धन विधेयक अनुच्छेद 110 भारतीय संविधान Money Bill Article 110 Constitution of India

धन विधेयक एक मसौदा कानून के रूप में जिसमें कि केवल कुछ प्रावधान है जो कि उसमें सूचीबद्ध सभी या फिर किसी भी मामले से संबंधित है किसी भी कार्य का अधिर ओपन करना उन्मूलन करना छूट देना या फिर परिवर्तन करना या फिर विनियमन करना या फिर केंद्र सरकार के द्वारा पैसे उधार लेने के विनियम और भारत के संचित निधि से धन का विनियोग करना इसमें शामिल है इसको भारत के संविधान के अनुच्छेद 110 के द्वारा परिभाषित किया गया है।

भारत का संविधान अनुच्छेद 110 में धन विधेयक की परिभाषा को दिया गया है जिसमें यह बताया गया है कि कोई भी विधेयक धन विधेयक कब माना जाएगा और कब नहीं माना जाएगा आपको बता दें कि कोई भी विधेयक धन विधेयक तब माना जाएगा जब वह निम्न आवश्यकताओं को पूरा करता हो

किसी भी कर का अधीर ओपन करना उस साधन करना या फिर परिवर्तन करना विनियमन करना या फिर परिहार करना उसमें शामिल हो।

केंद्र सरकार के द्वारा उधार लिए गए धन का विनियमन करना भी इससे संबंधित होता है।

भारत सरकार की संचित निधि से धन का विनियोग करना भी इसमें आता है।

भारत की संचित निधि या फिर आकस्मिक निधि की अभिरक्षा करना या फिर किसी नदी में धन जमा करने और उस से धन निकालने से संबंधित आता है।

 भारत सरकार की संचित निधि की अभी रक्षा करना भी इसमें आता है।

भारत की संचित निधि या फिर किसी भी लेख में से किसी प्रकार के धन की प्राप्ति होना या अभिरक्षा या फिर इसका केंद्रीय राज्य की निधियों का लेखा परीक्षण आता है।

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विषय का अनुषांगिक विषय होता है तो वह भी इसके अंतर्गत आता है।

कोई विधेयक धन विधेयक कब नहीं माना जाएगा यदि वे निम्न को पूरा करता है।

जुर्माने या अन्य धन संबंधित शक्तियों के अधीन अधीर ओपन करना

अनुज्ञाप्तिया के लिए की गई सेवाओं के लिए शुल्क की मांग करना

हनी प्राधिकारी या निकाय के द्वारा स्थानीय प्रयोजन के लिए किसी कार्य का निरूपण करना परिवर्तन करना उस साधन करना अभिनंदन करना या परिहार का उपबंध करता है।

धन विधेयक से संबंधित कुछ प्रावधान

धन विधेयक एक सरकारी विधेयक है जहां पर इसे संसद केवल मंत्री द्वारा ही प्रस्तुत किया जा सकता है। धन विधेयक नहीं है इसे लोकसभा अध्यक्ष के द्वारा ही केवल प्रमाणित किया जाता है जब भी यह पता करना हो कि यह विधेयक धन विधेयक है या नहीं तो लोकसभा अध्यक्ष ही इसका निर्धारण करेगा।

धन विद्ययक क्योंकि राष्ट्रपति की अनुशंसा पर ही केवल लोकसभा में प्रस्तुत किया जा सकता है इसको पारित करने के लिए एक विशेष संसदीय प्रक्रिया होती है जिसको कि भारतीय संविधान के अनुच्छेद 109 में वर्णित किया गया है क्योंकि लोकसभा में पारित होने के बाद ही धन विधेयक राज्यसभा में भेजा जाता है इसलिए राज्यसभा को 14 दिनों के अंदर उस पर अनुमति देनी होती है अन्यथा इसे राज्यसभा द्वारा पारित मान लिया जाएगा धन विधेयक के संबंध में राज्यसभा के पास कम शक्तियां हैं राज्यसभा धन विधेयक को स्वीकृति या संशोधित नहीं कर सकता है राज्यसभा केवल सिफारिश कर सकता है। यदि लोकसभा कोई सिफारिश नहीं मानती है तो इसे मूल रूप से दोनों सदनों के द्वारा पारित माना जाएगा।संसद के दोनों सदनों द्वारा पारित होने के बाद ही धन विधेयक को राष्ट्रपति के सामने प्रस्तुत किया जाता है राष्ट्रपति धन विधेयक को सदन में फिर से विचार के लिए नहीं भेज सकते हैं राष्ट्रपति या तो वह उस पर अपनी सहमति देंगे या फिर उसे मना कर सकते हैं।

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धन विधेयक के संबंध में राज्यसभा के पास निम्न शक्तियां प्राप्त होती हैं।

धन विधेयक के संबंध में राज्यसभा की शक्तियां सीमित होती है। राज्यसभा के पास इन के संबंध में प्रतिबंधित शक्तियां हैं।

यह धन विधेयक को अस्वीकृति यह संशोधित नहीं कर सकती है।

यह धन विधेयक को केवल सिफारिश कर सकती है।

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