दण्ड प्रक्रिया संहिता धारा 148 से 154 तक का विस्तृत अध्ययन

जैसा कि आप सभी को ज्ञात होगा इससे पहले की पोस्ट में दंड प्रक्रिया संहिता धारा  147    तक का विस्तृत अध्ययन करा चुके है यदि आपने यह धाराएं नहीं पढ़ी है तो पहले आप उनको पढ़ लीजिये जिससे आपको आगे की धाराएं समझने में आसानी होगी।

धारा 148

इस धारा के अनुसार स्थानीय जांच को बताया गया है।
इस धारा के अनुसार  जब कभी धारा 145 या धारा 146 या धारा 147 के प्रयोजनों के लिए स्थानीय जांच आवश्यक की गयी होती है तब कोई जिला मजिस्ट्रेट या उपखंड मजिस्ट्रेट अपने अधीनस्थ किसी मजिस्ट्रेट को जांच करने के लिए प्रतिनियुक्त कर सकता है । और उसे ऐसे लिखित अनुदेश दे सकता है।  जो उसके मार्गदर्शन के लिए आवश्यक लगता हो  और घोषित कर सकता है कि जांच का सब आवश्यक व्यय या उसका कोई भाग, किसके द्वारा दिया जाएगा।

 ऐसे प्रतिनियुक्त व्यक्ति की रिपोर्ट को मामले में साक्ष्य के रूप में पढ़ा जा सकता है।

तथा  जब धारा 145, धारा 146 या धारा 147 के अधीन कार्यवाही के किसी पक्षकार के  द्वारा कोई बचें किए गए हैं । तब यह विनिश्चय करने वाला मजिस्ट्रेट यह निर्देश दे सकता है।  कि ऐसे खर्चे किसके द्वारा व्यय किए जाएंगे तथा  ऐसे पक्षकार द्वारा दिए जाएंगे या कार्यवाही के किसी अन्य पक्षकार द्वारा और पूरे के पूरे दिए जाएंगे अथवा भाग या अनुपात में  और ऐसे खर्चों के अंतर्गत साक्षियों के और प्लीडरों की फीस के बारे में वे व्यय भी हो सकते है।  जिन्हें न्यायालय उचित समझे।

धारा 149

इस धारा के अनुसार पुलिस का संज्ञेय अपराधों का निवारण करना  बताया गया है। जिसके अनुसार प्रत्येक पुलिस अधिकारी किसी संज्ञेय अपराध के किए जाने का निवारण करने के प्रयोजन से हस्तक्षेप कर सकेगा तथा  अपनी पूरी सामर्थ्य से उसे निवारित करेगा।

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धारा 150

इस धारा के अनुसार संज्ञेय अपराधों के किए जाने की परिकल्पना की इत्तिला  को बताया गया है। जिसके अनुसार  प्रत्येक पुलिस अधिकारी जिसे किसी संज्ञेय अपराध को करने की परिकल्पना की इत्तिला प्राप्त होती है। या फिर  ऐसी इत्तिला की संसूचना उस पुलिस अधिकारी को जिसके वह अधीनस्थ है।  और किसी ऐसे अन्य अधिकारी को देगा जिसका कर्तव्य किसी ऐसे अपराध के किये जाने का निवारण करना  होता है या फिर उनके संज्ञान मे होता है।

धारा 151

इस धारा के अनुसार  संज्ञेय अपराधों का किया जाना था उसको  रोकने के लिए गिरफ्तारी के बारे मे बताया गया है। इसके अनुसार अगर कोई पुलिस अधिकारी को  जिसे किसी संज्ञेय अपराध करने की परिकल्पना का पता चलता है तो  ऐसी परिकल्पना करने वाले व्यक्ति को मजिस्ट्रेट के आदेशों के बिना और वारंट के बिना उस दशा में गिरफ्तार कर सकता है। तथा किसी व्यक्ति को उसकी गिरफ्तारी के समय से चौबीस घंटे की अवधि से अधिक के लिए अभिरक्षा में उस दशा के सिवाय निरुद्ध नहीं रखा जाएगा। जिसमें उसका और आगे निरुद्ध रखा जाना इस संहिता के या तत्समय प्रवृत्त किसी अन्य विधि के किन्हीं अन्य उपबंधों के अधीन अपेक्षित या प्राधिकृत है।

धारा 152

इस धारा के अनुसार लोक संपत्ति की हानि का विवरण को बताया गया है।
जिसके अनुसार किसी भी पुलिस अधिकारी की दृष्टिगोचरता में किसी भी जंगम या स्थावर लोक संपत्ति को हानि पहुंचाने का प्रयत्न किए जाने पर वह उसका या फिर किसी लोक भूमि-चिह्न या या या नौपरिवहन के लिए जो भी प्रयुक्त अन्य चिह्न के हटाए जाने या उसे हानि पहुंचाए जाने का, निवारण करने के लिए अपने ही प्राधिकार से अंतःक्षेप कर सकता है।

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धारा 153

इस धारा के अनुसार बाटों और मापों का निरीक्षण को बताया गया है ।

इस धारा के अनुसार यदि  कोई पुलिस थाने का भारसाधक अधिकारी उस थाने की सीमाओं के अन्दर किसी स्थान में या  जब कभी उसके पास यह विश्वास करने का कारण होता है  कि ऐसे स्थान में कोई बाट, माप या तोलने के उपकरण हैं । जो सही नही है या जो खोटे हैं, वहां प्रयुक्त या रखे हुए किन्हीं बाटों या मापों या तोलने के उपकरणों के निरीक्षण या तलाशी के प्रयोजन के लिए वारण्ट के बिना प्रवेश कर सकता है।

 यदि वह उस स्थान में कोई ऐसे बाट, माप या तोलने के उपकरण पाता है।  जो खोटे हैं तो वह उन्हें अभिगृहीत कर सकता है और ऐसे अभिग्रहण की इत्तिला अधिकारिता रखने वाले मजिस्ट्रेट को तत्काल देगा।

धारा 154

इस धारा के अनुसार संज्ञेय मामलों में इत्तिला करने को बताया गया है।

इस धारा के अनुसार संज्ञेय अपराध के किए जाने से संबंधित प्रत्येक इत्तिला जो की  यदि पुलिस थाने के भारसाधक अधिकारी को मौखिक दी गई है । तो उसके द्वारा या उसके निदेशाधीन को लिखित रूप मे  कर ली जाएगी । और इत्तिला देने वाले को पढ़कर सुनाई जाएगी और प्रत्येक ऐसी इत्तिला पर, चाहे वह लिखित रूप में दी गई हो या पूर्वोक्त रूप में लेखबद्ध की गई हो।  उस व्यक्ति द्वारा हस्ताक्षर किए जाएंगे जो उसे दे और उसका सार ऐसी पुस्तक में, जो उस अधिकारी द्वारा ऐसे रूप में रखी जाएगी जिसे राज्य सरकार इस निमित्त विहित करे, प्रविष्ट किया जाएगा।

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उपधारा (1) के अधीन अभिलिखित इत्तिला की प्रतिलिपि जो भी व्यक्ति  इत्तिला  देता है उस व्यक्ति को तत्काल निःशुल्क दी जाएगी।

कोई व्यक्ति जो किसी पुलिस थाने के भारसाधक अधिकारी के उपधारा (1) में निर्दिष्ट इत्तिला को अभिलिखित करने से इनकार करने से व्यथित है। या फिर  ऐसी इत्तिला का सार लिखित रूप में और डाक द्वारा संबद्ध पुलिस अधीक्षक को भेज सकता है । जो, यदि उसका यह समाधान हो जाता है कि ऐसी इत्तिला से किसी संज्ञेय अपराध का किया जाना प्रकट होता है तो ऐसे दशा मे  या तो स्वयं मामले का अन्वेषण करेगा या अपने अधीनस्थ किसी पुलिस अधिकारी द्वारा इस संहिता द्वारा उपबंधित रीति में अन्वेषण किए जाने का निदेश देगा और उस अधिकारी को उस अपराध के संबंध में पुलिस थाने के भारसाधक अधिकारी की सभी शक्तियां होंगी।

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