संविधान के अनुच्छेद 51( क ) के अनुसार मूल कर्तव्य (fundamental duties) क्या हैं । इसकी विवेचना तथा मौलिक कर्तव्य का महत्व का वर्णन

मूल कर्तव्य (fundamental duties) एक परिचय-

भारतीय संविधान के अनुसार भारत के प्रत्येक व्यक्ति के मूल कर्तव्य क्या हैं

भारतीय संविधान के अनुसार भारत के प्रत्येक व्यक्ति के मूल कर्तव्य –

पार्ट 4A को संविधान के 42 संशोधन में समलित किया गया हैं | 42 वे संविधान संशोधन का ऑब्जेक्ट्स और उसके रीज़न ने एक नये चैप्टर का निर्माण किया | भारतीय संविधान में ऐसा कोई  प्रावधान नही हैं जो की नागरिको के मूल कर्तव्य  को परिभाषित करती हैं |29 मई 1978 को संवैधानिक सुधारों पर विचार करने के लिए  सरदार स्वर्ण सिंह समिति गठित की गई। निदेशक तत्वों जो कि  (भाग-4) के बाद मूल कर्तव्य शीर्षक से एक नया भाग-4(क) जोड़ा गया। हालांकि पहले स्वर्ण सिंह समिति ने अपनी संपत्ति में 8 मौलिक कर्तव्यों का सुझाव दिया पर बाद मे स्वर्ण सिंह समिति की अनुशंसाओं के आधार पर 42 वें संविधान संशोधन अधिनियम 1976 द्वारा अनुच्छेद 51 (क)  संविधान में जोड़ा गया तथा संविधान में 10 मौलिक कर्तव्य को शामिल किया गया।

आईये जानते हैं मूल कर्तव्य कौन कौन से हैं |

article 51A- article 51 A के अनुसार प्रत्येक नागरिक के मूल कर्तव्य इस प्रकार हैं|

भारतीय संविधान के अनुसार चले और उनकी रक्षा करे|

स्वतंत्रता के लिए किये गए आन्दोलन को प्रेरित करने वाले आदर्शो का पालन करे|

भारत की प्रभुता, एकता और अखंडता की रक्षा करे और उसे कायम रखे|

देश की रक्षा करे तथा देश की रक्षा हेतु बुलाये जाने पर देश सेवा करे|

भारत के सभी लोंगो के बीच समरसता और भाईचारे की भावना जागृत करे जो धर्म,भाषा,वर्ग,प्रदेश पर आधारित भेद भाव न करती हो तथा ऐसी प्रथाओ का त्याग करे जो स्त्री का आदर न करती हो|

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हमारी भारतीय परम्पराओ ,संस्कृति का सम्मान करे और उसको सम्हाल कर रखे|

प्राकृतिक पर्यावरण के  अंतर्गत वन, झील, नदी तथा  वन्य जीव आदि आते हैं उनकी  रक्षा करे और उसका संवर्धन करे और प्राणियो के प्रति दयाभाव रखे|

भारतीय संपत्ति जो की पब्लिक संपत्ति हैं उसकी देख रेख करे उसको सम्हाल कर रखे|

व्यक्तिगत एवं  सामूहिक गतिविधियों के सभी क्षेत्रों में उत्कर्ष की भावना रखे  और  राष्ट्र के निरंतर विकास के लिए  प्रयत्न करे  और उपलब्धि प्राप्त करे|

जो भी माता-पिता या संरक्षक है अपने छह वर्ष से चौदह वर्ष तक की आयु वाले अपने बच्चो को यथास्थिति  प्रतिपाल्य के लिए शिक्षा के अवसर प्रदान करे।

इस पर आधारित एक केस लॉ इस प्रकार हैं |

D.D vyas vs Ghaziabad development authority AIR 1993 –

इस केस लॉ के अनुसार प्राकृतिक संसाधनों की रक्षा करे पब्लिक पार्क आदि की सुरक्षा करे | खाली जगह पर पेड़ पौधे लगाये ,बंजर भूमि को उपजाऊ बनाये URBAN PLANNING AND DEVELOVMENT AUTHORITY द्वारा पार्क का सुन्दरीकरण ना करना भी मूल कर्तव्य के विरुद्ध हैं|

आर्टिकल 51 A के अनुसार –

कोई भी राज्य मूल कर्तव्य को जाति के अनुसार नही बाँट सकता | सभी सदस्यों की राज्य के प्रति सामान जिम्मेदारी होती हैं| कोई रिजर्वेशन जो संविधान में लिखित हैं और सभी के द्वारा मान्य हैं वह सभी के हित के लिए हैं चाहे रिजर्वेशन हो या कोई अन्य देश की उन्नति के लिए आवश्यक हैं उसको दिया जाना चाहिए |आज के GLOBLISATION के दौर में सारे देश एक समाज की तरह हैं कोई भी देश अपनी प्रभुता अखंडता से समझौता नही करेगा |सभी एक दुसरे को कड़ी टक्कर दे रहे हैं |मूल कर्तव्य को कोर्ट के रिट द्वारा नही कराया जा सकता हैं यह बाध्यकारी नही हैं|परन्तु यह हमे समाज में रहने का तौर तरीका सिखाता हैं|

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भारतीय संविधान में मूल कर्तव्य का महत्व-

भारतीय संविधान के मूल कर्तव्य नागरिको को अच्छे विचार लाने और उसको सुरछित रखने में सहायता करते हैं|तथा भारत की प्रभुता ,एकता, और अखंडता बनाये रखने में सहायता करते हैं अन्य देशो में भी मूल कर्तव्य को लेकर कोई लिखित परिभाषा उपलब्ध नही हैं| यह मानवता हैं जो नागरिको को उनका कर्तव्य याद दिलाती हैं| ऐसा ही अक देश संयुक्त राज्य अमेरिका हैं जो सबसे अच्छा  उदाहरण माना जा सकता है। अमेरिका द्वारा  अमेरिकी नागरिकों को  एक दस्तावेज़ जारी किया जाता है  जिसमें सभी नागरिकों के कर्तव्यों का विवरण दिया होता है। सभी नागरिको का यह कर्तव्य हैं कि वह अपने देश के राष्टीय भावना को समझे और उनका अनुपालन करे जिससे देश की एकता अखंडता और प्रभुता को चोट ना पहुंचे |

ENFORCEMENT OF FUNDAMENTAL DUTIES IN THE CONSTITUTION-

जहा एक तरफ भारतीय संविधान नागरिको को कुछ अधिकार प्रदान करते हैं | वही  राज्य सरकार को भी सकती प्रदान करते हैं की इसका दुरूपयोग होने पर इसको रोका जा सके| ये अधिकार नागरिको को तभी प्रदान किये जा सकते हैं | जब वह अपने कर्तव्य का अच्छे से पालन करे | और इसके लिए राज्य सरकार जरुरी कानून बना सकती हैं और उसमे संशोधन कर सकते हैं जैसे की PREVENTION OF INSULT TO NATIONAL HONOURS ACT 1971 के अनुसार कोई भी जब राज् अपने देश का अपमान करता हैं तो वह सजा का हक़दार हैं| इससे सम्बंधित पार्लियामेंट को यह अधिकार दिया गया हैं की वह इसके लिए रूल बनाये तथा लोंगो को उनके कर्तव्य के बारे में उन्हें जागरूक करे|

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BIJIO EMMANNUEL VS STATE OF KERELA के अनुसार सुप्रीम कोर्ट ने यह कहा की सभी छात्रो को राष्ट गान का सम्मान करना चाहिए तथा रास्त गान के सम्मान में सभी को खड़े होकर शांति से  राष्ट गान गाना चाहिए अगर कोई राष्ट गान में सम्मलित नही होता हैं तो यह राष्ट का अपमान होगा |

CHANDRA BHAWAN BOARDING AND LODGING VS STATE OF MYSORE  के अनुसार एक नागरिक कि कर्तव्य दुसरे का अधिकार होता हैं अगर सभी बस अधिकार प्राप्त करेंगे तो कर्तव्य कौन करेगा मतलब जब एक व्यक्ति कर्तव्य करेगा तभी दुसरे के अधिकारों की पूर्ति होगी|

M.C MEHTA VS UNION OF INDIA AIR 1988- इस केस में कोर्ट ने कहा हैं कि यह सेंट्रल गवर्नमेंट कि ड्यूटी हैं की हफ्ते में एक बार १ या 2 घंटे कम से कम सभी संस्थानों ,स्कूल में पर्यावरण की शिक्षा दी जानी चाहिए |पर्यावरण के सुधार एवं रखरखाव के बारे में देश को जागृत करना चाहिए |सेंट्रल गवर्नमेंट को पर्यावरण की किताबे लिखानी चाहिए और संस्थानों में इसका मुफ्त वितरण करना चाहिए |कोर्ट ने कहा की गवर्नमेंट को मूल कर्तव्यो की रक्षा हेतु नियम बनाने चाहिए और उसका पालन कराने की व्यवस्था होनी चाहिए |

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