भारतीय संविधान अनुच्छेद 252 से 254 Constitution of India Article 252 to 254

जैसा की आप सबको पता ही है कि भारत का संविधान (Constitution of India) अनुच्छेद(article) 249 से 251हम पहले ही वर्णन कर चुके हैं। 

इस पोस्ट पर हम भारत का संविधान (Indian constitution) अनुच्छेद (article) 252 से 254  तक आप को बताएंगे अगर आपने इससे पहले के अनुच्छेद नहीं पढ़े हैं तो आप सबसे पहले उन्हें पढ़ ले जिससे कि आपको आगे के अनुच्छेद पढ़ने में आसानी होगी।

भारतीय संविधान अनुच्छेद 252

  दो या दो से अधिक राज्यों के लिए उनकी सहमति से विधि बनाने की संसद की शक्ति और ऐसी विधि का किसी और राज्य के द्वारा अंगी कृत किया जाना

किस अनुच्छेद के अनुसार किन्ही दो या दो से अधिक राज्यों के विधान मंडलों के द्वारा यह यदि प्रतीत होता है कि इस विषय में से जिसमें कि इस संबंध में संसद को अनुच्छेद 249 और अनुच्छेद 250 में से किसी के द्वारा उप बंधित के सिवाय राज्यों के लिए विधि बनाने की शक्ति नहीं है। तो ऐसी दशा में किसी भी विषय का विनियमन ऐसे राज्यों में संसद विधि द्वारा करें या फिर यदि 1 राज्यों के विधान मंडलों के सभी सदस्य के साथ संकल्प पारित करते हैं जिससे कि उस विषय का उसके अनुसार विनियमन करने के लिए कोई अधिनियम पारित करना संसद के लिए विधि पूर्ण होगा और यह किस प्रकार पारित अधिनियम ऐसे सभी राज्यों को लागू किया जाएगा और ऐसे अन्य राज्यों को लागू होगा जो तत्पश्चात अपने विधानमंडल के सदन द्वारा जहां पर दो सदन है वह दोनों सदनों में से प्रत्येक सदन इस निमित्त पारित संकल्प के द्वारा उसको अंगीकृत करेगा।

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संसद के द्वारा इस प्रकार पारित किसी भी अधिनियम का यदि संशोधन या निरसन होता है तू वह इसी रीति से पारित या अंगीकृत संसद के अधिनियम के द्वारा किया जाएगा किंतु यदि उसका उस राज्य के संबंध में संशोधन या निरसन जो भी होगा जिसको वह लागू होता है उस राज्य के विधान मंडल के अधिनियम द्वारा नहीं किया जाएगा।

अनुच्छेद 253

अनुच्छेद के अनुसार अंतरराष्ट्रीय करो को प्रभावित करने के लिए विधान के बारे में बताया गया है।

इसके अनुसार इस अध्याय के पूर्व गांव में उप बंधुओं में किसी बात के होते हुए यदि संसद को किसी भी अन्य देश से या फिर किसी देशों के साथ की गई किसी संधि से किसी कारण से या फिर अभिमान अथवा किसी अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन संगम या किसी अन्य निकाय में किए गए किसी भी विनिश्चय प्रकार के क्रियान्वयन के लिए भारत को संपूर्ण राज्य थे या फिर उसके किसी भाग के लिए कोई विधि बनाने की शक्ति प्रदान करता है।

अनुच्छेद 254

इसमें संसद के द्वारा बनाई गई विधियों और राज्यों के विधान मंडल के द्वारा बनाई गई विधियों के बीच में असंगति को बताया गया है।

इसके अनुसार यदि किसी राज्य के विधान मंडल के द्वारा बनाई गई विधि का कोई उपबंध संसद द्वारा बनाई गई किसी विधि जिसमें की अधिनियमित करने के लिए संसद अगर सक्षम है तो वह किसी भी बंद के या फिर किसी भी समवर्ती सूची में जो प्र गणित विषय है उसके संबंध में विद्यमान विधि हैं उसके संबंध में किसी उपबंध कि यदि वह विरुद्ध है तो फिर खंड 2 के उप बंधुओं के अधीन रहते हुए यथास्थिति जो विधि बनाई जाएगी वह संसद के द्वारा बनाई जाएगी चाहे वह ऐसे राज्य के विधान मंडल द्वारा बनाई गई बिजी हो या फिर पहले से कोई भी हो या उसके बाद में प्रभावी कोई भी हो या फिर कोई विद्यमान विधि हों और उस राज्य के विधान मंडल के द्वारा बनाई गई विधि उस विरोध की मात्रा होगी।

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जहां पर किसी राज्य के विधान मंडल के द्वारा समवर्ती सूची में गणित यदि किसी विषय के संबंध में जो भी टीम बनाई गई है उसमें ऐसा कोई उपबंध अंतर बिष्ट है जो कि संसद के द्वारा बनाई गई विधि के पहले या फिर उस विषय के संबंध में किसी विद्वान विधि के बंधुओं के विरुद्ध है तो ऐसी दशा में किसी भी ऐसे राज्य के विधान मंडल के द्वारा जो इस प्रकार की बनाता है कि राष्ट्रपति के विचार के लिए आरक्षित रखा जाता है और उस पर उसकी अनुमति मिल गई है तो वह भी थी उस राज्य में अभी भावी होगी।

परंतु इस खंड की कोई भी बात संसद को उसी विषय के संबंध में जिस संबंध में कोई विधि जिसके अंतर्गत ऐसी विधि बनाई गई है जो कि राज्य के विधान मंडल के द्वारा इस प्रकार बनाई गई विधि में परिवर्तन हो संशोधन हो निरसन हो या फिर परिवर्धन हो तो किसी भी समय अधिनियमित करने में निवारित नहीं करेगी।

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