते है की समामेलन से पूर्व का लाभ या हानि व्यापारिक लाभ या हानि नहीं माना जाता है । यह वास्तव में इस प्रकार का लाभ अथवा हानि पूंजीगत प्रकृति का होता है । क्योंकि व्यवसाय के क्रय मूल्य के निर्धारण में इस लाभ या हानि का अवश्य ध्यान रखा गया होगा। इस प्रकार के लाभ-हानि की गणना के लिये कंपनी के समामेलन की तिथि पर ध्यान देना चाहिए न कि उसके व्यवसाय प्रारम्भ करने के प्रमाण पत्र प्राप्त करने की तिथि पर।
समामेलन से पूर्व के लाभ अथवा हानि का लेखाकरण-
(Accounting Treatment of Profit or Loss Prior to Incorporation)-
समामेलन से पूर्व लाभ और हानि को इस प्रकार बाँट सकते है।
हम सबसे पहले अवधि के आधार पर समय अनुपात कर सकते है |
अवधि के आधार पर ही विक्रय अनुपात (Sales Ratio) ज्ञात किए जाएंगे |
खर्चे बिक्री व समय पर आधारित होते हैं। इसलिए खर्चों को बिक्री में समय अनुपात में बांटना आवश्यक होता है |
(Statement of P&L) में लिखे जाने वाले ऐसे व्यय जो समय के आधार पर विभाजित होते हैं जैसे – वेतन, ब्याज, बीमा प्रीमियम, किराया, मूल्यह्रास, अंकेक्षण फीस, विद्युत व्यय, प्रशासनिक व्यय आदि |
व्यापार खाते (Trading Account) में लिखे जाने वाले आय एवं व्यय को बिक्री अनुपात में बांटा जाएगा | जैसे – Sales, Purchase, Carriage inward, Stock आदि |
P&L अकाउंट में लिखे जाने वाले व्यय का भी बँटवारा बिक्री अनुपात में किया जाएगा | जैसे -सेल्स कमीसन ,Agent का वेतन एवं यात्रा व्यय, विक्रय वापसी, डिस्काउंट, आदि |
ऐसे कुछ खर्चे लाभ हानि खाते में ऐसे लिए जाते हैं। जिनका संबंध न तो बिक्री से होता है और ना ही समय से होता है ऐसे व्यय के संबंध में निम्न नियम है |
व्यापार के स्वामी का वेतन, व्यापार स्वामियों की पूंजी पर ब्याज एवं उनके आहरण पर ब्याज ऐसे व्यय हैं जिनका कंपनी से कोई संबंध नहीं होता है अतः ऐसे समस्त व्ययों को समामेलन से पूर्व के व्यय में शामिल किया जाएगा |
यदि व्यापार विक्रेता को क्रय प्रतिफल पर कोई ब्याज का भुगतान किया गया है तथा यह पूर्ण लेखा अवधि से संबंधित नहीं है तो इसे वास्तविक अनुपात मे बांटा जाएगा |
समामेलन से पूर्व लाभ या हानि का निर्धारण-
(Ascertainment of Profit and Loss Prior to Incorporation)-
समामेलन से पूर्व लाभ या हानि का निर्धारण इस प्रकार किया जा सकता है।
(On time basis)समय के आधार पर-
कुछ स्थिर व्यय जैसे वेतन, किराया, दर और कर, बीमा, सामान्य व्यय, टेलीफोन, डाक और तार, बिजली व्यय, कार्यालय व्यय, हास, अंकेक्षण,छपाई फीस आदि को दोनों अवधियों में समय के आधार पर बाँटना चाहिये। चूंकि कम्पनी के लिए अंकेक्षण अनिवार्य होता है। जबकि व्यवसाय व साझेदारी में ऐसी कोई अनिवार्यता नही होती है।इसलिए अंकेक्षण फीस को पूर्णतया समामेलन के बाद का व्यय भी माना जा सकता है।
(On turnover basis)बिक्री के आधार पर-
कुछ ऐसे व्यय होते है। जैसे कमीशन, कटौती, दलाली, विक्रेताओं का वेतन, विज्ञापन, यात्रा व्यय, विक्रय पर भाडा, डूबत ऋण आदि जो की बिक्री के आधार पर होते है और इनको दोनों अवधियों की बिक्री के आधार पर बाँटना चाहिये।
(Pre-incorporation expenses) समामेलन से पूर्व के व्यय-
समामेलन से पूर्व की अवधि के व्यय जैसे विक्रेता का वेतन, पूँजी पर ब्याज, क्रय प्रतिफल पर समामेलन की तिथि तक का ब्याज आदि जो की पूर्व की अवधि में ही दिखाना चाहिए क्योंकि ये पूर्व के है।
(Post-incorporation expenses) समामेलन के बाद के व्यय-
समामेलन के बाद की अवधि के व्यय जैसे संचालकों की फीस, ऋणपत्रों पर ब्याज, प्रारम्भिक व्यय, स्थान व्यय आदि बाद की अवधि में ही दिखाना चाहिए क्योंकि यह बाद के व्यय है।
(Seasonal nature expenses)मौसमी प्रकृति के व्यय-
कुछ व्यवसाय के कुछ व्यय मौसमी प्रकृति के हैं। तो ऐसे व्यय को उस अवधि से दिखाया जाए जिसमें ये किये गये हैं।
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