Capital budgeting (पूंजी बजट) का अर्थ, परिभाषा तथा Capital Budgeting के प्रकार का वर्णन

पूंजी बजट का अर्थ( Meaning of Capital Budgeting) –

कहते हैं इसका मतलब पूंजी के खर्च और पूंजी के आय से हैं | यह उन सैक्टर को दिखाता हैं जहा व्य्य होता हैं | यह फ़ाइनेंष्यल need को दिखाता हैं | यह पूंजी यानि की कैपिटल रिसीप्ट और कैपिटल पेमेंट को दिखाती हैं | यह वह आमदनी हैं जो अपने दायित्व को पूरा करके लाभ प्रदान करे | और जो दायित्व का स्रजन हो रहा हैं | यह वित्तीय संपत्ति को कम करती हैं |यह पूंजीगत आय होती हैं |

सबसे पहले कंपनी डिसाइड करती हैं की कहा कहा हम इन्वेस्ट कर सकते हैं | और कितने मात्रा मे कर सकते हैं हमे उसका भविष्य मे कितना लाभ मिलेगा और उसमे कितना समय लगेगा |

जिसको कंपनी ने पहचान लिया इससे जादा रिटर्न मिल रहा हैं उसको सिलैक्ट कर लेता हैं |

फिर हम उसको चेक करते हैं और अगर कोई changement उसमे करना होता हैं तो कर लेते हैं |

किसको एक्सैप्ट किया जाये किसको रिजैक्ट ये जानने के लिए रिटर्न जब कॉस्ट से जादा हो तो प्रोजेक्ट एक्सैप्ट कर लेते हैं |

कैपिटल rationing वो डिसिजन हैं जिसमे पैसा कम और प्रोजेक्ट जादा होता हैं और हमे उनमे से किसी ऐसे प्रोजेक्ट को चुनना होगा जिसमे कम पैसे से जादा लाभ मिल सके और समय भी कम लगे | इस  तरह के प्रोजेक्ट मे कई प्रोजेक्ट होते हैं हमे उनमे से कुछ को चुनना होता हैं | और फिर उनका PI निकाल कर देखना होता है कौन सा जादा अच्छा हैं | और हम उसमे पैसा इन्वेस्ट करते हैं |

जिसमे 2 प्रोजेक्ट हो जिससे जादा रिटर्न हो उसको सिलैक्ट कर लेते हैं |

capital budgeting के हिस्से के रूप में, एक कंपनी संभावित परियोजना के जीवनकाल के नकदी प्रवाह और बहिर्वाह का आकलन करने के लिए यह निर्धारित कर सकती है कि क्या संभावित रिटर्न उत्पन्न होगा जो एक पर्याप्त लक्ष्य बेंचमार्क को पूरा करेगा। इस प्रक्रिया को निवेश मूल्यांकन के रूप में भी जाना जाता है।

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budget काम करने से पहले बनाया जाता हैं | जिससे कार्य को सुचारु रूप से चलाया जा सकता हैं हमे देखना हैं की भविष्य मे जितना पैसा लगाना हैं उतना पैसा हमारे पास हैं या नही अगर नही हैं तो क्या हम कही से ले सकते हैं यानि की बजट का मतलब भविष्य मे होने वाले खर्चे और लाभ का अनुमान लगाना हैं | यह निष्कर्ष निकालना है की भविष्य कैसा होगा हमे यह कार्य करना हैं या नही |

इसमे 2 प्रकार हैं जिसमे बजट बनाना और बजट का विश्लेषण करना |

यदि 2 प्रोजेक्ट हैं तो initial investment बहुत जरूरी होता हैं इसका मतलब जब प्रोजेक्ट सूरू करोगे तो कितना पैसा होना चाहिए| और कुछ फ़िक्स्ड अससेस्ट्स खरीदनी पड़ती हैं ,installation cost भी देखते हैं | cost of expance कितना होगा ,ये सब इसमे देखते हैं|

बजट अनुमानित होता हैं यह पूरा सही नही होता पर उसका अनुमान लगाया जाता हैं | और उस अनुसार हम पूंजी को लगाते हैं |

कैपिटल बजटिंग का उपयोग कंपनियों द्वारा प्रमुख परियोजनाओं और निवेशों का मूल्यांकन करने के लिए किया जाता है, जैसे कि नए पौधे या उपकरण।

आधुनिक समय में पूंजी का एक कुशल आवंटन सबसे महत्वपूर्ण कार्य है। इसमें लंबी अवधि की संपत्ति के लिए फर्म के फंड को करने के निर्णय शामिल होता   इस तरह के निर्णय फर्म के लिए काफी महत्व के हैं क्योंकि वे इसके विकास, लाभप्रदता और जोखिम को प्रभावित करके इसके मूल्य का आकार निर्धारित करते हैं।

NPV METHOD – इसको पड़ते समय टाइम का बहुत महत्व हैं इसको टाइम वैल्यू मनी भी कहते हैं| जैसे जब आप कोई पैसा बैंक मे डालते हैं तो टाइम के साथ पैसा बढ़ता हैं बैंक उसपर इन्टरेस्ट देती हैं | तो हम जब पैसा किसी जगह इन्वेस्ट करते हैं तो उससे भी हम इन्टरेस्ट चाहते हैं और यह हर साल उसमे बढ़ता रहता हैं | इसमे जो पैसा हम लगाते हैं वह present वैल्यू होती है कल जो हमे मिलता हैं वह फ्युचर वैल्यू होता हैं | जब कोई इन्वैस्टर किसी प्रोजेक्ट मे पैसा लगाता हैं और 10 रूप डिस्काउंट चाहता हैं तो वह expected rate होता हैं | इसका फॉर्मूला होता हैं present value (1+ र) इसको हम डिस्काउंट कैश फ्लो भी कहते हैं |

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पेबैक अवधि विधि (pay back period method)-

जैसा कि नाम से पता चलता है यह विधि उस अवधि को  करती है जिसमें प्रस्ताव किए गए प्रारंभिक निवेश को पुनर्प्राप्त करने के लिए नकदी उत्पन्न करेगा। इसमे कितना पैसा कब आया और कब गया इसका अनुमान लगाया जाता हैं | प्रोजेक्ट मे किसमे पैसा जल्दी आ जाएगा उसमे लगाते हैं |

शुद्ध वर्तमान मूल्य (NPV) विधि-

मूल नकदी के मौजूदा मूल्यों की तुलना मूल निवेश से की जाती है। यदि उनके बीच का अंतर सकारात्मक है (+) तो इसे स्वीकार किया जाता है या अन्यथा अस्वीकार कर दिया जाता है। यह विधि पैसे के समय के मूल्य पर विचार करती है।

NPV = PVB – PVC

Discount cash flow Methods 

यह तकनीक ब्याज कारक और पेबैक अवधि के बाद वापसी को ध्यान में रखती है।

रिटर्न की आंतरिक दर (IRR)-

यह उस दर के रूप में परिभाषित किया गया है जिस पर निवेश का शुद्ध वर्तमान मूल्य शून्य है। रियायती नकदी प्रवाह रियायती नकदी बहिर्वाह के बराबर है। । इसे आंतरिक दर कहा जाता है क्योंकि यह पूरी तरह से परियोजना से जुड़े परिव्यय और आय पर निर्भर करता है |

रिटर्न विधि की विधि (ARR)-

यह मानदंड पर काम करता है कि प्रबंधन द्वारा स्थापित न्यूनतम दर से अधिक एआरआर वाली किसी भी परियोजना पर विचार किया जाएगा और पूर्व निर्धारित दर से नीचे वालों को अस्वीकार कर दिया जाएगा।

यह विधि परियोजना के संपूर्ण आर्थिक जीवन को तुलना का एक बेहतर साधन प्रदान करती है। यह शुद्ध कमाई की अवधारणा के माध्यम से परियोजनाओं की अपेक्षित लाभप्रदता के मुआवजे को भी सुनिश्चित करता है। हालाँकि, यह विधि पैसे के समय मूल्य को भी नजरअंदाज करती है और परियोजनाओं की लंबाई पर विचार नहीं करती है। साथ ही

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लाभप्रदता सूचकांक (PI)-

लाभप्रदता सूचकांक (पीआई) या लाभ लागत (बीसी) अनुपात की गणना कर सकते हैं| यह एक प्रोजेक्ट को चुनने का तरीका हैं | यह प्रोजेक्ट को कैसे चुने बताता हैं | अगर कई प्रोजेक्ट हैं तो PI के अनुसार चुनते हैं |

यह present value of cash inflow/ present value of cash outflow

यह इसका फॉर्मूला हैं | इसको present value of cash benefit/ present value of cash

हर कंपनी का यह आशय होता हैं की कैसे पैसे लगाए की लाभप्रदता जादा हो | इसका मतलब अगर आप पैसा यहा न लगा कर कही और लगाते तो कितना पैसा मिलता इस अनुसार इसकी तुलना करते हैं |

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