जैसा कि आप सभी को ज्ञात होगा इससे पहले की पोस्ट में दंड प्रक्रिया संहिता धारा 275 तक का विस्तृत अध्ययन करा चुके है यदि आपने यह धाराएं
नहीं पढ़ी है तो पहले आप उनको पढ़ लीजिये जिससे आपको आगे की धाराएं समझने में आसानी होगी।
धारा 276
इस धारा के अनुसार कारागार में साक्षी की परीक्षा के लिए कमीशन जारी करने की शक्ति को बताया गया है।
इसके अनुसार कारागार में परिरुद्ध या निरुद्ध किसी व्यक्ति को साक्षी के रूप में परीक्षा के लिए धारा 284 के अधीन कमीशन जारी करने की न्यायालय की शक्ति पर इस अध्याय के उपबंधों का कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ेगा। और अध्याय 23 के भाग ख के उपबन्ध कारागार में ऐसे किसी व्यक्ति की कमीशन पर परीक्षा के सम्बन्ध में वैसे ही लागू होंगे। जैसे वे किसी अन्य व्यक्ति की कमीशन पर परीक्षा के सम्बन्ध में लागू होते हैं।
धारा 277
इस धारा के अनुसार प्रत्येक मामले में जहां साक्ष्य धारा 275 या धारा 276 के अधीन लिखा जाता है . त्तब जब साक्षी न्यायालय की भाषा में साक्ष्य देता है। तो उसे उसी भाषा में लिखा जाएगा जिसमे की यदि वह किसी अन्य भाषा में साक्ष्य देता है । तो उसे, यदि साक्ष्य हो तो वह उसी भाषा में लिखा जा सकेगा । और यदि ऐसा करना साक्ष्य न हो तो जैसे-जैसे साक्षी की परीक्षा होती जाती है, वैसे-वैसे साक्ष्य का न्यायालय की भाषा में सही अनुवाद तैयार किया जाएगा, उस पर मजिस्ट्रेट या पीठासीन न्यायाधीश द्वारा हस्ताक्षर किए जाएंगे।
धारा 278
इस धारा के अनुसार जब ऐसा साक्ष्य पूरा हो जाता है । तब उसके संबंध में प्रक्रिया को इस प्रकार से बताया गया है।
(1) जैसे-जैसे प्रत्येक साक्षी का साक्ष्य जो धारा 275 या धारा 276 के अधीन लाया जाता है तब वह पूरा होता जाता है। वैसे ही यदि अभियुक्त हाजिर हो तो या यदि वह प्लीडर द्वारा हाजिर हो तो उसके प्लीडर की उपस्थिति में साक्षी को पढ़कर सुनाया जाएगा । और यदि आवश्यक हो तो शुद्ध किया जाएगा।
(2) यदि साक्षी साक्ष्य के किसी भाग की शुद्धता से उस समय इनकार करता है। तब जब वह उसे पड़कर सुनाया जाता है। तब तो मजिस्ट्रेट या पीठासीन न्यायाधीश साक्ष्य को शुद्ध करने के बजाय उस पर साक्षी द्वारा उस बात की गई आपत्ति का ज्ञापन लिख सकता है और उसमें ऐसी टिप्पणियां जोड़ देगा जैसी वह आवश्यक समझे।
(3) यदि साक्ष्य का अभिलेख उस भाषा से भिन्न भाषा में है। और जिसमें वह दिया गया है और साक्षी उस भाषा को नहीं समझता है तो, उसे ऐसे अभिलेख का भाषान्तर उस भाषा में जिसमें वह दिया गया था अथवा उस भाषा में जिसे वह समझता हो, सुनाया जाएगा।
धारा 279
इस धारा के अनुसार जब ऐसा साक्ष्य पूरा हो जाता है। तब उसके संबंध में प्रक्रिया को बताया गया है।
(1) इसके अनुसार जैसे-जैसे प्रत्येक साक्षी का साक्ष्य जो धारा 275 या धारा 276 के अधीन लिया जाए और वह पूरा होता जाता है। तो वैसे-वैसे वह, यदि अभियुक्त हाजिर हो तो उसकी या यदि वह प्लीडर द्वारा हाजिर हो। तो उसके प्लीडर की उपस्थिति में साक्षी को पढ़कर सुनाया जाएगा । और यदि आवश्यक हो तो शुद्ध किया जाएगा।
(2) यदि साक्षी साक्ष्य के किसी भाग की शुद्धता से उस समय इनकार करता है। जब वह उसे पड़कर सुनाया जाता है। तो मजिस्ट्रेट या पीठासीन न्यायाधीश साक्ष्य को शुद्ध करने के बजाय उस पर साक्षी द्वारा उस बात की गई आपत्ति का ज्ञापन लिख सकता है । और उसमें ऐसी टिप्पणियां जोड़ देगा जैसी वह आवश्यक समझे।
(3) यदि साक्ष्य का अभिलेख उस भाषा से भिन्न भाषा में है जिसमें वह दिया गया है और साक्षी उस भाषा को नहीं समझता है तो, उसे ऐसे अभिलेख का भाषान्तर उस भाषा में जिसमें वह दिया गया था अथवा उस भाषा में जिसे वह समझता हो, सुनाया जाएगा।
धारा 280
इस धारा के अनुसार साक्षी की भावभंगी के बारे में टिप्पणियाँ को बताया गया है । इसके अनुसार जब पीठासीन न्यायाधीश या मजिस्ट्रेट साक्षी का साक्ष्य अभिलिखित कर लेता है तब वह उस साक्षी की परीक्षा किए जाते समय उसकी भावभंगी के बारे में ऐसी टिप्पणियाँ भी अभिलिखित करेगा (यदि कोई हो), जो वह तात्विक समझता है।