धारा 143 कंपनी अधिनियम 2013 के अनुसार

परिचय 

वित्तीय (फाइनेंशियल) विवरण जो की कंपनी की व्यावसायिक गतिविधियों में एक आवश्यक तत्व माना जाता हैं। इसको कि वित्तीय विवरण कंपनी की वित्तीय गतिविधियों और प्रदर्शन का एक लिखित अभिलेख के रूप मे कह सकते है, जिसमें आय विवरण, शेष विवरण और नकदी प्रवाह के विवरण को शामिल किया जाता हैं। यह कंपनी को पिछले वित्तीय वर्ष के प्रदर्शन का विश्लेषण करने में सक्षम बनाता है। और यह कंपनी के विकास के लिए नई योजनाओं तथा निर्णयों के निर्माण में सहायता प्रदान करता है। किसी कंपनी की लेखांकन आवश्यकताओं के लिए यह जरूरी है कि एक लेखा परीक्षक की भूमिका आवश्यक हो जाती है। लेखा परीक्षक कंपनी के लेखा पुस्तकों और अन्य दस्तावेजों की गहन अध्यन करता है ,जांच करता है, उन्हें कंपनी के सदस्यों के साथ सत्यापित करता है, और उस अनुसार कंपनी के लिए वित्तीय विवरण और रिपोर्ट तैयार करता है। इसके अलावा, लेखा परीक्षक कंपनी के बेहतर प्रबंधन के लिए भी सुझाव देते हैं। कंपनी अधिनियम, 2013 की धारा 143 जो कि अपने दायित्वों को पूरा करने में एक लेखा परीक्षक की शक्तियों और कर्तव्यों को रेखांकित करती है। इस खंड में सरकारी कंपनियों के लेखा परीक्षा और लेखा परीक्षा मानकों के प्रावधानों का भी विस्त्रत उल्लेख किया गया है। 

लेखा परीक्षक कौन होता है

लेखा परीक्षक एक कंपनी के द्वारा लेखा परीक्षा करने के लिए नियुक्त एक अधिकृत व्यक्ति होता है। जो कि लेखा परीक्षा में कंपनी के वित्तीय लेन-देन की सटीकता सुनिश्चित करता है और लेखा पुस्तकों और अन्य दस्तावेजों की पूरी तरह से जांच या निरीक्षण करता है। किसी व्यक्ति को किसी कंपनी के लिए लेखा परीक्षक बनने के योग्य होने के लिए, उसे एक योग्य चार्टर्ड एकाउंटेंट होना चाहिए। 

प्रत्येक कंपनी को अपनी पहली वार्षिक आम बैठक में एक व्यक्ति या फर्म को लेखा परीक्षक के रूप में नियुक्त करना आवश्यक होता है। ऐसा व्यक्ति या फर्म जो कि छठी वार्षिक आम बैठक के समापन तक लेखा परीक्षक के रूप में पद धारण कर सकता है। कंपनी लेखा परीक्षकों की नियुक्ति प्रक्रिया निर्धारित करती है । इस तरह की नियुक्ति को वार्षिक आम बैठक में कंपनी के सभी सदस्यों द्वारा अनुमोदित (रेटिफाइ) किया जाना चाहिए।

लेखा परीक्षकों के प्रकार

लेखा परीक्षकों को आम तौर पर दो श्रेणियों में वर्गीकृत किया गया है। वे इस प्रकार हैंः

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1.आंतरिक लेखा परीक्षक

2.बाह्य लेखा परीक्षक

आंतरिक लेखा परीक्षक

एक आंतरिक लेखा परीक्षक जो कि कंपनी के द्वारा नियुक्त एक प्रशिक्षित पेशेवर कर्मचारी होता है जो कंपनी प्रबंधन के लिए काम करता है। और यह आंतरिक लेखा परीक्षक एक चार्टर्ड एकाउंटेंट (सीए),होता है जो कि एक लागत लेखाकार, या मंडल के सदस्यों के द्वारा स्वीकार किया गया कोई भी ऐसा पेशेवर होना चाहिए। आंतरिक लेखा परीक्षक कंपनी के वित्तीय दस्तावेजों और अभिलेखों की जांच करने सहित कई ऐसे कार्य करता है। जो कि अपनी समीक्षा के बाद, वे कंपनी को अपनी चिंताओं, जोखिमों, धोखाधड़ी और डेटा अशुद्धियों की रिपोर्ट करते हैं और उन्हे बेहतर प्रबंधन के लिए सुझाव देते हैं।

बाह्य लेखा परीक्षक

बाह्य लेखा परीक्षक एक सार्वजनिक लेखाकार होता है जो कि लेखा परीक्षा करता है और यह अपने ग्राहक के लिए एक कंपनी के लेखा पुस्तकों और वित्तीय विवरणों की जांच करता है।बाह्य लेखा परीक्षक अपने ग्राहकों से स्वतंत्र है, यानी बाह्य लेखा परीक्षक किसी भी कंपनी के लिए काम नहीं करता है। बाह्य लेखा परीक्षक की नियुक्ति शेयरधारकों के मतों से की जाती है। चूँकि बाह्य लेखा परीक्षक कंपनी से स्वतंत्र है, इसलिए उसके विचार को कंपनी का निष्पक्ष मूल्यांकन (असेसमेंट) माना जाता है।   

लेखा परीक्षकों की शक्तियाँ

कंपनी अधिनियम, 2013 की धारा 143 के अनुसार एक लेखा परीक्षक को यह अधिकार प्रदान करती है, जो उसे अपने दायित्वों को निभाने का अधिकार देती है।

लेखा पुस्तकों तक पहुँच का अधिकार

अधिनियम की धारा 143(1)के द्वारा किसी कंपनी के लेखा परीक्षक को हर समय कंपनी की लेखा पुस्तकों और वाउचर तक पहुंचने का अधिकार प्रदान करती है, चाहे वह कंपनी के पंजीकृत स्थान पर हो या किसी अन्य स्थान पर। लेखा परीक्षक के पास सहायक और सहयोगी कंपनियों के लेखा पुस्तकों और वाउचर को चेक करने कि शक्ति होती है क्योंकि सहायक और सहयोगी कंपनियों के वित्तीय विवरण मूल कंपनी के वित्तीय विवरणों के साथ विलय (मर्जर)  हो जाते हैं।

अधिनियम की धारा 128 के अनुसार प्रत्येक कंपनी से प्रत्येक वित्तीय वर्ष के लिए लेखा पुस्तिका तैयार करने की अपेक्षा करती है। तथा वे लेखा पुस्तकें निम्नलिखित का अभिलेख प्रदान करती हैंः

  1. कंपनी के द्वारा प्राप्त और खर्च की गई सभी राशि और वह विषय वस्तु जिस पर वे प्राप्तियां और व्यय (एक्सपेंडिचर्स) होते हैं।
  2. कंपनी के द्वारा सभी बिक्री और खरीद।
  3. कंपनी की सभी परिसंपत्तियाँ (एसेट्स) और देनदारियाँ।
  4. केंद्र सरकार द्वारा निर्देशित वस्तुओं और सेवाओं के उत्पादन में लगी होती है जो कुछ कंपनियों के द्वारा उपयोग की जाने वाली लागत, सामग्री और श्रम की सभी वस्तुओं को लेखा पुस्तकों में शामिल किया जाना चाहिए। (धारा 148)
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“वाउचर” शब्द में वे सभी दस्तावेज और समझौते शामिल हैं जो प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से किसी कंपनी के वित्तीय लेनदेन में सहायता करते हैं।

शाखा कार्यालयों के संबंध में अधिकार

जब किसी कंपनी के कई शाखाये हो तो कार्यालय मूल कार्यालय से अलग-अलग स्थानों पर बनाए जाते हैं, तो ऐसे दशा मे धारा 143(8) में प्रावधान है कि कंपनी ऐसे शाखा कार्यालय के खातों के लेखा परीक्षा के लिए किसी अन्य योग्य व्यक्ति को नियुक्त कर सकती है।

ग्रहणाधिकार (लियन) का अधिकार

एक सरल अर्थ में ग्रहणाधिकार के अधिकार का अर्थ है किसी अन्य व्यक्ति के माल और प्रतिभूतियों (सिक्योरिटीज) के कब्जे को तब तक बनाए रखने का अधिकार जब तक कि ऋण का पुनर्भुगतान या किसी भी वादे का पालन न हो जाए।

आम बैठकों में भाग लेने का अधिकार

धारा 146 के अनुसार लेखा परीक्षक जो कि कंपनी की आम/सामान्य बैठकों में भाग लेने का हकदार है।वह आम बैठक के संबंध में सभी सूचनाएं, जानकारी और अन्य संचार अधिकारियों द्वारा लेखा परीक्षक को भेजे जाएंगे। और लेखा परीक्षक को उन बैठकों के बारे में सभी जानकारी प्राप्त करने का अधिकार है जो एक लेखा परीक्षक के रूप में उससे संबंधित हैं और उसे आम बैठक में अपने बयान और स्पष्टीकरण देने का अधिकार है। 

लेखा परीक्षा रिपोर्ट पर हस्ताक्षर करने का अधिकार

धारा 145 के अनुसार केवल एक लेखा परीक्षक के पास लेखा परीक्षक रिपोर्ट पर हस्ताक्षर करने और कंपनी के अन्य दस्तावेजों को प्रमाणित करने का अधिकार है। 

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