समुचित सरकार की व्याख्या Appropriate Government Definition

किसी विषय के लिए समुचित सरकार कौन है? यह प्रतिष्ठान के औद्योगिक महत्व तथा स्वभाव (Nature) पर बहुत कुछ निर्भर है। हमारे यहाँ एक केन्द्रीय सरकार है और दूसरी राज्य—सरकारें; जिन्हें विधि—विधान में पूर्ण स्वायत्तता प्राप्त है। नियम बनाने के अधिकार के सम्बन्ध में भारतीय संविधान में तीन सूचियाँ—केन्द्रीय सूची, राज्य सूची और समवर्ती सूची—इसलिए दी गई हैं ताकि केन्द्रीय सरकार एवं राज्य—सरकारों में क्षेत्राधिकर—सम्बन्धी विवाद न उत्पन्न हो। अन्तिम सूची के अन्तर्गत आने वाले विषयों पर केन्द्रीय सरकार एवं राज्य—सरकारों को समान रूप से अधिकार प्राप्त है। केन्द्रीय सरकार यदि समवर्ती सूची पर कोई अधिनियम या नियम बनाती है तो उस सीमा तक राज्य—सरकार का एतद्विषयक अधिकार लम्बित रहता है।

निम्नलिखित मामलों से सम्बन्धित उद्योगों के लिए समुचित सरकार से मतलब केन्द्रीय सरकार से है—

(i) जिसके द्वारा या जिसके प्राधिकार के अधीन या रेलवे कम्पनी द्वारा चलाये जाने वाले किसी उद्योग से सम्बन्धित या ऐसे नियन्त्रणाधीन उद्योगों में जैसे कि केन्द्रीय सरकार द्वारा इस विषय में उद्दिष्ट किया जाय, डाक लेबर बोर्ड, इण्डस्ट्रियल फाइनेन्स कारपोरेशन ऑफ इण्डिया, ऑयल एण्ड नेचुरल गैस कमीशन, डिपाजिट इन्श्योरेन्स एण्ड क्रेडिट गारन्टी कारपोरेशन, सेण्ट्रल वेयरहाउसिंग कारपोरेशन, फूड कारपोरेशन ऑफ इण्डिया, एक्सपोर्ट क्रेडिट एण्ड गारण्टी कारपोरेशन लि., इण्डस्ट्रियल रिकान्स्ट्रक्शन कारपोरेशन ऑफ इण्डिया, बैंकिंग सर्विस कमीशन या एम्प्लाइज स्टेट इन्श्योरेन्स एक्ट या एयर कारपोरेशन एक्ट, 1953 की धारा 3 के अन्तर्गत स्थापित इण्डियन एयर लाइन्स तथा एयर इण्डिया कारपोरेशन एक्ट, 1963 की धारा 3 के अन्तर्गत स्थापित एग्रीकल्चरल रिफाइनेन्स कारपोरेशन या डिपाजिट इन्श्योरेन्स या यूनिट ट्रस्ट ऑफ इण्डिया एक्ट, 1963 की धारा 3 के अन्तर्गत स्थापित यूनिट ट्रस्ट ऑफ इण्डिया या बैंकिंग या बीमा कम्पनी या खान, तेल—क्षेत्र, छावनी—परिषद् या महापत्तन से सम्बन्धित किसी विवाद के सम्बन्ध में केन्द्रीय सरकार; और।

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(ii) उपर्युक्त औद्योगिक प्रतिष्ठानों से सम्बन्धित औद्योगिक विवादों को छोड़कर अन्य सभी औद्योगिक विवादों के सम्बन्ध में राज्य सरकार समुचित सरकार के रूप में अभिप्रेत है। राष्ट्रीय महत्त्व वाले विवादों को केन्द्रीय सरकार तथा इतर विवादों को राज्य—सरकारों के अधीन रखा गया है। इस परिभाषा से दोनों के क्षेत्राधिकार पर पूर्ण प्रकाश पड़ता है। इससे पारस्परिक अधिकार के लिए विवाद उत्पन्न होने की अधिक सम्भावना नहीं रहेगी।

यौवन, इण्डिया सीमेन्ट्स इम्प्लाइज यूनियन बनाम मैनेजमेन्ट ऑफ इण्डिया सीमेन्ट्स लि. में उच्चतम न्यायालय ने स्पष्ट रूप से विनिश्चित किया है कि यह धारा 39 (क) के अन्तर्गत केन्द्रीय सरकार राज्य सरकार की शक्ति प्रत्यायोजित कर देती है तो दोनों सरकारें समुचित सरकारें होंगी। अत: कान्ट्रैक्ट लेबर के एबजार्पसन सम्बन्धी कर्मकारों और प्रबन्धन के बीच के विवाद का राज्य सरकार द्वारा धारा 10(1)(ग) के अन्तर्गत निर्देशन वैध होगा। ऐसी शक्ति का केन्द्रीय सरकार द्वारा ही प्रयोग किया जाना आवश्यक नहीं है। इसमें तमिलनाडु राज्य को शक्ति प्रत्यायोजित की गई थी, उसके द्वारा निर्देशन पर कर्मकार संघ ने आपत्ति की थी।

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