INFORMATION TECHNOLOGY ACT 2000 के सेक्शन 1 और 2 का अध्ययन

INTRODUCTION सेक्शन 1 इंफोर्मेशन का अर्थ होता है सूचना और टेक्नोलॉजी का अर्थ कंप्यूटर के माध्यम से किया जाने वाला कार्य अर्थात इंफोर्मेशन टेक्नोलॉजी को हम यह कह सकते हैं की कंप्यूटर के मध्यम से किसी सूचना को बनाना, सुरक्षित रखना या दुसरो तक पहुँचाना है।

इंफोर्मेशन टेक्नोलॉजी का उद्देश्य-अगर हम विस्तृत् शब्दो मे इंफोर्मेशन टेक्नोलॉजी को बताये तो यह ज्ञान का विकास इलेक्ट्रॉनिक डाटा के रूप मे करना जिसको हम इलेक्ट्रॉनिक संचार करना भी कह सकते है। इलेक्ट्रॉनिक कॉमर्स कहलाता है। 
यह सरकारी संस्था के साथ मिलकर इलेक्ट्रॉनिक डॉक्यूमेंट का प्रचार प्रसार करता है और उसको सुरक्षित रखता है। 

यह IPC, indian evidence act, bankers book evedience act, reserve Bank of india act मे संशोधन करते हुए डॉक्यूमेंट को इलेक्ट्रॉनिक रूप मे पेश किया। 
ऐसा डॉक्यूमेंट या ट्रांज़ैक्शन जिसपर यह एक्ट लागू नही होता है। 

निगोसिएबल इंस्ट्रूमेंट जिसमे चेक सम्मलित नही है और जिसको निगोसिएबल इंस्ट्रूमेंट एक्ट के अंतर्गत परिभाषित किया गया हो। पॉवर ऑफ एटॉर्नी जो कि पॉवर ऑफ एटॉर्नी एक्ट के अंतर्गत परिभाषित किया गया हो। ट्रस्ट जिसको इंडियन ट्रस्ट एक्ट के अंतर्गत परिभाषित किया गया हो। विल जो कि भारतीय उत्तराधिकारी एक्ट 1925 की धारा 2 ह मे परिभाषित की गयी हो। ऐसी contract जो सेल ऑफ प्रोपेटी से संबंधित अस्थाई संपति के इंट्रेस्ट से संबंधित है। 

सेक्शन 2 मे आने वाली परिभाषाओं का विवरण-Access-Access जिसको हिंदी मे प्रवेश कहते है। इसका अर्थ किसी भी स्थान पर पहुँचना भी होता है। अर्थात् ऐसा विचारों का आदान प्रदान जो कंप्यूटर के माध्यम से कही भी पहुँच सकता है या उसको रख सकते है। 

Asymmetric crypto system-यह एक ऐसा सिस्टम है जिसके माध्यम से 2 चाभी एक प्राइवेट और दूसरी पब्लिक होती है। प्राइवेट चाभी का प्रयोग डिजिटल सिग्नेचर को बानाने और पब्लिक चाभी का प्रयोग उसको वेरिफाई करने के लिए प्रयोग की जाती है।

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Computer-
computer शब्द का प्रयोग लैट्टिन भाषा के कंप्यूटर से लिया गया है।इसका मतलब होता है कि किसी चीज का गणना करना है। इसका प्रयोग(Calculation)करने वाली मशीन या फिर program करने वाली मशीन के रूप मे होता है।

यह Binary अंकों की एक प्रोग्राम के माध्यम से Decimal अंको मे परिवर्तित करता है। कंप्यूटर को हम इस प्रकार परिभाषित कर सकते हैं। C-Commonly – आम तौर पर O-Operated -संचालित M-Machine -मशीन P-Particularly – विशेष रूप से U-Used for – प्रयुक्त T-Technology – तकनीक E-Education and -शैक्षिक R- reserch -अनुसंधान अतः हम कह सकते है कि कंप्यूटर एक इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस है जो प्रोग्राम के इनपुट को आउटपुट मे परिवर्तित कर हमको देती है। 

Computer network-
जब दो या 2 से अधिक कंप्यूटर आपस मे किसी भी तरीके से विचारों के अदांन प्रदान के लिए जुड़े होते है तो वह जिससे जुड़े होते है उसको नेटवर्क कहते हैं। 
कंप्यूटर नेटवर्क को डाटा नेटवर्क भी बोल सकते है।इसका उपयोग कई कंप्यूटरों के मध्य संवाद के माध्यम जिसको कम्युनिकेशन चैनेल भी कहा जाता है। उसके रूप में प्रयोग किया जाता हैं जिससे कंप्यूटरों के बीच डेटा के आदान प्रदान आशानी से हो सकें।

कंप्यूटर नेटवर्क के अंतर्गत एक कंप्यूटर द्वारा भेजा गया सिग्नल नेटवर्क से जुड़े हुए हर मशीन से होकर गुजरता हैं और तब तक गुजरता है जब तक डाटा पहुँच न जाये। 
विभिन्न प्रकार के नेटवर्क होते है।

जो एरिया के अनुसार बदलते रहते है जैसे लोकल एरिया नेटवर्क जिसको (LAN), मेट्रोपॉलिटन एरिया नेटवर्क जिसको (MAN) और वाइड एरिया नेटवर्क जिसको (WAN) कहते हैं और यह प्रमुख होते है। 

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Computer resourse-इसके अंतर्गत कंप्यूटर, कंप्यूटर का सॉफ्टवेयर, कंप्यूटर का सिस्टम, नेटवर्क डाटा आदि आते है। 

Computer system-सामान्य भाषा मे अगर हम कहे तो कंप्यूटर सिस्टम एक मशीन है जो गणना करती है। अलग अलग लोग इसको अलग अलग नामो से जान सकते है।  कंप्यूटर सिस्टम विभिन्न प्रकार के उपकरणों का एक सेट है जो डेटा तथा जानकारी को इनपुट, आउटपुट, प्रोसेस तथा स्टोर करता है। इसमें कंप्यूटर सिस्टम के कई भागों को जोड़ा जाता है। 

Digital signature-
जैसा कि आपको नाम से ही स्पस्ट हो रहा है डिजिटल signature यानी की signature का डिजिटल रूप। आपको तो पता है की हाथ से signature क्यो किया जाता है वैसे ही डिजिटल सिग्नेचर की भी उतनी ही महत्वपूर्ण है जितना कि हाथ से किए गए signature ।

आजकल लगभग सभी देशों मे Digital Signature की उपयोगिता और महत्व को देखते हुए इसे कानूनी तौर पर लागू कर दिया है भारत भी इसमे से एक है। जहा डिजिटल signature का प्रयोग हर जगह हो रहा है। भारत मे यह एक्ट 1 नवम्बर 2000 को पास कर दिया गया। 

डिजिटल हस्ताक्षर digital messages या documents की प्रामाणिकता की पुष्टि करने के लिए एक गणतीय रूप है जिसमे Digitally Signature के रूप मे एक विशेष कोड होता है जिसका उपयोग किसी भी ऑनलाइन डॉक्यूमेंट की प्रमाणिकता के लिए किया जाता है।
इसकी Value हाथ से किए गए Signature के बराबर होती है। जबकि हाथ से किए गए सिग्नेचर को बदला जा सकता है लेकिन digital signature के साथ ऐसा संभव नहीं होता है। 

Digital signature मे एक विशेष तरह के प्रोटोकॉल का इस्तेमाल होता हैं जिसे Public key Infrastructure कहते हैं। इसके इस्तेमाल से signature के डिटेल्स के आधार पर 2 तरह की key बनती है। पहली key Private key होती है।  दुसरी key Public key होती है। 

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Private key-
जब भी कोई डॉक्यूमेंट पर इलेक्ट्रॉनिक रूप से signature किया जाता है तो सिग्नेचर के Private key के द्वारा एक कोड Generate होता है जिसमे डॉक्यूमेंट को मैच करना और चेक करना और वेरीफाई करना शामिल होता है। ये Digital signature की ये मुख्य Security के रूप मे कार्य करता है। 

Public key-
डिजिटल सिग्नेचर डॉक्यूमेंट के साथ जुड़ जाता है। इसके साथ डॉक्यूमेंट को वेरिफाई करते समय Public key भी अपना कार्य करने लगती है। 
जब ये डॉक्यूमेंट प्राप्त कर्ता को प्राप्त होता है तो वो इसे सत्यापित करने के लिए डॉक्यूमेंट के साथ मिले Public key का इस्तेमाल करते है। और डॉक्यूमेंट वेरीफाइ हो जाता है। 

Secure system-Secure system का मतलब यहाँ हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर से है जो की बाहरी acess से डाटा को सुरक्षित रखते हैं। और डाटा को ऐसा बनाते है कि वह सही result दे सके और सभी के द्वारा मान्य हो। 

Originator- वह व्यक्ति जो डाटा को दूसरे व्यक्ति को भेजता है डाटा को बनाता है। डाटा को स्टोर करता है। और इलेक्ट्रॉनिक मेसेज भेजता है परंतु इसमे इंटर् मीडिएट शामिल नही होता है। 

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