जैसा की आप सबको पता ही है कि भारत का संविधान (Constitution of India) अनुच्छेद(article) 246 से 248हम पहले ही वर्णन कर चुके हैं। इस पोस्ट पर हम भारत का संविधान (Indian constitution) अनुच्छेद (article) 249से 251तक आप को बताएंगे अगर आपने इससे पहले के अनुच्छेद नहीं पढ़े हैं तो आप सबसे पहले उन्हें पढ़ ले जिससे कि आपको आगे के अनुच्छेद पढ़ने में आसानी होगी।
भारतीय संविधान अनुच्छेद 249
यह राज्य सूची के विषय पर संसद की शक्ति को बताता है।
इस अध्याय के पूर्व ग्रामीणों में किसी बात के होते हुए यदि राज्य सभा में उपस्थित और मत देने वाले सदस्यों में से कम से कम दो तिहाई सदस्यों के द्वारा यह समर्पित संकल्प द्वारा घोषित किया गया है कि यह राष्ट्रीय में आवश्यक है या फिर समीचीन है कि संसद अनुच्छेद 246 का के अधीन उपबंध जो माल है या फिर जो सेवाए है। उसके अधीन माल्या सेवा कार्य राज्य सूची में प्रगति ऐसे विषय के संबंध में जो उस संकल्प में विनिर्दिष्ट है ऐसे यदि कोई विधि बनाए तो जब तक मैं संकल्प प्रवर्तन संसद के लिए उस विषय के संबंध में भारत के संपूर्ण राज्य क्षेत्र या फिर उसके किसी भाग के लिए विधि बनाना विधि पूर्ण होगा।
249 (2) के अनुसार इसमें अधीन या फिर पारित जो भी संकल्प है उसके 1 वर्ष से अधिक ऐसी अवध के लिए यह प्रवृति रहेगा जो उसमें विनिर्दिष्ट की जाती है।
परंतु यदि जितनी बार किसी ऐसे संकल्प को प्रवृत्त बनाए रखने का अनुमोदन करने वाला यदि कोई संकल्प जो कि खंड 1 में उपबंध इस रीति से यदि पारित किया जाए रहता है तो उतनी बार ऐसा संकल्प उस तारीख से जिसमें इस खंड के अधीन अन्यथा प्रवृत्त नहीं रहता है उसके 1 वर्ष की अवधि तक वह प्रवृत्त रहेगा।
249(3)
इसमें संसद द्वारा बनाई गई कोई ऐसी विधि जिसके द्वारा संसद khand-1 के अधीन संकल्प के पारित होने के अभाव में जो कि इसको बनाए रखने के लिए सक्षम नहीं होती है या फिर संकल्प के ऐसे प्रवृति ना रहने के पश्चात जिसमें कि 6 माह की अवधि की समाप्ति पर क्षमता की मात्रा तक उन बातों के सिवाय प्रभावी नहीं रहेगी जिन्हें की अवधि की समाप्ति से पहले किया गया है या फिर उसको करने का लोप किया गया है।
अनुच्छेद 250
यदि आपात की उद्घोषणा प्रवृत्ति में हो तो राज्य सूची में किसी भी विषय के संबंध में विधि बनाने की संसद की शक्ति को इसमें बताया गया है।
इस अध्याय में किसी बात के होते हुए भी संसद को जब तक कि आप आज की उद्घोषणा परिवर्तन में है उसके द्वारा राज्य सूची में प्रवृत्त किसी भी विषय के संबंध में भारत के संपूर्ण राज्य शेती या फिर उसके किसी एक भाग में विधि बनाने की शक्ति होगी।
इसमें संसद द्वारा बनाई गई कोई भी विधि जिसे की संसद आपात की उद्घोषणा के अभाव में बनाने के लिए सक्षम नहीं रहती है तो ऐसी उद्घोषणा के प्रवर्तन में ना रहने के पश्चात छह मास की अवधि की समाप्ति पर जो की अक्षमता की मात्रा इन बातों के सिवा प्रभावी नहीं रहेगी जिन्हें की उस अवधि की समाप्ति से पहले किया गया है या फिर उसके करने का लोप किया गया है।
अनुच्छेद 251
इसमें संसद द्वारा अनुच्छेद 249 और अनुच्छेद 250 के अधीन बनाई गई जो भी विधियां हैं उनको राज्यों के विधान मंडल द्वारा बनाई गई विधियों में असंगति को दर्शाता है।
अनुच्छेद 249 और अनुच्छेद 250 की कोई भी ऐसी बात जो किसी राज्य के विधान मंडल की ऐसी विधि बनाने की शक्ति को जिसमें कि वह संविधान के अधीन बनाने वाली शक्ति निहित है जो निर्धारित नहीं करेगी किंतु यदि किसी राज्य के विधान मंडल द्वारा बनाई गई विधि का कोई संसद द्वारा बनाई गई जिससे कि अनुच्छेदों में से किसी अनुच्छेद के अधीन बनाने की संसद की शक्ति को उपबंध के विरुद्ध है। तो संसद द्वारा बनाई गई विधि अभी भावी होगी चाय व राज्य के विधान मंडल द्वारा पारित की गई विधि से पहले हो या फिर उसके बाद में पारित की गई हो।
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