जैसा कि आप सभी को ज्ञात होगा इससे पहले की पोस्ट में दंड प्रक्रिया संहिता धारा 176 तक का विस्तृत अध्ययन करा चुके है यदि आपने यह धाराएं नहीं पढ़ी है तो पहले आप उनको पढ़ लीजिये जिससे आपको आगे की धाराएं समझने में आसानी होगी।
धारा 177
इस धारा के अनुसार जांच और विचारण का मामला स्थान को बताया गया है।
जिसमे की प्रत्येक अपराध की जांच तथा उसका विचारण मामूली तौर पर ऐसे न्यायालय द्वारा किया जाएगा । जिसकी स्थानीय अधिकारिता के अंदर वह अपराध किया गया है।
धारा 178
इस धारा के अनुसार जांच या विचारण का स्थान बताया गया है।
इसके अनुसार जहाँ यह अनिश्चित है कि कई स्थानीय क्षेत्रों में से किसमें अपराध किया गया है। अथवा जहां अपराध अंशतः एक स्थानीय क्षेत्र में और अंशतः किसी दूसरे में किया गया है। अथवा जहां पर अपराध चालू रहने वाला है। और उसका किया जाना एक से अधिक स्थानीय क्षेत्रों में चालू रहता है। अथवा
जहाँ वह विभिन्न स्थानीय क्षेत्रों में किए गए कई कार्यों से मिलकर बनता है तो वहां उसकी जांच या विचारण ऐसे स्थानीय क्षेत्रों में से किसी पर अधिकारिता रखने वाले न्यायालय द्वारा किया जा सकता है।
धारा 179
इस धारा के अनुसार अपराध वहां विचारणीय होगा जहां कार्य किया गया या जहां परिणाम निकला हो
जब कोई कार्य किसी ऐसे बात के जो कर दी गयी हो किसी निकले हुए परिणाम के कारण अपराध है तब ऐसे अपराध की जांच या विचारण ऐसे न्यायालय द्वारा किया जा सकता है। जिसकी स्थानीय अधिकारिता के अंदर ऐसी बात की गई या ऐसा परिणाम निकला।
धारा 180
इस धारा के अनुसार जहां कार्य अन्य अपराध से संबंधित होने के कारण अपराध है वहां विचारण का स्थान इस धारा मे बताया गया है।
जब कोई कार्य किसी ऐसे अन्य कार्य से संबंधित होने के कारण अपराध है। जो स्वयं भी अपराध है । या अपराध होता है और यदि कर्ता अपराध करने के लिए समर्थ होता तब प्रथम वर्णित अपराध की जांच या विचारण ऐसे न्यायालय द्वारा किया जा सकता है । जिसकी स्थानीय अधिकारिता के अंदर उन दोनों में से कोई भी कार्य किया गया है।
धारा 181
इस धारा के अनुसार कुछ अपराधों की दशा में विचारण का स्थान को बताया गया है।
जिसके अनुसार ठग होने के कारण या ठग द्वारा हत्या के कारण डकैती के कारण ह्त्या सहित डकैती के, डकैतों की टोली का होने के, या अभिरक्षा से निकल भागने के किसी अपराध की जांच या विचारण ऐसे न्यायालय द्वारा किया जा सकता है। तथा जिसकी स्थानीय अधिकारिता के अंदर अपराध किया गया है या अभियुक्त व्यक्ति मिला है।
इसमे किसी व्यक्ति के व्यपहरण या अपहरण के किसी अपराध की जांच या विचारण ऐसे न्यायालय द्वारा किया जा सकता है। तथा जिसकी स्थानीय अधिकारिता के अंदर बह व्यक्ति व्यपहरण या अपहरण किया गया या ले जाया गया या छिपाया गया या निरुद्ध किया गया है।
इसमे चोरी, उद्दीपन या लूट के किसी अपराध की जांच या विचारण ऐसे न्यायालय द्वारा किया जा सकता है । जिसकी स्थानीय अधिकारिता के अंदर ऐसा अपराध किया गया है। या चुराई हुई संपत्ति को जो कि अपराध का विषय है उसे करने वाले व्यक्ति द्वारा या किसी ऐसे व्यक्ति द्वारा कब्जे में रखी गई है । जिसने उस संपत्ति को चुराई हुई संपत्ति जानते हुए या विश्वास करने का कारण रखते हुए प्राप्त किया या रखे रखा।
इसमे आपराधिक दुर्विनियोग या आपराधिक न्यासभंग के किसी अपराध की जांच या विचारण ऐसे न्यायालय द्वारा किया जा सकता है। जिसकी स्थानीय अधिकारिता के अंदर अपराध किया गया है। या उस संपत्ति का, जो अपराध का विषय रढ़ा हो और उसका कोई भाग अभियुक्त व्यक्ति द्वारा प्राप्त किया गया या रखा गया है अथवा उसका लौटाया जाना या लेखा दिया जाना अपेक्षित है।
किसी ऐसे अपराध की वजह से जिसमें चुराई हुई संपत्ति का कब्जा भी है। तथा जांच या विचारण ऐसे न्यायालय द्वारा किया जा सकता है । और जिसकी स्थानीय अधिकारिता के अंदर ऐसा अपराध किया गया है । या चुराई हुई संपत्ति किसी ऐसे व्यक्ति द्वारा कब्जे में रखी गई है। तो जिसने उसे चुराई हुई जानते हुए या विश्वास करने का कारण होते हुए प्राप्त किया या रखे रखा।
धारा 182
इस धारा के अनुसार पत्रों, आदि द्वारा किए गए अपराध को बताया गया है।
(1) इसमे किसी ऐसे अपराध की जिसमें छल करना भी शामिल है उसको जांच या उनका विचारण की उस दशा में जिसमें ऐसी प्रवंचना पत्रों या दूरसंचार संदेशों के माध्यम से की गई है। ऐसे न्यायालय द्वारा किया जा सकता है जिसकी स्थानीय अधिकारिता के अंदर ऐसे पत्र या संदेश भेजे गए हैं। या प्राप्त किए गए हैं तथा छल करने और बेईमानी से संपत्ति का परिदान उप्रेरित करने वाले किसी अपराध की जांच या उनका विचारण ऐसे न्यायालय द्वारा किया जा सकता है । जिसकी स्थानीय अधिकारिता के अंदर संपत्ति तथा प्रवंचित व्यक्ति द्वारा परिदत्त की गई है या अभियुक्त व्यक्ति द्वारा प्राप्त की गई है।
(2) भारतीय दंड संहिता (1860 का 45) की धारा 494 या धारा 495 के अधीन दंडनीय किसी अपराध की जांच या उनका विचारण ऐसे न्यायालय द्वारा किया जा सकता है। जिसकी स्थानीय अधिकारिता के अंदर अपराध किया गया है। या अपराधी ने प्रथम विवाह की अपनी पत्नी या पति के साथ अंतिम बार निवास किया है या प्रथम विवाह की पत्नी अपराध के किए जाने के पश्चात् स्थायी रूप से निवास करती है।
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