सिविल प्रक्रिया संहिता धारा 120 से लेकर के 125  तक

जैसा कि आप सभी को ज्ञात होगा कि इससे पहले की पोस्ट में सिविल प्रक्रिया संहिता की धारा 113 से 119 पक्का विस्तृत अध्ययन कर आ चुके हैं यदि आपने यह धाराएं नहीं पड़ी है तो आप सबसे पहले उनको पढ़ लीजिए जिससे कि आपको आगे की धाराएं समझने में आसानी होगी पढ़ने के बाद हमें कमेंट अवश्य कीजिएगा|

धारा 120

इस धारा के अनुसार आरंभिक सिविल अधिकारिता में उच्च न्यायालयो के उपबंध का लागू ना होना बताया गया है!

इसके अनुसार धारा 16 धारा 17 धारा 20 के उच्च न्यायालय को उसकी आरंभिक सिविल अधिकारिता का प्रयोग करने में लागू नहीं होने के बारे में बताया गया है!

धारा 121

इस धारा के अनुसार प्रथम अनुसूची में नियमों के प्रभाव के बारे में बताया गया है जिसके अनुसार प्रथम अनुसूची के नियम जब तक की इस भाग के उपबंध के अनुसार परिवर्तित ना कर दिए जाएं वह इस प्रकार से प्रभाव शील होंगे मानो कि वह संहिता के पाठ में अधिनियमित हैं!

धारा 122

इस धारा के अनुसार नियम बनाने की उच्च न्यायालय की शक्ति को बताया गया है!

ऐसी उच्च न्यायालय जोकि न्यायिक आयुक्त के न्यायालय नहीं होते हैं वह अपनी स्वयं की प्रक्रिया और उसके अधीक्षण के अधीन किए जाने वाले सिविल न्यायालय की प्रक्रिया का विनियमन करने के लिए नियम तथा पूर्व प्रकाशन के पश्चात समय-समय पर नियम बना सकेंगे और वह ऐसे नियमों द्वारा प्रथम अनुसूची में से किसी या फिर सभी नियमों को या फिर उनमें से किसी भी को बातिल या फिर परिवर्तित कर सकेंगे या फिर उन सभी में से किसी एक में परिवर्धन कर सकेंगे!

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धारा 123

इस धारा के अनुसार कुछ राज्यों में नियम समितियों का गठन के बारे में बताया गया है !

इसके अनुसार किसी भी ऐसे नगर में जो की धारा 122 में निर्दिष्ट किए गए उच्च न्यायालय मैं से हर एक की बैठक का प्राथमिक स्थान है !

इसमें एक समिति का गठन किया जाएगा तथा उसका नाम नियम समिति होगा ऐसी हर एक समिति निम्न व्यक्तियों से मिलकर बनी होगी!

नगर में जहां ऐसी समिति का गठन हुआ है जोकि स्थापित उच्च न्यायालय के तीन न्यायाधीश जिनमें से एक ऐसा होगा—–

 जिसने जिला न्यायाधीश या फिर खंड न्यायाधीश के रूप में 3 साल की सेवा दी हो या फिर जो दो विधि व्यवसाय जिनका नाम उच्च न्यायालय में दर्ज हो या फिर उच्च उच्च न्यायालय के अधीनस्थ सिविल न्यायालय का कोई एक न्यायाधीश हो 

या फिर ऐसी हर समिति के सदस्य जोकि उच्च न्यायालय के द्वारा नियुक्त किए जाएंगे जोकि उनके सदस्यों में से 1 को सभापति नाम निर्देशित करेगा !

ऐसी किसी भी समिति का जिसमें की हर एक सदस्य ऐसी अवधि के लिए पद धारण करेगा जोकि उच्च न्यायालय के द्वारा निमित्त वित्त किया जाएगा जब कभी कोई भी सदस्य सेवानिवृत्त हो जाएगा या फिर वह पद त्याग करेगा या फिर उसकी मृत्यु हो जाए या फिर उस राज्य में जिसमें उस का गठन हुआ है निवास करना छोड़ दें या फिर समिति के सदस्य के रूप में कार्य करने के लिए असमर्थ हो जाए तब ऐसी दशा में उच्च न्यायालय उसके स्थान पर अन्य व्यक्ति को सदस्य चुन लिया जाएगा!

ऐसी हर समिति के सदस्य उच्च न्यायालय के द्वारा नियुक्त किए जाएंगे जो कि उनमें से एक को सभापति निर्देशित करेगा और ऐसा पारिश्रमिक पाएगा जो कि राज्य सरकार के द्वारा उप बंधित किया जाएगा!

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धारा 124

इस धारा के अनुसार समिति का उच्च न्यायालय में रिपोर्ट को बताया गया है!

 जिसके अनुसार हर एक नियम समिति उस नगर में जिस नगर में उसका गठन हुआ है वहां पर स्थापित उच्च न्यायालय को प्रथम अनुसूची ने नियमों को बातिल परिवर्तित या फिर परिवर्तन करने की या फिर नए नियम बनाने की किसी भी प्रस्थापना के बारे में रिपोर्ट करेगी यह धारा 122 के अधीन किसी भी नियम को बनाने के पूर्व उच्च न्यायालय को रिपोर्ट भेजेगी और उच्च न्यायालय उस पर विचार करेगा!

धारा 125

इस धारा के अनुसार नियम बनाने की उच्च न्यायालय की शक्ति को बताया गया है इस धारा के अनुसार 122 में निर्दिष्ट न्यायालयों से अलग उच्च न्यायालय धारा द्वारा दिए गए शक्तियों का प्रयोग ऐसी रीति से या फिर इस शर्त के अधीन रहते हुए करेगा जो कि राज्य सरकार के द्वारा आधारित किए जाएंगे परंतु ऐसा कोई भी उच्च न्यायालय ऐसे किसी भी नियमों का जोकि उच्च न्यायालय द्वारा बनाए गए हैं वह अपनी अधिकारिता का स्थानीय सीमाओं के भीतर निस्तारण करने के लिए नियम बनाएगा तथा उसको पूर्व प्रकाशन के बाद ही बना सकता है!

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