जैसा की हम आपको भारतीय साक्ष्य अधिनियम का धारा 1 से 6 तक का विस्तृत अध्ययन करा चुके है। आपको भारतीय साक्ष्य अधिनियम का धारा 7 से 9 तक समझने के लिए सबसे पहले उसको पढ़ना होगा जो कि आप hindilawnotes के टैग से देख सकते है।
अब हम आपको भारतीय साक्ष्य अधिनियम का धारा 7 से 9तक का विस्तृत अध्ययन कराने जा रहे है।
धारा 7
वे तथ्य जो विवाधक तथ्यों के प्रसंग का परिणाम है।
इस धारा मे बताया गया है कि वह तथ्य सुसंगत तथ्य होता है जो कि विवाधक तथ्यों के प्रसंग का परिणाम है। वे तथ्य सुसंगत है जो सुसंगत तथ्यों या विवाधक तथ्यों के निकट है या जो उस वस्तु को गठित करते है। इसमे वे तथ्य भी सुसंगत है जो घटना को घटित करते है। वे तथ्य सुसंगत है जो संवयोहार का अवसर दिया है।
अब हम इन 5 तथ्यों को क्रम अनुसार लिख देते है जिससे आपको समझने मे आसानी होगी।
वे तथ्य जो या तो सुसंगत है या फिर जो सुसंगत तथ्यों या विवाधक तथ्यों के निकट है।
वे तथ्य जो विवाधक तथ्यों और सुसंगत तथ्यों का प्रसंग है।
वे तथ्य जो विवाधक तथ्यों और सुसंगत तथ्यों का परिणाम है।
वे तथ्य जो विवाधक तथ्यों और सुसंगत तथ्यों का प्रसंग है।
वे तथ्य जो वस्तु स्थित को घटित करते है जिसमे सुसंगत और विवाधक तथ्य घटित हुए है।
वे तथ्य जो सुसंगत और विवाधक तथ्यों को घटित होने का अवसर दिया है।
उदाहरण –
आ ने ब को किसी सुनसान जगह मे लूट लिया जिसमे आ ने एक दोस्त को खूब सारा धन दिखाया यह लुटपाट से सुसंगत है।
यह इस लिए सुसंगत है क्योंकि आ के पास धन का होना लूट को साबित करता है।
आ ने ब कि हत्या एक घर पर की और घर पर खून की बूंद मिले यह इसलिए सुसंगत है की खून हत्या का परिणाम है इसलिए यह सुसंगत माना जाएगा।
क ने खा को खाने मे जहर मिला कर दे दिया खा ने वह खाना खाया और मर गया यह जहर खाने मे देना सुसंगत है क्योंकि क खा को हमेशा खाना खिलता था और उसको अवसर मिल गया। इसमे अवसर प्रदान करना सुसंगत माना जाता है।
धारा 8
इसमे सुसंगत तथ्य हेतु तैयारी पूर्व या पश्चात के आचरण को बताया गया है।
कोई भी तथ्य जो किसी विवाधक तथ्य का सुसंगत तथ्य की तैयारी बताते है या गठित करते है वह सुसंगत होता है।
किसी वाद मे वादी और प्रतिवादी या उनके अभिकर्ता या ऐसा वाद या विवाधक तथ्य या उससे सुसंगत आचरण से है।
और किसी ऐसे व्यक्ति का आचरण जिसके खिलाफ कोई अपराध या कार्यवाही दायर हुई हो वह सुसंगत है।
वाद का कार्यवाही का आचरण जो प्रभावित करता है या प्रभावित होता है चाहे वह पहले का हो या बाद का हो।
हेतु –
किसी भी कार्य के लिए हेतु यानि की motive का होना आवश्यक है। हेतु के बिना कोई कार्य नही होता है। हेतु motive ही हर कार्य के लिए जिम्मेदार होता है। यह कार्य को करने के लिए उसका एक हेतु यानि कि motive का होना आवश्यक होता है।
हेतु चाहे जितना दोष पूर्ण हो परंतु वह आपराधिक नही होता है।
उदाहरण –
आ ने ब कि हत्या करने का प्लान बनाया सी ने उसको सुन लिया और कुछ दिन बाद आ ने ब कि हत्या कर दिया सी ने आ को धमकी दी कि यदि वह उसको 6000 रुपये नही दिये तो वह सबके सामने बता देगा कि आ ने सी को मारा । यह एक सुसंगत तथ्य है जो कि स ने आ के हेतु से संबन्धित है। और सी को इसकी जानकारी है।
Prepration यानि कि तैयारी
तैयारी किसको कहते है आप इसको साधारण शब्दों से भी ले सकते है। किसी भी कार्य को करने के लिए जो संसाधन जुटाया जाता है उसको तैयारी कहते है। जब कोई अपराधी किसी अपराध को करने से पूर्व जो सामान जुटाता है या जो लोग इकट्ठा करता है या फिर जो सोचता है उस अपराध को करने को लेकर वह तैयारी कहलाता है।
उदाहरण
आ को ब कि हत्या करने के लिए विचारण किया गया क्योंकि कुछ दिन पहले आ ने ऐसे विश को बनाया था जिसको पी कर कोई मर जाये और ब के मरने का कारण वही विश था जो कि ब के शरीर से मिला था यह आ के द्वारा बनाया गया और ब के शरीर से मिले विश दोनों सुसंगत है इसलिए आ को इसका दोषी माना जा रहा है।
आचरण –
किसी व्यक्ति का दोषी मन ही उसके आचरण का कारण होता है। जब मन मे दोष होगा तो वह ऐसा आचरण भी करेगा।
उदाहरण
आ ,ब,सी तीनों ह की लाश देखने गए जो की मारा पड़ा हुआ था सबने वह पुलिस को देखा और ब वहा से भाग गया इसमे ब का भागना और पुलिस का आना सुसंगत है क्योंकि ब ने उसको मारा होगा तभी वह पुलिस के दर से भाग गया।
धारा 9
सुसंगत तथ्यों का सपस्टिकरण
वे तथ्य जो विवाधक तथ्य या सुसंगत तथ्य के स्पस्टिकरण और उनकी पुनः स्थापना को लेकर साक्ष्य के अनुसार जो जरूरी है अथवा जो जो विवाधक तथ्य या सुसंगत तथ्य के स्पस्टिकरण को इंगित या उसका खंडन करते है। जब एक दूसरे के लिए उसकी अनन्यता सुसंगत हो।
जब किसी वस्तु या स्थान पर वह स्थिर हो या जहा घटना घटित हुई हो उस समय को बताते है या जो उन पक्ष कार के संबंध को दर्शाता है। जिनके द्वारा किसी का संवयोहार किया गया है वहा तक वह सुसंगत है।
न्यायालय उन सभी बातों को सुसंगत मानेगा जो उस घटना से संबन्धित हो।
यह किसी व्यक्ति के परिचय को भी बताती है। किसी भी व्यक्ति को दंडित करने से पहले यह जानना अति आवश्यक है की यह वही व्यक्ति है कि नही इसके लिए शिनाख़्त कि आवश्यकता होती है।
पुलिस दावरा किसी व्यक्ति का शिनाख्त कर लेना आवश्यक होता है बिना शिनाख़्त कोई किसी को दंडित नही कर सकता है।
परंतु यह साक्ष्य का मुख्य भाग नही होता है परंतु यह आवश्यक होता है किसी व्यक्ति कि शिनाक्थ उसकी आयु उचाई बाल नाक चेहरा आदि से की जाती है।
किसी वस्तु की शिनाख़्त भी उसके आकार प्रकार से की जाती है।
शिनाख़्त के लिए उनही व्यक्ति का चयन किया जाना चाहिए जिसपर कोई संदेह नही है।
शिनाख़्त के लिए एकांत होना चाहिए।
उन सक्ष्ह्यिओ को जो कार्यवाही मे भाग ले चुके है और उनको जिनको कार्यवाही मे भाग लेना है दोनों को अलग रखना चाहिए।
उन मामलो की जिसमे वह व्यक्ति जानता है उसकी पूर्व जानकारी होना चाहिए।
संदिग्ध व्यक्ति को मामले मे अभिलिखित किया जाना चाहिए।
शिनाख़्त करने वाले व्यक्ति को एक एक कर बुलाना चाहिए।
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