सिविल प्रक्रिया संहिता 156 से लेकर के 158 तक

जैसा की आप सबको ज्ञात होगा कि इससे पहले की पोस्ट में हमने धारा 151 से लेकर के 155 तक बताया था ।अगर आपने धाराएं नहीं पढ़ी है ।तो सबसे पहले आप इन धाराओं को पढ़ लीजिए । जिससे की आगे की धाराएं समझने में आपको आसानी होगी ।

धारा 156 

यह धारा निरसित कर दी गई हैं।

धारा 157

इस धारा के अनुसार निरसित अधिनियमित्तियो के अधीन आदेशो को चालू रखना बताया गया हैं। 1859के अधिनियम 8 या किसी भी सिविल प्रक्रिया संहिता या उसका संशोधन करने वाली किसी भी अन्य एतद द्वारा किसी भी अन्य अधिनियमित के अधीन प्रकाशित अधिसूचना या फिर की गई घोषणाएं और बनाए गए नियम ,नियत किए गए स्थान ,फाइल किए गए करार , विहित मापमान वीर चित प्रारूप की गई नियुक्तियां और प्रदत्त शक्तियों जहां तक वे इस धारा से संगत है। वही बल और प्रभाव रखेंगी मानो की वह संहिता के अधीन इसके द्वारा निर्मित सशक्त प्राधिकारी द्वारा क्रमसा प्रकाशित की गई हैं । और बनाए गए तथा नियत किए गए या फिर फाइल किए गए विहित किए गए बीच वितरित किए गए प्रदत्त की गई है।

धारा 158

इस धारा के अनुसार सिविल प्रक्रिया संहिता और अन्य विकसित अधिनियम के प्रति निर्देश को बताया गया है।

इस संहिता के प्रारंभ के पूर्व पारित या फिर निकाली गई ऐसी हर एक अधिनियमित या अधिसूचना में जिसमें कि 1849 के अधिनियम 8 या किसी भी सिविल प्रक्रिया संहिता या फिर उसका संशोधन करने वाले किसी भी अधिनियम या फिर निर्मित किसी भी अन्य अधिनियमित के प्रति या उसके किसी भी अध्याय या धारा के प्रति निर्देश दिया गया है।

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ऐसे निर्देश को जहां तक हो सके इस संहिता या तक स्थानीय भाग आदेश , धारा या नियम के प्रति निर्देश माना जाएगा ।

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