जैसा कि आप सभी को ज्ञात होगा इससे पहले की पोस्ट मे हमने दंड प्रक्रिया संहिता धारा 1 से 38 तक का विस्तृत अध्ययन करा चुके है यदि आपने यह धराये नही पढ़ी है तो पहले आप उनको पढ़ ली जिये जिससे आपको आगे की धराये समझने मे आसानी होगी।
धारा 39
जनता द्वारा एफ़आईआर करना –
इसमे बताया गया है की जनता द्वारा एफ़आईआर कैसे किया जा सकता है। कुछ अपराध की सूचना जनता द्वारा दिया जाना जरूरी होता है।
प्रत्येक व्यक्ति जो भारतीय दंड संहिता के अधीन दंडनीय अपराध के किए जाने या किसी व्यक्ति द्वारा किए जाने से से अवगत है उचित प्रतिरूप को साबित करने का भार उस व्यक्ति पर है जो उस बात से अवगत है। ऐसे किए जाने का कार्य या आशय की सूचना मजिस्ट्रेट या पुलिस को देगा ।
अर्थात प्रत्येक व्यक्ति जो अपराध को होते देख रहा है या अपराध होने की सूचना उस मिलती है या उसको पता है की इस व्यक्ति के मन मे अपराध करने का आशय है तो इसकी सूचना पुलिस को देगा ।
इसमे धारा 121 से 126 ,130 अपराध को बताती है जो राज्य के वीरुध होगा जो राज्य द्वारा मुकदमा चलाया जाता है यह समझौता के अनुरूप नही होता है।
धारा 143 ,144,145, 148 के अपराध लोक प्रशांति को भंग करना है। जिसका सूचना दी जाती है।
धारा 161,165 रिश्वत से संबन्धित है।इसकी सूचना भी व्यक्ति द्वारा पुलिस को देना चाहिए।
धारा 272 से धारा 278 ये खाद्य पदार्थ और औषधि मे मिलावट से संबन्धित है। इसकी सूचना भी व्यक्ति द्वारा पुलिस को देना
धारा 302,303,304 जीवन संकट से संबन्धित है। इसकी सूचना भी व्यक्ति द्वारा पुलिस को देना
धारा 364क मुक्ति धन से संबन्धित है। इसकी सूचना भी व्यक्ति द्वारा पुलिस को देना
धारा 382 चोरी से संबन्धित मृतु दंड से भय देने से संबन्धित है। इसकी सूचना भी व्यक्ति द्वारा पुलिस को देना
धारा 392 से 404 लूट डकैती से संबन्धित अपराध है। इसकी सूचना भी व्यक्ति द्वारा पुलिस को देना
धारा 409 व्यक्ति द्वारा भरोसा तोड़ना इसकी सूचना भी व्यक्ति द्वारा पुलिस को देना
धारा 431 से 439 तक संपत्ति के विरुद्ध किया जाना अपराध है।
धारा 450 किसी के घर मे ज़बरदस्ती घुसना इसकी सूचना भी व्यक्ति द्वारा पुलिस को देना
धारा 456 से 460 के अपराध गृह अतिचार के विरुद्ध अपराध है। इसकी सूचना भी व्यक्ति द्वारा पुलिस को देना
धारा 489 के अपराध नोट से संबन्धित अपराध है। इसकी सूचना भी व्यक्ति द्वारा पुलिस को देना यदि व्यक्ति अपराध कर चुका है या कर रहा है या करने वाला है तो इसकी सूचना देना आवश्यक होता है।
इन धारा के प्रयोजन के अनुसार भारत के बाहर किया गया अपराध उस प्रकार माना जाएगा जैसे यह भारत मे ही किया गया हो।
धारा 40
ग्राम सभा के कर्मचारियों द्वारा एफ़आईआर करना –
यह बताती है की गाव मे नियोजित व्यक्ति अर्थात गाव के पंचायत सदस्य , गाव का प्रधान , कोतबार ,पटेल ,सर पंच आदि नियोजित व्यक्ति कहे जाते है। यदि गाव मे कोई घटना घटती है तो इन व्यक्तियों द्वारा इसकी सूचना दी जानी चाहिए।
इसके अनुसार
किसी गाव के मामले मे नियोजित अधिकारी और गाव का हर एक व्यक्ति अपने पास के पुलिस अधिकारी को देगा। यदि ऐसा नही करता है तो उसको धारा 176 के अनुसार 6 माह का कारावास और 500 रुपये का जुर्माना देना होगा।
यदि कोई चोर गाव मे निवास कर रहा है जो कुख्यात है और गाव मे व्यक्ति को पता है।
कोई व्यक्ति जो गाव मे रहता है और उसको उस व्यक्ति की जानकारी है की वह लुटेरा और ठग है या संदेह है तो गाव के व्यक्ति का दायित्व है कि उसकी सूचना पुलिस को दे।
गाव मे कोई मानवीय अपराध हो रहा है या इसकी आशय है तो उसकी सूचना देना आवश्यक है।
यदि किसी कि अप्रक्रातिक मृतु हो है। तो ऐसे समय मे या संदेह स्थित मे किसी की मृतु होना या किसी शव का मिलना आदि पर गाव के व्यक्ति का दायित्व है कि उसकी सूचना पुलिस को दे।
गाव के निकट भारत के बाहर किसी कार्य को करना या ऐसे कार्य का आशय होना धारा 231 से 238 के अनुसार 304 और 392 से 399 ,402,435,450,457से 460 ,489, से संबन्धित अपराध जो गाव के आस पास हो तो गाव के व्यक्ति का दायित्व है कि उसकी सूचना पुलिस को दे।
संपत्ति को प्रभाव डालने वाले विषय पर गाव के व्यक्ति का दायित्व है कि उसकी सूचना पुलिस को दे। और संबन्धित मजिस्ट्रेट को बताए।
इस धारा मे गाव के अंतर्गत गाव की जमीन भी शामिल होगी और उस पर अपराध होने पर गाव के व्यक्ति का दायित्व है कि उसकी सूचना पुलिस को दे।
गाव के मामले मे नियोजित कोई भी अधिकारी और वह अधिकारी जो गाव मे नियुक्त किया गया है । और गाव के व्यक्ति का दायित्व है कि उसकी सूचना पुलिस को दे यह भारतीय दंड संहिता के अनुसार दंडित होगा।
धारा 41
पुलिस कब बिना वारंट के गिरफ्तार कर सकती है।
पुलिस अधिकारी किसी व्यक्ति को बिना वारंट कब गिरफ्तार कर सकता है इसमे बताया गया है।
कभी कभी कुछ ऐसे परिस्थितियाँ होती है जिसमे पुलिस बिना वारंट के गिरफ्तार कर सकता है परंतु यह अधिकार सीमित होता है।
कोई पुलिस अधिकारी मजिस्ट्रेट आदेश के बिना किसी व्यक्ति को तब गिरफ्तार कर सकती है जब –
कोई व्यक्ति कोई संघेय्य अपराध कर चुका है और कोर्ट मे उसका वाद चल रहा है। और वह वहा उपस्थित है।
बिना किसी उचित कारण के गृह भेद का उपकरण रखता हो। वह व्यक्ति मिल जाता है। तो उसको पुलिस गिरफ्तार कर सकती है।
जो इस विधि के अनुसार या राज्य सरकार के अनुसार अपराधी घोषित किया जा चुका है। वह व्यक्ति मिल जाता है। तो उसको पुलिस गिरफ्तार कर सकती है।
जिसके कब्ज़े मे चुराए गयी संपत्ति पायी गयी है और संदेह है की यह चुराए हुई है। वह व्यक्ति मिल जाता है। तो उसको पुलिस गिरफ्तार कर सकती है।
जिसपर किसी चीज के अपराध का संदेह किया जा रहा हो। वह व्यक्ति मिल जाता है। तो उसको पुलिस गिरफ्तार कर सकती है।
जो पुलिस अधिकारी को उसके कार्य मे बाधा पहुँचा रहा हो। वह व्यक्ति मिल जाता है। तो उसको पुलिस गिरफ्तार कर सकती है।
कोई व्यक्ति जो जेल से निकल भागा हो या भागने का प्रयास कर रहा हो।
जिसपर सशस्त्र बल मे शामिल होने के बाद उसको छोड दिया है और विरोधी पक्ष मे चला गया हो। वह व्यक्ति मिल जाता है। तो उसको पुलिस गिरफ्तार कर सकती है।
जो भारत के बाहर कोई ऐसा अपराध किया हो जो भारत मे अपराध माना जाता और वह व्यक्ति मिल जाता है। तो उसको पुलिस गिरफ्तार कर सकती है।
जिसकी गिरफ्तारी के लिए अन्य पुलिस अधिकारी से लिखित या मौखिक रूप से आदेश प्राप्त हो चुका हो। वह व्यक्ति मिल जाता है। तो उसको पुलिस गिरफ्तार कर सकती है।
कोई थाने का भारसाधक अधिकारी किसी ऐसे व्यक्ति को जो धारा 109, 110 मे विरनिस्ट व्यक्ति के प्रवर्गों मे से कोई एक अपराध करता है वह एक या अधिक हो ऐसे व्यक्ति को बिना वारंट गिरफ्तार किया जा सकता है।