माध्यस्थम् करार (Arbitration Agreement):-
यह करार माध्यस्थम् करार के धारा 2 (1) (b) में उल्लेखित किया गया है कि माध्यस्थम् करार से अभिप्राय धारा
7 में निर्देशित किये गये एक करार से हैं। जिसमे यह धारा माध्यस्थम् करार को परिभाषित तो नहीं करती है बल्कि यह उल्लेखित करती है कि माध्यस्थम् करार का वही अर्थ लगाया जाता है जो कि अधिनियम की धारा 7 में बताया गया है।
धारा 7 के अनुसार माध्यस्थम् करार (Arbitration Agreement):-
“माध्यस्थम् करार” से मतलब उस मध्यस्थ से है जिनको उन सभी या कुछ विवादों को माध्यस्थम द्वारा निपटान करने के लिये पक्षकारों द्वारा एक करार से अभिप्रेत किया गया है जो उद्भूत हो गये हैं या उद्भूत हो सकते हैं।
सारिका पीठ संस्थान बनाम वंशी लाल रैना के मामले मे यह भी कहा गया है की माध्यस्थम करार का कोई प्रारूप निश्चित नही होता है परन्तु यह लिखित होना चाहिए। किन्तु किसी रजिस्टर्ड सोसाइटी के संविधान में मध्यस्थम का उल्लेख मध्यस्थम करार नहीं माना गया है।
माध्यस्थम करार एक प्रकार की व्यापारिक संविदा के अन्तर्गत एक प्राविधान (a Clause of Arbitration) के रूप में हो सकता है। या फिर यह कहा जा सकता है कि दोनों पक्षों के द्वारा माध्यस्थम का आशय रखने के कारण आपसी पत्र-व्यवहार के टेलेक्स, टेलीफोन, टेलीग्राम या अन्य संचार माध्यमों के द्वारा जहाँ बातचीत का रिकार्ड मिल सके उसमे भी माध्यस्थम करार मान लिया जाता है।
अन्तर्राष्ट्रीय वाणिज्यिक माध्यस्थम् :-
धारा 2 (1) (f) के अनुसार अन्तर्राष्ट्रीय वाणिज्यिक मध्यस्थ एक विधिक नातेदारी से उद्भूत होने वाले विवादों से सम्बन्धित एक माध्यस्थम् है। चाहे वह भारत की लागू किसी विधि के अधीन वाणिज्यिक के समान संविदात्मक समझा जाये या न समझा जाये और वहाँ पक्षकारों में कम से कम एक हो।
1. एक व्यक्ति जो भारत से भिन्न किसी दूसरे देश का आभ्यासिक तौर पर निवासी हो या वहा का नागरिक हो।
2. एक निगमित निकाय , जिसे भारत से भिन्न किसी दूसरे देश से सम्मिलित किया जाता हो।
3. एक कम्पनी या कंपनी एक संगम या उन व्यक्तियों का निकाय जिसका केन्द्रीय प्रबन्धन और नियंत्रण भारत से भिन्न किसी देश से किया जाता हो। या
4. एक विदेशी सरकार।
अंतर्राष्ट्रीय मध्यस्थता विभिन्न राष्ट्रीयताओं के व्यवसायों के बीच अंतर्राष्ट्रीय विवाद तथा उनके समाधान का प्रमुख रूप है। जिसमे विदेशी निवेशकों और राज्यों के बीच भी यह एक सहमति को दर्शाती है। जिसमे तटस्थ, बंधन, अंतर्राष्ट्रीय विवाद समाधान के निजी और प्रवर्तनीय साधन जो आमतौर पर घरेलू अदालती कार्यवाही की तुलना में अधिक तेज़ और कम खर्चीला होता है। इसे कभी-कभी अंतर्राष्ट्रीय विवाद समाधान का एक संकर रूप भी कहा जाता है। चूंकि यह सिविल कानून और सामान्य कानून प्रक्रिया के तत्वों को मिश्रित करता है। तथा यह पार्टियों को प्रक्रियात्मक नियमों को डिजाइन करने का अवसर प्रदान करते हुए जिसके तहत उनके विवाद को हल किया जाता है।
कंपनियां अक्सर अन्य राज्यों में स्थित व्यवसायों के साथ अपने वाणिज्यिक अनुबंधों में अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता समझौते को शामिल करती हैं। जिससे कि यदि कोई विवाद उत्पन्न होता है तो वे एक विदेशी अदालत के समक्ष मुकदमेबाजी का पीछा करने के बजाय तटस्थ मध्यस्थों के समक्ष मध्यस्थता करने के लिए बाध्य होते हैं। जिसमे निवेशक-राज्य मध्यस्थता द्विपक्षीय या बहुपक्षीय निवेश संधियों के आधार पर राज्यों के खिलाफ विदेशी निवेशकों द्वारा मध्यस्थता की कार्यवाही की चिंता, या मध्यस्थता के लिए सहमति प्रदान करने वाले घरेलू कानून भी लागू होता है।
घरेलू मध्यस्थता कानून किसी भी अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता कानून में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। जिसके अंतर्गत घरेलू मध्यस्थता कानून मध्यस्थ न्यायाधिकरण की नियुक्ति की विधि से संबंधित नियम निर्धारित करते हैं। जिसमे कार्यवाही की अवधि, अंतरिम उपायों की उपलब्धता, मध्यस्थ पुरस्कारों का प्रवर्तन, मध्यस्थता पुरस्कारों की घोषणा, सूट विरोधी निषेधाज्ञा की उपलब्धता, लागत के लिए सुरक्षा आदि शामिल होती है।
मध्यस्थता और मध्यस्थता के नोटिस के अनुरोधों में कुछ जानकारी को शामिल होना आवश्यक होता है जो कि विवाद के प्रबंधन के संस्थान के नियमों पर निर्भर करता है। जिसमे सामान्य रूप से मध्यस्थता के लिए एक अनुरोध या पंचाट के एक नोटिस में प्रत्येक पक्ष के नाम होने चाहिए। तथा पार्टियों के नाम’ प्रतिनिधि, दावों को जन्म देने वाले विवाद का विवरण, मांगी गई राहत का विवरण, मध्यस्थता खंड युक्त समझौते का विवरण, एक या अधिक मध्यस्थों की पसंद, मध्यस्थता के स्थान का विवरण, मध्यस्थता को नियंत्रित करने वाले कानून के लागू नियम और मध्यस्थता की भाषा का एक संकेत आदि वर्णित होना चाहिए। जिसमे पार्टी अनुरोध के साथ सहायक दस्तावेजों को जमा करती हैं। या फिर इसमे मध्यस्थता के नोटिस के लिए नियमों के तहत सहायक दस्तावेजों की आवश्यकता नहीं होती है और आम तौर पर यह सीमित होते हैं क्योंकि मध्यस्थता के दौरान पूरे सबूतों का उत्पादन किया जाएगा।
इंटरनेशनल आर्बिट्रेशन लॉ फर्म मध्यस्थता के लिए मॉडल अनुरोध किया है और मध्यस्थता के नोटिस उपलब्ध हैं।
अक्सर यह माना जाता है कि अधिकांश अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता मामलों को पार्टियों के बीच सीधे निपटारे के माध्यम से हल किया जाता है। या फिर वापस ले लिए जाते है। जिसमे अंतिम मौखिक सुनवाई के लिए अपेक्षाकृत कम कार्यवाही के साथ होती है।
अंतर्राष्ट्रीय वाणिज्यिक मध्यस्थता किसी भी राज्य की कार्यपालिका से स्वतंत्र होने वाले निर्णय की एक सामान्य प्रक्रिया मात्र है जो विधायी और न्यायिक शक्तियां जिनके द्वारा सीमा पार अनुबंध करने के लिए पक्ष एक मध्यस्थ को विवाद प्रस्तुत करने के लिए सहमत होते हैं । या मध्यस्थों के पैनल, आमतौर पर जो कि तीन होते है । यह एक अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता संस्था के द्वारा या तो सीधे पार्टियों द्वारा या पार्टियों के लिए नामित या अधिक शायद ही कभी एक राष्ट्रीय अदालत के द्वारा पार्टियों द्वारा चुने गए प्रक्रिया के नियमों के अनुसार एक अंतिम और बाध्यकारी पुरस्कार जारी करने के तरीके से उनके विवाद को हल करने के लिए उन्हें सुनवाई का अवसर प्रदान करता है।
अंतरराष्ट्रीय वाणिज्यिक मध्यस्थता अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता समझौता अक्सर अनुबंध में निहित होता है। जिसका उद्देश्य राष्ट्रीय घरेलू अदालतों के बजाय मध्यस्थता के विवाद को संदर्भित करने के लिए पार्टियों की सहमति को रिकॉर्ड करता है। बाद मे यह विवाद को सुनने के लिए विशेष रूप से गठित अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता न्यायाधिकरण द्वारा प्रदान किए गए अंतिम पुरस्कार से बाध्य होता है।