(सीआरपीसी) दंड प्रक्रिया संहिता धारा 281 से 285 तक का विस्तृत अध्ययन

जैसा कि आप सभी को ज्ञात होगा इससे पहले की पोस्ट में दंड प्रक्रिया संहिता धारा 280  तक का विस्तृत अध्ययन करा चुके है यदि आपने यह धाराएं
नहीं पढ़ी है तो पहले आप उनको पढ़ लीजिये जिससे आपको आगे की धाराएं समझने में आसानी होगी।

धारा 281-

इस धारा के अनुसार जब कभी भी  अभियुक्त की परीक्षा किसी महानगर मजिस्ट्रेट द्वारा या महानगर मजिस्ट्रेट से भिन्न किसी मजिस्ट्रेट या सेशन न्यायालय द्वारा की जाती है।  तो ऐसे दशा मे  वह मजिस्ट्रेट अभियुक्त की परीक्षा के सारांश का ज्ञापन न्यायालय की भाषा मे तैयार कराया ।तथा  ऐसे ज्ञापन पर मजिस्ट्रेट हस्ताक्षर करेगा । और वह अभिलेख का भाग होगा। अभिलेख के अनुसार यदि साध्य हो तो उस भाषा में होगा जिसमें अभियुक्त की परीक्षा की जाती है या यदि यह साध्य न हो तो न्यायालय की भाषा में होगा।

 इसके अनुसार  अभियुक्त की परीक्षा का अभिलेख बताया गया है।
(1) जब कभी अभियुक्त की परीक्षा किसी महानगर मजिस्ट्रेट द्वारा की जाती है।  तो ऐसे दशा मे  वह मजिस्ट्रेट अभियुक्त की परीक्षा के सारांश का ज्ञापन न्यायालय की भाषा में तैयार करेगा तथा  ऐसे ज्ञापन पर मजिस्ट्रेट हस्ताक्षर करेगा । और वह अभिलेख का भाग होगा।
(2) जब कभी अभियुक्त की परीक्षा महानगर मजिस्ट्रेट से भिन्न किसी मजिस्ट्रेट या सेशन न्यायालय द्वारा की जाती है।  तब उस समय उससे पूछे गए प्रत्येक प्रश्न और उसके द्वारा दिए गए प्रत्येक उत्तर सहित ऐसी सब परीक्षा स्वयं पीठासीन न्यायाधीश या मजिस्ट्रेट द्वारा या फिर  जहां वह किसी शारीरिक या अन्य असमर्थता के कारण ऐसा करने में असमर्थ है। तो वहां उसके द्वारा इस निमित्त नियुक्त न्यायालय के किसी अधिकारी द्वारा उसके निर्देशन और अधीक्षण में पूरे तौर पर अभिलिखित की जाएगी।
(3) अभिलेख मे  यदि साध्य हो तो उस अनुसार  उस भाषा में होगा जिसमें अभियुक्त की परीक्षा की जाती है । या यदि यह साध्य न हो तो न्यायालय की भाषा में होगा।
(4) अभिलेख अभियुक्त को दिखा दिया जाएगा या उसे पढ़कर सुना दिया जाएगा या यदि वह उस भाषा को नहीं समझता है जिसमें वह लिखा गया है तो उसका भाषांतर उसे उस भाषा में, जिसे वह समझता है, सुनाया जाएगा और वह अपने उत्तरों का स्पष्टीकरण करने या उसमें कोई बात जोड़ने के लिए स्वतंत्र होगा।
(5) तब उस पर अभियुक्त और मजिस्ट्रेट या पीठासीन न्यायाधीश हस्ताक्षर करेंगे और मजिस्ट्रेट या पीठासीन न्यायाधीश अपने हस्ताक्षर से प्रमाणित करेगा कि परीक्षा उसकी उपस्थिति में की गई थी । और उसने उसे सुना था और अभिलेख में अभियुक्त द्वारा किए गए कथन का पूर्ण और सही वर्णन है।
(6) इस धारा की कोई बात संक्षिप्त विवरण के अनुक्रम में अभियुक्त की परीक्षा को लागू होने वाली न समझी जाएगी।

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धारा 282-

इस धारा के अनुसार दुभाषिया ठीक-ठीक भाषान्तर करने के लिए आबद्ध होगा यह बताया गया है।
इसके अनुसार जब किसी साक्ष्य या कथन के भाषान्तर के लिए दुभाषिये की सेवा की किसी दण्ड न्यायालय द्वारा अपेक्षा की जाती है।  तब ऐसे दशा मे वह दुभाषिया ऐसे साक्ष्य या कथन का ठीक भाषान्तर करने के लिए आबद्ध होगा।

धारा 283-

इस धारा के अनुसार उच्च न्यायालय में अभिलेख को बताया गया है।
प्रत्येक उच्च न्यायालय, साधारण नियम द्वारा ऐसी रीति विहित कर सकता है । जिससे उन मामलों में साक्षियों के साक्ष्य को और अभियुक्त की परीक्षा को लिखा जाएगा जो उसके समक्ष आते हैं।  और ऐसे साक्ष्य और परीक्षा को ऐसे नियम के अनुसार लिखा जाएगा।

धारा 284-

इस धारा के अनुसार यह बताया गया है । कि  कब साक्षियों को हाजिर होने से अभिमुक्ति दी जाए और कमीशन जारी किया जाएगा–

(1) जब कभी इस संहिता के अधीन किसी जांच या फिर  विचारण या अन्य कार्यवाही के अनुक्रम में कोई  न्यायालय या मजिस्ट्रेट को प्रतीत होता है । कि न्याय के उद्देश्यों के लिए यह आवश्यक है । कि किसी साक्षी की परीक्षा की जाए और ऐसे साक्षी की हाजिरी इतने विलम्ब, व्यय या असुविधा के बिना, जितनी मामले की परिस्थितियों में अनुचित होगी और नहीं कराई जा सकती है तब न्यायालय या मजिस्ट्रेट ऐसी हाजिरी से अभिमुक्ति दे सकता है और साक्षी की परीक्षा की जाने के लिए इस अध्याय के उपबंधों के अनुसार कमीशन जारी कर सकता है ।

परन्तु जहां न्याय के उद्देश्यों के लिए भारत के राष्ट्रपति या राष्ट्रपति या किसी राज्य के राज्यपाल या किसी संघ राज्यक्षेत्र के प्रशासक की साक्षी के रूप में परीक्षा करना आवश्यक है । तो वहां ऐसे साक्षी की परीक्षा करने के लिए कमीशन जारी किया जाएगा।

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(2) न्यायालय अभियोजन के किसी साक्षी की परीक्षा के लिए कमीशन जारी करते समय यह निदेश दे सकता है कि प्लीडर की फीस सहित ऐसी रकम जो न्यायालय अभियुक्त के व्यय की पूर्ति के उचित समझे, अभियोजन द्वारा दी जाए।

धारा 285-

इस धारा के अनुसार कमीशन किसको जारी किया जाएगा यह बताया गया है।

(1) यदि साक्षी उन राज्यक्षेत्रों के अन्दर है, जिन पर इस संहिता का विस्तार है।  तो ऐसे दशा मे कमीशन, यथास्थिति, उस महानगर मजिस्ट्रेट या मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट को निर्दिष्ट होगा।  जिसकी स्थानीय अधिकारिता के अन्दर ऐसा साक्षी मिल सकता है।

(2) यदि साक्षी भारत में है।  किन्तु ऐसे राज्य या ऐसे किसी क्षेत्र में है । जहा पर  इस संहिता का विस्तार नहीं है।  तो कमीशन ऐसे न्यायालय या अधिकारी को निर्दिष्ट होगा जिसे केन्द्रीय सरकार अधिसूचना द्वारा इस निमित्त विनिर्दिष्ट करे।

(3) यदि साक्षी भारत से बाहर के देश या स्थान में है और ऐसे देश या स्थान की सरकार से केन्द्रीय सरकार ने आपराधिक मामलों के संबंध में साक्ष्यों का साक्ष्य लेने के लिए ठहराव कर रखे है । तो अइसे दशा मे कमीशन ऐसे प्रारूप में जारी किया जाएगा, ऐसे न्यायालय या अधिकारी को निर्दिष्ट होगा और प्रेषित किए जाने के लिए ऐसे प्राधिकारी को भेजा जाएगा जो केन्द्रीय सरकार, अधिसूचना द्वारा इस निमित्त विहित करे।

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