भारत का संविधान अनुच्छेद 201 से 205 तक

जैसा की आप सबको पता ही है कि भारत का संविधान अनुच्छेद 195  से लेकर के 200 तक हम पहले ही वर्णन कर चुके हैं। इस पोस्ट पर हम भारत का संविधान अनुच्छेद 200 से लेकर के 205   तक आप को बताएंगे अगर आपने इससे पहले के अनुच्छेद नहीं पढ़े हैं तो आप सबसे पहले उन्हें पढ़ ले जिससे कि आपको आगे के अनुच्छेद पढ़ने में आसानी होगी।

अनुच्छेद 201

अनुच्छेद 201. विचार के लिए आरक्षित विधेयक को बताया गया है।

इसके अनुसार

जब कोई विधेयक राज्यपाल द्वारा राष्ट्रपति के विचार के लिए आरक्षित रख लिया जाता है।  तब राष्ट्रपति घोषित करेगा कि वह विधेयक पर अनुमति देता है या अनुमति रोक लेता है ।

परंतु जहां विधेयक धन विधेयक नहीं है।  वहाॅं राष्ट्रपति राज्यपाल को यह निर्देश दे सकेगा कि वह विधेयक को, यथास्थिति, राज्य के विधानमंडल के सदन या सदनों को ऐसे सन्देश के साथ, जो अनुच्छेद 200 के पहले परन्तुक में वर्णित हैं।  लौटा दे और जब कोई विधेयक इस प्रकार लौटा दिया जाता है । तब ऐसा संदेश मिलने की तारीख से छह मास की अवधि के भीतर सदन या सदनों द्वारा उस पर तदनुसार पुनर्विचार किया जाएगा और यदि वह सदन या सदनों द्वारा संशोधन सहित या उसके बिना फिर से पारित कर दिया जाता है।  तो उसे राष्ट्रपति के समक्ष उसके विचार के लिए फिर से प्रस्तुत किया जाएगा ।

अनुच्छेद 202

इसके अनुसार  वार्षिक वित्तीय विवरण को बताया गया है। जिसमे —

(1) राज्यपाल प्रत्येक वित्तीय वर्ष के सम्बन्ध में राज्य के विधानमंडल के सदन या फिर सदनों के समक्ष उस राज्य की जो कि उस वर्ष के लिए प्राक्कलित प्राप्तियों और व्यय का विवरण रखूंगा । जिसे इस भाग में ”वार्षिक वित्तीय विवरण” कहा गया है ।

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(2) वार्षिक वित्तीय विवरण में दिये हुए व्यय के प्राक्कलनों में-

(क) इस संविधान में राज्य की संचित निधि पर भारित व्यय के रूप में वर्णित व्यय की पूर्ति के लिए अपेक्षित राशियाँ, और
(ख) राज्य की संचित निधि में से किये जाने के लिए प्रस्थापित अन्य व्यय की पूर्ति के लिए अपेक्षित राशियों,
पृथक-पृथक दिखाई जाएंगी और राजस्व लेखे होने वाले व्यय का अन्य व्यय से भेद किया जाएगा।

(3) निम्नलिखित व्यय प्रत्येक राज्य की संचित निधि पर भारित व्यय होगा
अर्थात
(क) राज्यपाल की उपलब्धियों और भत्ते तथा उसके पद से सम्बन्धित अन्य व्यय
(ख) विधान सभा के अध्यक्ष और उपाध्यक्ष के तथा विधान परिषद वाले राज्य की दशा में विधान परिषद के सभापति और उपसभापति के भी वेतन और भत्ते
(ग) ऐसे ऋण भार जिनका दायित्व राज्य पर है, जिनके अंतर्गत ब्याज, निक्षेप निधि भार और मोचन भार तथा उधार लेने और ऋण सेवा और ऋण मोचन से सम्बन्धित अन्य व्यय हैं
(घ) किसी उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों के वेतनों और भत्तों के सम्बन्ध में व्यय
(ड.) किसी न्यायालय या माध्यस्थम अधिकरण के निर्णय, डिक्री या पंचाट की तुष्टि के लिए अपेक्षित राशियों
(च) कोई अन्य व्यय जो इस संविधान द्वारा या राज्य के विधानमंडल द्वारा, विधि द्वारा, इस प्रकार भारित घोषित किया जाता है ।

अनुच्छेद 203-

 विधान मण्डल में प्राक्कलनों के सम्बन्ध में प्रक्रिया:
(1) प्राक्कलनों में से जितने प्राक्कलन राज्य की संचित निधि पर भारित व्यय से संबंधित हैं वे विधानसभा में मतदान के लिए नहीं रखे जाएंगे, किन्तु इस खण्ड की किसी बात का यह अर्थ नहीं लगाया जाएगा कि वह विधान-मण्डल में उन प्राक्कलनों में से किसी प्राक्कलन पर चर्चा को निवारित करती है ।

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(2) उक्त प्राक्कलनों में से जितने प्राक्कलन अन्य व्यय से सम्बन्धित हैं वे विधान सभा के समक्ष अनुदानों की मांगों के रूप में रखे जाएंगे और विधान सभा को शक्ति होगी कि वह किसी मांग को अनुमति दे या अनुमति देने से इंकार कर दे अथवा किसी मांग को, उसमें विनिर्दिष्ट रकम को कम करके, अनुमति दे ।

(3) किसी अनुदान की मांग राज्यपाल की सिफारिश पर ही की जाएगी, अन्यथा नहीं ।

अनुच्छेद 204

 विनियोग विधेयक

अनुच्छेद 204(1) विधानसभा द्वारा अनुच्छेद 203 के तहत अनुदान दिए जाने के बाद जितनी जल्दी हो सके, राज्य की संचित निधि से मिलने के लिए आवश्यक सभी धन के विनियोग के लिए एक विधेयक पेश किया जाएगा।

(ए) विधानसभा द्वारा इस प्रकार किए गए अनुदान; तथा

(बी) राज्य की संचित निधि पर प्रभारित व्यय लेकिन किसी भी स्थिति में सदन या सदनों के समक्ष रखे गए विवरण में दर्शाई गई राशि से अधिक नहीं।

अनुच्छेद 204(2) राज्य के विधान मंडल के सदन या किसी भी सदन में किसी भी ऐसे विधेयक में कोई संशोधन प्रस्तावित नहीं किया जाएगा, जो इस प्रकार किए गए किसी अनुदान की राशि को बदलने या गंतव्य को बदलने या किसी व्यय की राशि को बदलने का प्रभाव डालेगा। राज्य की संचित निधि पर भारित होगा, और इस खंड के अधीन कोई संशोधन अस्वीकार्य है या नहीं, इसकी अध्यक्षता करने वाले व्यक्ति का निर्णय अंतिम होगा।

अनुच्छेद 204(3) अनुच्छेद 205 और 206 के प्रावधानों के अधीन, इस लेख के प्रावधानों के अनुसार पारित कानून द्वारा किए गए विनियोग के अलावा, राज्य की संचित निधि से कोई पैसा नहीं निकाला जाएगा

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अनुच्छेद 205

 अनुपूरक, अतिरिक्त या अधिक अनुदान–

(1) यदि:–
(क) अनुच्छेद 204 के उपबंधों के अनुसार बनाई गयी किसी विधि द्वारा किसी विशिष्ट सेवा पर चालू वित्तीय वर्ष के लिए व्यय किये जाने के लिए प्राधिकृत कोई रकम उस वर्ष के प्रयोजनों के लिए अपर्याप्त पाई जाती है या उस वर्ष के वार्षिक वित्तीय विवरण में अनुध्यात न की गयी किसी नई सेवा पर अनुपूरक या अतिरिक्त व्यय की चालू वित्तीय वर्ष के दौरान आवश्यकता पैदा हो गयी है, या
(ख) किसी वित्तीय वर्ष के दौरान किसी सेवा पर उस वर्ष और उस सेवा के लिए अनुदान की गयी रकम से अधिक कोई धन व्यय हो गया है,
तो राज्यपाल, यथास्थिति, राज्य के विधानमंडल के सदन या सदनों के समक्ष उस व्यय की प्राक्कलित रकम को दर्शित करने वाला दूसरा विवरण रखूंगा या राज्य की विधान सभा में ऐसे आधिक्य के लिए मांग प्रस्तुत करेगा ।

(2) ऐसे किसी विवरण और व्यय या मांग के संबंध में तथा राज्य की संचित निधि में से ऐसे व्यय या ऐसी मांग से सम्बन्धित अनुदान की पूर्ति के लिए धन का विनियोग प्राधिकृत करने के लिए बनाई जाने वाली किसी विधि के सम्बन्ध में भी, अनुच्छेद 202, अनुच्छेद 203, और अनुच्छेद 204 के उपबन्ध वैसे ही प्रभावी होंगे जैसे वे वार्षिक वित्तीय विवरण और उसमें वर्णित व्यय के संबंध में या किसी अनुदान की किसी मांग के सम्बन्ध में और राज्य की संचित निधि में से ऐसे व्यय या अनुदान की पूर्ति के लिए धन का विनियोग प्राधिकृत करने के लिए बनाई जाने वाली विधि के सम्बन्ध में प्रभावी हैं ।

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