जैसा की आप सबको पता ही है कि भारत का संविधान अनुच्छेद 226 से लेकर के 230 तक हम पहले ही वर्णन कर चुके हैं। यहाँ हम Constitution of India Article 231 to 235, भारत का संविधान अनुच्छेद 231 से 235 तक आप को बताएंगे अगर आपने इससे पहले के अनुच्छेद नहीं पढ़े हैं तो आप सबसे पहले उन्हें पढ़ ले जिससे कि आपको आगे के अनुच्छेद पढ़ने में आसानी होगी।
अनुच्छेद 231Constitution of India Article 231
दो या अधिक राज्यों के लिए एक ही उच्च न्यायालय की स्थापना-
(1) इस अध्याय के पूर्व वर्ती उपबंधों में किसी बात के होते हुए भी, संसद्, विधि द्वारा, दो या अधिक राज्यों के लिए अथवा दो या अधिक राज्यों और किसी संघ राज्यक्षेत्र के लिए एक ही उच्च न्यायालय स्थाफित कर सकेगी ।
(2) किसी ऐसे उच्च न्यायालय के संबंध में, —
(क) अनुच्छेद 217 में उस राज्य के राज्यपाल के प्रति निर्देश का यह अर्थ लगाया जाएगा कि वह उन सभी राज्यों के राज्यफालों के प्रति निर्देश है जिनके संबंध में वह उच्च न्यायालय अधिकारिता का प्रयोग करता है ;
(ख) अधीनस्थ न्यायालयों के लिए किन्हीं नियमों, प्रारूपों या सारणियों के संबंध में, अनुच्छेद 227 में राज्यपाल के प्रति निर्देश का यह अर्थ लगाया जाएगा कि वह उस राज्य के राज्यपाल के प्रति निर्देश है जिसमें वे अधीनस्थ न्यायालय स्थित हैं; और
(ग) अनुच्छेद 219 और अनुच्छेद 229 में राज्य के प्रति निर्देशों का यह अर्थ लगाया जाएगा कि वे उस राज्य के प्रति निर्देश है, जिसमें उस उच्च न्यायालय का मुख्य स्थान है :
परंतु यदि ऐसा मुख्य स्थान किसी संघ राज्यक्षेत्र में है तो अनुच्छेद 219 और अनुच्छेद 229 में राज्य के, राज्यपाल, लोक सेवा आयोग, विधान-मंडल और संचित निधि के प्रति निर्देशों का यह अर्थ लगाया जाएगा कि वे व्रमश: राष्ट्रपति , संघ लोक सेवा आयोग, संसद् और भारत की संचित निधि के प्रति निर्देश हैं ।
अनुच्छेद- 232 निर्वचन- Constitution of India Article 232
[संविधान (सातवां संशोधन) अधिनियम, 1956 की धारा 6 द्वारा (1-11-1956 से) अनुच्छेद 230, 231 और 232 के स्थान पर अनुच्छेद 230, और 231 को प्रतिस्थापित किया गया]।
अनुच्छेद 233 -जिला न्यायाधीशों की नियुक्तिके बारे मे बताया गया है। – Constitution of India Article 233
(1) किसी राज्य में जिला न्यायाधीश नियुक्त होने वाले व्यक्ति यों की नियुक्ति तथा जिला न्यायाधीश की पद स्थाफना और प्रोन्नति उस राज्य का राज्यपाल ऐसे राज्य के संबंध में अधिकारिता का प्रयोग करने वाले उच्च न्यायालय से परामर्श करके करेगा ।
(2) वह व्यक्ति , जो संघ की या राज्य की सेवा में पहले से ही नहीं है, जिला न्यायाधीश नियुक्त होने के लिए केवल तभी पात्र होगा जब वह कम से कम सात वर्ष तक अधिवकक़्ता या प्लीडर रहा है और उसकी नियुक्ति के लिए उच्च न्यायालय ने सिफारिश की है ।
जिसमे (233क.) कुछ जिला न्यायाधीशों की नियुक्ति यों का और उनके द्वारा किए गए निर्णयों आदि का विधिमान्यकरण–किसी न्यायालय का काई निर्णय, डिक्री या आदेश होते हुए भी,–
(क) (त्) उस व्यक्ति की जो राज्य की न्यायिक सेवा में पहले से ही है या उस व्यक्ति की,जो कम से कम सात वर्ष तक अधिवकक़्ता या प्लीडर रहा है, उस राज्य में जिला न्यायाधीश के रूप में नियुक्ति की बाबत, और
(त्त्) ऐसे व्यक्ति की जिला न्यायाधीश के रूप में पद स्थाफना, प्रोन्नति या अंतरण की बाबत, जो संविधान (बीसवां संशोधन) अधिनियम, 1966 के प्रारंभ से पहले किसी समय अनुच्छेद 233 या अनुच्छेद 235 के उपबंधों के अनुसार न करके अन्यथा किया गया है, केवल इसतथ्य के कारण कि ऐसी नियुक्ति, पद स्थाफना, प्रोन्नति या अंतरण उक्त उपबंधों के अनुसार नहीं किया गया था, यह नहीं समझा जाएगा कि वह अवैध या शून्य है या कभी भी अवैध या शून्य रहा था ;
(ख) किसी राज्य में जिला न्यायाधीश के रूप में अनुच्छेद 233 या अनुच्छेद 235 के उपबंधों के अनुसार न करके अन्यथा नियुक्त , पद स्थापित, प्रोन्नत या अंतरित किसी व्यक्ति द्वारा या उसके समक्ष संविधान (बीसवां संशोधन) अधिनियम, 1966 के प्रारंभ से पहले प्रयुक्त अधिकारिता की, पारित किए गए या दिए गए निर्णय, डिक्री , दंडादेश या आदेश की और किए गए अन्य कार्य या कार्यवाही की बाबत, केवल इस तथ्य के कारण कि ऐसी नियुक्ति , पद स्थापना, प्रोन्नति या अंतरण उक्त उपबंधों के अनुसार नहीं किया गया था, यह नहीं समझा जाएगा
अनुच्छेद 234 -न्यायिक सेवा में जिला न्यायाधीशोंसे भिन्न व्यक्तियों की भर्ती के बारे मे बताया गया है। – Constitution of India Article 234
जिला न्यायाधीशों से भिन्न व्यक्ति यों की किसी राज्य की न्यायिक सेवा में नियुक्ति उस राज्य के राज्यपाल द्वारा, राज्यलोक सेवा आयोग से और ऐसे राज्य के संबंध में अधिकारिता का प्रयोग करने वाले उच्च न्यायालय से परामर्श करने के पश्चात् तथा राज्यपाल द्वारा इस निमित्त बनाए गए नियमों के अनुसार की जाएगी ।
अनुच्छेद 235 – अधीनस्थ न्यायालयों पर नियंत्रण को बताया गया है। – Constitution of India Article 235
इसके अनुसार जिला न्यायालयों और उनके अधीनस्थ न्यायालयों का नियंत्रण को बताया गया है । जिसके अंतर्गत राज्य की न्यायिक सेवा के व्यक्ति यों और जिला न्यायाधीश के पद से अवर किसी पद को धारण करने वाले व्यक्तियों की पद स्थापना, प्रोन्नति और उनको छुट्टी देना है। तथा उच्चन्यायालय में निहित होगा। किंतु इस अनुच्छेद की किसी बात का यह अर्थ नहीं लगाया जाएगा कि वह ऐसे किसी व्यक्ति से उसके अफील के अधिकार को छीनती है जो उसकी सेवा की शर्तों का विनियमन करने वाली विधि के अधीन उसे है या उच्च न्यायालय कोइस बात के लिए प्राधिकॄत करती है कि वह उससे ऐसी विधि के अधीन विहित उसकी सेवा की शर्तों के अनुसार व्यवहार न करके अन्यथा व्यवहार करे ।
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