दंड प्रक्रिया संहिता धारा 42 से 47 तक का विस्तृत अध्ययन

जैसा कि आप सभी को ज्ञात होगा इससे पहले की पोस्ट मे हमने दंड प्रक्रिया संहिता धारा 1 से 41  तक का विस्तृत अध्ययन करा चुके है यदि आपने यह धाराये नही पढ़ी है तो पहले आप उनको पढ़ ली जिये जिससे आपको आगे की धाराये समझने मे आसानी होगी।

धारा 42

नाम और निवास स्थान न बताने पर गिरफ्तारी –

किसी व्यक्ति पर संदेह होने पर उस व्यक्ति को कोई भी पुलिस पूछ ताछ कर सकता है। व्यक्ति को अपना नाम और पता बताना आवश्यक होता है और यदि कोई व्यक्ति पुलिस को नाम और पता नही बताती है तो उसको गिरफ्तार किया जा सकता है।

कोई व्यक्ति यदि पुलिस अधिकारी के सामने अपना नाम और पता नही बताता है तो उसको तुरंत गिरफ्तार कर सकता है और सही नाम और पता ज्ञात कर उसको बांध पत्र पर छोड़ सकता है या फिर उसको 24 घंटे के अंदर मजिस्ट्रेट के सामने पेश करेगा।

धारा 43

पुलिस अधिकारी के अलावा प्राइवेट व्यक्ति द्वारा गिरफ्तारी-

कोई भी व्यक्ति किसी अपराधी व्यक्ति को गिरफ्तार कर सकता है।

गिरफ्तारी किसी भी व्यक्ति द्वारा किया जा सकता है।

जो उसकी उपस्थित मे अजामानतीय और संघेय्य अपराध करता है।

या वह व्यक्ति उद्घोषित अपराधी हो तो उसको कोई भी व्यक्ति गिरफ्तार कर या करा सकता है।

ऐसे व्यक्ति को गिरफ्तार कर पुलिस अधिकारी को देगा। और यदि पुलिस नही है तो पुलिस स्टेशन जाकर वह उसको सुपुर्द कर देगा।

यदि यह विश्वास मे आता है की वह अपराध धारा 41 के अंदर आता है तो पुलिस फिर से उसको गिरफ्तार करेगा।

यदि व्यक्ति कोई असंघेय अपराध करता है और पुलिस अधिकारी के पूछने पर नाम पता नही बताता है तो साधारण व्यक्ति भी उसको गिरफ्तार कर सकता है।

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यदि किसी व्यक्ति के द्वारा अपराधी भाग जाता है तो ऐसे भागे जाने पर ऐसे ही प्रक्रिया की जाएगी जैसे किसी पुलिस के चंगुल से भाग जाता है। इसमे धारा 225 लगेगा और उसको दंडित किया जाएगा।

यदि कोई साधारण व्यक्ति सदभावना पूर्वक किसी व्यक्ति को गिरफ्तार करता है परंतु बाद मे वह अपराधी नही निकलता है तो पकड़ने वाले व्यक्ति को धारा 79 के अनुसार संरक्षण प्राप्त होता है।

धारा 44

मजिस्ट्रेट के द्वारा अपराधी की गिरफ्तारी-

इसमे बताया गया है की मजिस्ट्रेट के द्वारा अपराधी की गिरफ्तारी कैसे होगी। इसके अनुसार कोई कार्य पालक मजिस्ट्रेट या न्यायिक मजिस्ट्रेट के सामने कोई व्यक्ति अपराध करता है तो मजिस्ट्रेट खुद या किसी के द्वारा गिरफ्तार करा सकता है।

कोई कार्य पालक मजिस्ट्रेट या न्यायिक मजिस्ट्रेट अपने न्यायिक स्थानीय क्षेत्र के अंदर  कोई व्यक्ति अपराध करता है तो उसको गिरफ्तार  कर सकता है और जमानत के लिए व्यक्ति को अभिरक्षा के लिए सुपुर्द कर सकता है।

कोई कार्य पालक मजिस्ट्रेट या न्यायिक मजिस्ट्रेट अपने न्यायिक स्थानीय क्षेत्र के अंदर किसी व्यक्ति को गिरफ्तार कर सकता है। और निर्देश दे सकता है।  जिसके लिए वह वारंट जारी करने के लिए सक्षम है।

परंतु वह मजिस्ट्रेट व्यक्ति को पुलिस को सौपा जाएगा। और पुलिस का यह दायित्व है की वह व्यक्ति को न्यायालय मे प्रस्तुत करे।

यदि किसी व्यक्ति को मजिस्ट्रेट के द्वारा गिरफ्तार किया गया है तो उसकी सुनवाई वही मजिस्ट्रेट नही करेगा बल्कि दूसरे मजिस्ट्रेट के पास भेज देगा।

धारा 45

सशस्त्र बल को गिरफ्तारी का संरक्षण प्रदान किया गया है। सशस्त्र बल को गिरफ्तारी के लिए राज्य सरकार के बल के लिए राज्य सरकार की आज्ञा लगेगी।

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संघ के सशस्त्र बल का कोई भी सदस्य अपने प्रति कर्तव्य  के निर्वाह मे अपने द्वारा की ज्ञी बाटो के लिए तब तक गिरफ्तार नही किया जाएगा जब तक केंद्र सरकार की अनुमति नही मिल जाती है।

राज्य सरकार अधिसूचना द्वारा ऐसा निर्देश दे सकती की ऐसा बल जिसको लोग व्यवस्था बनाए रखने के लिए जिनका पद दिया जाता है उनपर उप धारा 1 लागू होगा। इस प्रकार समझा जाएगा जैसे राज्य सेना के अंतर्गत आता है और बिना उनकी आज्ञा के उनको गिरफ्तार नही किया जा सकता है।

यदि कोई सशस्त्र बल कूटनीतिक करता है तब उसकी  गिरफ्तारी हो सकती है।

यदि कोई सशस्त्र बल जो कर्तव्य का पालन नही करता है तब उसकी  गिरफ्तारी हो सकती है।

यदि कोई सशस्त्र बल जो घुस लेता  है तब उसकी  गिरफ्तारी हो सकती है।

धारा 46

गिरफ्तारी कैसे होगी इस बारे मे यह धारा बताती है। गिरफ्तारी करने के लिए पुलिस या अन्य व्यक्ति जो गिरफ्तार कर रहा है उस व्यक्ति को छुएगा जब तक गिरफ़्तार व्यक्ति अपने आप को शब्दों द्वारा या वचन से खुद को सुपुर्द नही कर देता है।

यदि कोई समान्य रूप से खुद को सुपुर्द कर दिया है तो इसकी आवश्यकता नही है।

यदि कोई ऐसा व्यक्ति अपनी गिरफ्तारी करने के प्रयास पर विरोध करता है या भागता है तो पुलिस अधिकारी सब साधनों का प्रयोग कर सकता है उसको गिरफ्तार करने के लिए। उस शक्ति का प्रयोग पुलिस कर सकती है जितना गिरफ़्तार के लिए आवश्यक है। उससे अधिक की शक्ति का प्रयोग नही होगा।

इस धारा के अनुसार जिस पर  मृतु दंड या आजीवन कारावास का दंड नही है उसको पुलिस द्वारा ऐसे संसाधन का प्रयोग नही कर सकता है कि उसकी  मृतु कारित हो सकता है।

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धारा 47

इस धारा मे यह बताया गया है कि उस स्थान कि तलाशी कैसे ली जाये जहा अपराधी छिपा हुआ है। पुलिस किसी अपराधी के खोज मे गिरफ्तारी वारंट के अनुसार पुलिस को यह विश्वास हो कि अपराधी किसी घर या उस स्थान पर है तो जो व्यक्ति वह रहता है उसके मुखिया से पूछ ताछ किया जा सकता है।

पुलिस अधिकारी के मांग करने पर उसको उस घर मे प्रवेश करने देगा तथा पुलिस कि सहायता करेगा।

यदि ऐसे स्थान मे प्रवेश उप धारा 1 के अनुसार नही हो पा रहा हो तो पुलिस किसी भी मामले मे जो वारंट के अधीन कार्य कर रहा हो या वारंट कि संभावना हो तो गिरफ्तारी के संबंध मे जबरजस्ती  प्रवेश कर सकता है चाहे वह किसी व्यक्ति का हो या अन्य व्यक्ति का हो किसी बाहरी या भीतरी दरवाजा को तोड़ सकता है।

परंतु यदि ऐसा कमरा है जो गिरफ्तार करने वाले व्यक्ति से अलग है या ऐसे स्त्री का कमरा है जो रूढ़ि के अनुसार घर से बाहर नही आती है तो पुलिस अधिकारी उसको सूचना देगा और उसको हट जाने को कहेगा और सुविधा देगा और फिर उस कमरे मे प्रवेश करेगा।

यदि अपराधी व्यक्ति ने पुलिस को बंद कर रखा है तो पुलिस कमरे मे से व्यक्ति को निकालने के लिए खिड़की दरवाज़े तोड़ सकता है और अपराधी को पकड़ सकता है।

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