जैसा कि आप सभी को ज्ञात होगा इससे पहले की पोस्ट मे दंड प्रक्रिया संहिता धारा 65 से 70 का विस्तृत अध्ययन करा चुके है यदि आपने यह धराये नही पढ़ी है तो पहले आप उनको पढ़ ली जिये जिससे आपको आगे की धराये समझने मे आसानी होगी।
धारा 65
जब समन की तामील धारा 62 और धारा 63 धारा 64 के अनुसार न कराई जा सकती हो तो तामील कैसे की जा सकती है। और क्या प्रक्रिया अपनाई जाएगी। तामील करने वाले अधिकारी तामील की 2 कॉपी मे से 1 कॉपी अभियुक्त के घर पर जहा वह निवास करता है । वहा किसी ऐसे स्थान पर चिपका देगा जिससे उसको पता चल जाए की उसका न्याय्यलय से बुलाया आया है। न्यायालय जांच करने के पश्चात जैसा ठीक समझे घोसित कर सकता है की समन की तामील सही से हो गयी है या समन की तामील अभी सही से नही हुई है। तो फिर से तामील का आदेश देगा । यदि कोई व्यक्ति विदेश मे रहता है तो दूतावेश के माध्यम से उसका तामील कराया जाता है। जब समन की तामील धारा 62 और धारा 63 धारा 64 के अनुसार कराई जा सकती थी परंतु फिर भी धारा 65 के अनुसार की गयी है तो यहमना jayमेगा क यह सामक तामील नही कराई गयी है।
धारा 66
इस धारा मे बताया गया है की सरकारी कर्मचारी पर तामील कैसे की जा सकती है। यदि कोई लोकसेवक है तो उसपर तामील किस प्रकार की जाएगी। जब समन किया गया व्यक्ति सरकार की सेवा मे है चाहे वह राज्य या केंद्र के अंदर हो वहा वह कर्मचारी के जहा वह कार्य करता है उसके प्रधान को भेजेगा और उसका प्रधान धारा 62 के अनुसार समन का तामील कराएगा । और उस धारा के अनुसार अपेक्षित प्रष्टांग सहित हस्ताक्षर करा कर न्यायालय को वापस कर देगा। जब कोई सेना का अधिकारी है और उसका तामील करना है तो समन कमान अधिकारी को दी जाएगी और कमान अधिकारी सेना के व्यक्ति की तामील कराएगा। कोई सरकारी कर्मचारी यदि न्यायालय से प्रार्थना करे की वह उस दिन खाली नही है तो वह उस दिन उपस्थित नही हो सकता है तो न्यायालय उसको दूसरे दिन की तामील दे सकता है। लोक सभा ,राज्य सभा या विधान सभा के सदस्य का तामील उनके निवास पर या सभा के बाहर उसकी तामील कराई जा सकती है।
धारा 67
इसमे बताया गया है की स्थानीय सीमाओ के बाहर समन की तामील कैसे की जा सकती है। यदि न्याय्यलय क्षेत्र के अधिकारिता के बाहर किसी दूसरे न्याय्यलय की सीमा मे है उसको समन जारी किया गया है तो उस क्षेत्र के न्याय्यलय के मैजिस्ट्रेट को भी भेजा जाएगा। जिस स्थान पर व्यक्ति निवास करता है।
यदि कोई व्यक्ति कानपुर मे रहता है । और दिल्ली मे अपराध किया है तो दिल्ली का मैजिस्ट्रेट कानपुर के लिए यदि समन जारी करेगा तो कानपुर के मैजिस्ट्रेट को दिल्ली का मैजिस्ट्रेट समन भेजेगा।
धारा 68
इस धारा मे यह बताया गया है की तामील अधिकारी के अनुपस्थित मे तामील का सबूत कैसे दिया जाएगा। यदि न्याय्यलय मे यह प्रस्तुत करना है की व्यक्ति की तामील हो गयी है यह सबूत देना है तो उस अधिकारी को प्रस्तुत होकर बताना पड़ता है पर जब अधिकारी उपस्थित नही होगा तो समन की तामील को साबित करने के लिए अधिकारी शपद पत्र जारी करेगा और समन की एक कॉपी उसके साथ लगा कर न्यायालय को भेजेगा। यह साक्ष्य माना जाएगा जब तक की इसका प्रतिकूल साबित न कर दिया गया हों।
यदि तामील उसके घर पर समन की तामील चिपकाकर की गयी है तो उसकी सभी बाते उस शपद पत्र मे लिखा होना चाहिए।
धारा 69
इस धारा मे यह बताया गया है की इस धारा के पहले में से किसी धारा के किसी बात के होते हुए भी साक्षी के लिए समन जारी करने वाला न्यायालय ऐसा समन जारी करने के अतिरिक्त और उसके साथ-साथ यह निर्देश दे सकता है कि उस समन की एक प्रति की तामील साक्षी के उस स्थान के पते पर जहां वह मामूली तौर पर निवास करता है या जहा काम करता है या अभिलाभार्थ स्वयं काम करता है रजिस्ट्रीकृत डाक द्वारा सामन को भेजा जाए।
जब साक्षी द्वारा हस्ताक्षर की गई स्वीक्रत समन या डाक कर्मचारी द्वारा किया गया तात्पर्यित यह पृष्ठांकन कि साक्षी ने समन लेने से इंकार कर दिया है। प्राप्त हो जाता है तो समन जारी करने वाला न्यायालय यह घोषित कर सकता है कि समन की तामील सम्यक् रूप से कर दी गई है।
धारा 70
इस धारा मे यह बताया गया है की गिरफ्तारी के लिए वारंट की प्रारूप और अवधि क्या होगी। न्यायालय द्वारा इस संहिता के अधीन जो भी वारंट जारी किया गया वह गिरफ्तारी का प्रत्येक वारंट लिखित रूप में होगा। और ऐसे न्यायालय के पीठासीन अधिकारी द्वारा हस्ताक्षरित होगा और उस पर उस न्यायालय की मोहर लगी होगी ।
प्रत्येक वारंट तब तक प्रवर्तन में रहेगा जब तक वह उसे जारी करने वाले न्यायालय द्वारा रद्द नहीं कर दिया जाता है या जब तक वह निष्पादित नहीं कर दिया जाता है ।