जैसा कि आप सभी को ज्ञात होगा इससे पहले की पोस्ट में दंड प्रक्रिया संहिता धारा 128 तक का विस्तृत अध्ययन करा चुके है यदि आपने यह धाराएं नहीं पढ़ी है तो पहले आप उनको पढ़ लीजिये जिससे आपको आगे की धाराएं समझने में आसानी होगी।
धारा 129
इस धारा के अनुसार –
सिविल बल के प्रयोग द्वारा जमाव को तितर-बितर करना बताया गया है।
(1) यदि कोई कार्यपालक मजिस्ट्रेट या पुलिस थाने का भारसाधक अधिकारी , ऐसे भारसाधक अधिकारी की अनुपस्थिति में उप निरीक्षक की पंक्ति से अलग कोई पुलिस अधिकारी किसी विधिविरुद्ध जमाव को या फिर पांच या अधिक व्यक्तियों के किसी ऐसे जमाव को जिसने लोक शांति विक्षुब्ध होने की संभावना होती है। , उसको तितर-बितर होने का संदेश दे सकता है और तब ऐसे जमाव के सदस्यों का यह कर्तव्य होगा कि वे तदनुसार तितर-बितर हो जाएं।
(2) यदि ऐसा समादेश दिए जाने पर ऐसा कोई जमाव तितर-बितर नहीं होता है । तो ऐसे स्थिति मे वह इस प्रकार से आचरण करता है, जिससे उसका तितर-बितर न होने का निश्चय दर्शित होता है। तो उपधारा (1) में निर्दिष्ट कोई कार्यपालक मजिस्ट्रेट या पुलिस अधिकारी उस जमाव को बल द्वारा तितर-बितर करने की कार्यवाही कर सकता है। और किसी पुरुष से जो सशस्त्र बल का अधिकारी या सदस्य नहीं है । और इस वजह से कार्य नहीं कर रहा है। तो ऐसे जमाव को तितर-बितर करने के प्रयोजन के लिए और यदि आवश्यक हो तो उन व्यक्तियों को, जो उसमें सम्मिलित हैं, इसलिए गिरफ्तार करने और परिरुद्ध करने के लिए कि ऐसा जमाव तितर-बितर किया जा सके या उन्हें विधि के अनुसार दंड दिया जा सके। सहायता की अपेक्षा कर सकता है।
धारा 130
इस धारा के अनुसार जमाव को तितर-बितर करने के लिए सशस्त्र बल का प्रयोग करना बताया गया है।
(1) यदि कोई ऐसा जमाव किसी कारणवश तितर-बितर नहीं किया जा सकता है । और यदि लोक सुरक्षा के लिए यह आवश्यक है कि उसको तितर-बितर किया जाए तो उसके लिए उच्चतम पंक्ति का कार्यपालक मजिस्ट्रेट जो कि उपस्थित होवह सशस्त्र बल द्वारा उसे तितर-बितर कर सकता है।
(2) ऐसा मजिस्ट्रेट किसी एसे अधिकारी से जो कि सशस्त्र बल के व्यक्तियों की किसी टुकड़ी का समावेश कर रहा है। या फिर यह अपेक्षा कर सकता है कि वह अपने समादेश अधीन सशस्त्र बल की मदद से जमाव को तितर-बितर कर दे । और उसमें सम्मिलित ऐसे व्यक्तियों को जिनकी बाबत मजिस्ट्रेट निर्देश दे या जिन्हें जमाव को तितर-बितर करने या विधि के अनुसार दंड देने के लिए गिरफ्तार और परिरुद्ध करना आवश्यक है उसको गिरफ्तार और परिरुद्ध करे।
(3) सशस्त्र बल का प्रत्येक ऐसा अधिकारी ऐसी धारा और आदेश का पालन ऐसी रीति से करेगा जिससे वह ठीक समझे। किंतु ऐसा करने में केवल इतने ही बल का प्रयोग करेगा और शरीर और संपत्ति को केवल इतनी ही हानि पहुंचा तो जितनी उस जमाव को तितर-बितर करने और ऐसे व्यक्तियों को गिरफ्तार और निरुद्ध करने के लिए आवश्यक है।
धारा 131
इस धारा के अनुसार जमाव को तितर-बितर करने की सशस्त्र बल के कुछ अधिकारियों की शक्ति को बताया गया है।
इसके अनुसार जब कोई ऐसा जमाव लोक सुरक्षा को स्पष्टतया संकटापन्न कर देता है । और तब किसी कार्यपालक मजिस्ट्रेट से संपर्क नहीं किया जा सकता है। तब ऐसे स्थित मे सशस्त्र बल का कोई आयुक्त या राजपत्रित अधिकारी ऐसे जमाव को अपने संदेश अधीन सशस्त्र बल की मदद से तितर-बितर कर सकता है। और ऐसे किन्हीं व्यक्तियों को जो उसमें सम्मिलित हों या फिर ऐसे जमाव को तितर-बितर करने के लिए या इसलिए कि उन्हें विधि के अनुसार दंड दिया जा सके उसको गिरफ्तार और परिरुद्ध कर सकता है। किंतु यदि उस समय जब वह इस धारा के अधीन कार्य कर रहा है। तब कार्यपालक मजिस्ट्रेट से संपर्क करना उसके लिए साध्य हो जाता है । तो वह ऐसा करेगा और तदनन्तर इस बारे में कि वह ऐसी कार्यवाही चालू रखे या न रखे, मजिस्ट्रेट के अनुदेशों का पालन करेगा।
धारा 132
इस धारा के अनुसार पूर्ववर्ती धाराओं के अधीन किए गए कार्यों के लिए अभियोजन से संरक्षण को बताया गया है।
(1) इसमे किसी कार्य के लिए जो धारा 129, धारा 130 या धारा 131 के अधीन किया गया कार्य है और यदि किसी व्यक्ति के विरुद्ध कोई अभियोजन किसी दंड न्यायालय में-
(क) जहां ऐसा व्यक्ति सशस्त्र बल का कोई अधिकारी या सदस्य है। तो वहां केंद्रीय सरकार की मंजूरी के बिना संस्थित नहीं किया जाएगा।
(ख) या फिर किसी अन्य मामले में राज्य सरकार की मंजूरी के बिना संस्थित नहीं किया जाएगा।
(2) (क) उक्त धाराओं में से किसी भी धारा के अधीन सद्भावपूर्वक कार्य करने वाले किसी कार्यपालक मजिस्ट्रेट या पुलिस अधिकारी के बारे में:
(ख) धारा 129 या धारा 130 के अधीन अपेक्षा के अनुपालन में सद्भावपूर्वक कार्य करने वाले किसी व्यक्ति के बारे में जो कि
(ग) धारा 131 के अधीन सद्भावपूर्वक कार्य करने वाले सशस्त्र बल के किसी अधिकारी के बारे में जो कि
(घ) सशस्त्र बल का कोई सदस्य जिस आदेश का पालन करने के लिए आबद्ध हो या फिर उसके पालन में किए गए किसी कार्य के लिए उस सदस्य के बारे में यह न समझा जाएगा कि उसने उसके द्वारा कोई अपराध किया है।
(3) इस धारा में और इस अध्याय की पूर्ववर्ती धाराओं में
(क) “सशस्त्र बल” पद से भूमि बल के रूप में क्रियाशील सेना, नौसेना और वायुसेना अभिप्रेत है और इसके अंतर्गत इस प्रकार क्रियाशील संघ के अन्य सशस्त्र बल भी हैं :
(ख) सशस्त्र बल के संबंध में “अधिकारी से सशस्त्र बल के ऑफिसर के रूप में आयुक्त, राजपत्रित या वेतनभोगी व्यक्ति अभिप्रेत है और इसके अंतर्गत कनिष्ठ आयुक्त ऑफिसर, वारंट आफिसर, पेटी ऑफिसर, अनायुक्त आफिसर तथा अराजपत्रित आफिसर भी हैं:
(ग) सशस्त्र बल के संबंध में “सदस्य” से सशस्त्र बल के अधिकारी से भिन्न उसका कोई सदस्य जो कि अभिप्राय है।
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Nice description 👍
शस्त्र बल का सदस्य यदि आफ डयूटी मे किसी प्रकरण मे फस जाता है तो क्या उसे इन धारा मे गिरफ़्तारी से शरक्षन मिलेगा
नहीं।