भारतीय संविधान के अनुसार राष्ट्रपति (अनुच्छेद 52 से 62) तक का वर्णन –

जैसा कि आप सभी को ज्ञात होगा इससे पहले की पोस्ट मे हमने राज्य के नीति निर्देशक तत्व का विस्तृत अध्ययन करा चुके है यदि आपने यह धाराएं नही पढ़ी है तो पहले आप उनको पढ़ ली जिये जिससे आपको आगे की धाराएं समझने मे आसानी होगी।

अनुच्छेद 52

भारत का एक राष्ट्रपति होगा ।इसमे राष्ट्रपति पद का प्रावधान किया गया है।

अनुच्छेद 53

वह देश में सर्वोच्च निर्वाचित पद धारण करता है और संविधान के उपबंधों और राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति निर्वाचन अधिनियम, 1952 के अनुसार निर्वाचित किया जाता है। उक्त अधिनियम को राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति निर्वाचन नियम, 1974 के उपबंधों द्वारा संपूरित किया गया है, एवं और नियमों के अधीन उक्त अधिनियम राष्ट्रपति के पद के निर्वाचन के आयोजन के सभी पहलुओं को विनियमित करने वाला एक संपूर्ण नियम संग्रह का निर्माण करता है। राष्ट्रपति पाँच वर्ष की अवधि के लिए पद धारण करता है।

अनुच्छेद 54

राष्ट्रपति का चयन एक निर्वाचक मंडल द्वारा किया जाता है। उसमे संसद के दोनों सदनों के निर्वाचित सदस्य एवं राज्यों की विधान सभाओं एवं साथ ही राष्ट्रीय राजधानी, दिल्ली क्षेत्र तथा संघ शासित क्षेत्र, पुदुचेरी के निर्वाचित सदस्य सम्मिलित होते हैं।

अनुच्छेद 55

भारत के संविधान के अनुच्छेद 55 (3) के अनुसार, राष्ट्रपतीय निर्वाचन एकल संक्रमणीय मत के माध्यम से आनुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली के अनुरूप किया जाएगा और ऐसे निर्वाचन में गोपनीय मतपत्रों द्वारा मतदान किया जाएगा।

अनुच्छेद 56

राष्ट्रपति अपने पद ग्रहण करने की तिथि से 5 (पाँच) वर्ष की अवधि के लिए पद धारण करता है। तथापि, अपनी पदावधि के अवसान के पश्चात् भी वह अपने पद पर तब तक बना रहता है, जब तक उसका उत्तराधिकारी उसका पद ग्रहण नहीं कर लेता । राष्ट्रपति की पदावधि के अवसान से पहले, साठ दिन की अवधि में किसी दिन आयोग द्वारा निर्वाचन आयोजित किए जाने की अधिसूचना जारी की जा सकती है। निर्वाचन कार्यक्रम इस प्रकार नियत किया जाएगा कि निर्गामी राष्ट्रपति की पदावधि समाप्ति के अगले ही दिन निर्वाचित राष्ट्रपति पद ग्रहण करने में सक्षम हों।

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अनुच्छेद 57

राष्टपति का पुनः निर्वाचन इसमे बताया गया है भारत मे राष्टपति बनने की समय सीमा नही है वह कितनी बार भी चुनाव लड़ कर राष्टपति बन सकते है। अमेरिका मे 2 बार राष्टपति बन सकते है।

अनुच्छेद 58

यदि कोई राष्ट्रपति बनना चाहता है तो वह कोई लाभ के पद पर नही होना चाहिए। और वह लोकसभा और राज्यसभा का कोई सदस्य नही होना चाहिए। राष्ट्रपति के पद पर होते हुए उन पर कोई केस नही चला सकते है । उनका वेतन और भत्ता मिलता है तथा उसपर कोई हानि कारक कटौती नही कर सकते है।

अनुच्छेद 59

राष्ट्रपति, बिना किराया के अपने शासकीय निवासों के उपयोग कर सकता है । और ऐसी उपलब्धियों, भत्तों और विशेषाधिकारों का भी, जो संसद, विधि द्वारा अवधारित करे और जब तक इस निमित्त इस प्रकार उपबंध नहीं किया जाता है तब तक ऐसी उपलब्धियों, भत्तों और विशेषाधिकारों का, जो दूसरी अनुसूची में विनिर्दिष्ट हैं उसको प्राप्त कर सकता है।राष्टपति पद के लिए योग्यता को बताता है जिसके अनुसार वह भारत का नागरिक होना चाहिए। वह 35 साल से अधिक होना चाहिए तथा लोक सभा और राज्यसभा का सदस्य बनने की योग्यता होना चाहिए। किसी लाभ के पद पर नही होना चाहिए।

अनुच्छेद 60

इसमे राष्ट्रपति के द्वारा शपद लिया जाता है। भारत का मुख्य न्यायाधीश राष्ट्रपति को शपथ दिलाएँगे और अगर वह अनुपस्थित रहते है तो सुप्रीम कोर्ट के जज के द्वारा राष्ट्रपति को शपथ दिलाया जा सकता है जिसमे राष्ट्रपति यह शपथ लेते है की ईश्वर की शपथ लेता हूँ
”मैं, अमुक ——————————-कि मैं श्रद्धापूर्वक भारत के राष्ट्रपति के पद का कार्यपालन
(अथवा राष्ट्रपति के कृत्यों का निर्वहन) करूंगा और सत्यनिष्ठा से इसका पालन करूंगा । तथा अपनी पूरी योग्यता से संविधान और विधि का परिरक्षण, संरक्षण और प्रतिरक्षण करूंगा और मैं भारत की जनता की सेवा और कल्याण में निरत रहूँगा।”।

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अनुच्छेद 61

इस अनुच्छेद मे यह बताया गया है की राष्ट्रपति के लिए महाभियोग प्रक्रिया को बताता है। यदि राष्ट्रपति संविधान का उल्लंघन करता है तो महाभियोग लाया जा सकता है यह दोनों सदनों मे से कोई भी सदन ला सकता है। महाभियोजन एक विधायिका सम्बन्धित कार्यवाही है। इसमे पद से हटाना एक कार्यपालिका सम्बन्धित कार्यवाही है। महाभियोजन एक कड़ाई से पालित किया जाने वाला औपचारिक कृत्य है जिसमे संविधान का उल्लंघन करने पर ही होता है। यह उल्लंघन एक राजनीतिक कार्य है जिसका निर्धारण संसद करती है।

वह राष्ट्रपति तभी पद से हटेगा जब उसे संसद में प्रस्तुत किसी ऐसे प्रस्ताव से हटाया जाये। जिसे प्रस्तुत करते समय सदन के १/४ सदस्यों का समर्थन मिले। प्रस्ताव पारित करने से पूर्व उसे 14 दिन पहले नोटिस दिया जायेगा। प्रस्ताव सदन की कुल संख्या के 2/3 से अधिक बहुमत से पारित होना चाहिये। फिर दूसरे सदन में जाने पर इस प्रस्ताव की जांच एक समिति के द्वारा होगी। इस समय राष्ट्रपति अपना पक्ष स्वयं अथवा वकील के माध्यम से रख सकता है। दूसरा सदन भी उसे उसी 2/3 बहुमत से पारित करेगा। दूसरे सदन द्वारा प्रस्ताव पारित करने के दिन से राष्ट्रपति पद से हट जायेगा।

अनुच्छेद 62

इसमे बताया गया है की राष्ट्रपति की पदावधि की समाप्ति से हुई रिक्ति को भरने के लिए निर्वाचन कैसे किया जाएगा इसमे बताया गया है की निर्वाचन पदावधि की समाप्ति से पहले ही पूर्ण कर लिया जाएगा।

यदि राष्ट्रपति की मृत्यु या पदत्याग या पद से हटाए जाने या अन्य कारण से हुई कोई रिक्त पद है तो उसके पद में रिक्ति को भरने के लिए निर्वाचन, रिक्ति होने की तारीख के पश्चात्‌ यथाशीघ्र और प्रत्येक दशा में छह मास बीतने से पहले किया जाएगा और रिक्ति को भरने के लिए निर्वाचित व्यक्ति, अनुच्छेद 56 के उपबंधों के अधीन रहते हुए, अपने पद ग्रहण की तारीख से पाँच वर्ष की पूरी अवधि तक पद धारण करने का अधिकारी होगा।
भारतीय संविधान की कई धराये अब तक बता चुके है यदि आपने यह धराये नही पढ़ी है तो पहले आप उनको पढ़ लीजिये जिससे आपको आगे की धराये समझने मे आसानी होगी।

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