Jurisprudence ‘ज्यूरिस’ शब्द का अर्थ विधि से है यानि की लॉं जबकि पू्रडेंशिया शब्द का अर्थ है ज्ञान। इसको हम कह सकते हैं विधि का ज्ञान जैसे हम biology के अनुसार हाथ कान नाक बहुत सारे अंग का मानव शरीर का अंग है और हम इसका अध्यन करते हैं उसी प्रकार jurisprudence मे हम अलग अलग लोंगों से अलग अलग परिभाषा सुनते हैं और सबके विचार इसको लेकर अलग अलग हैं | इस प्रकार विधिशास्त्र (Jurisprudence) का शाब्दिक अर्थ ‘विधि का ज्ञान’ है। विधिशास्त्र में हम जो ज्यादातर पढ़ते हैं. वह विचार होते हैयह केवल विधि का ज्ञान न होकर विधि का क्रमबद्ध ज्ञान है इसीलिये सामण्ड (Salmond) ने विधिशास्त्र को ‘विधि का विज्ञान’ (Science of Law) कहा हैं। यहाँ ‘विज्ञान’ से आशय विषय के क्रमबद्ध अध्ययन से है।
ऑस्टिन को अँग्रेजी jurisprudence का जनक कहते हैं |
इनके अनुसार यह सकारात्मक सोच का अध्ययन हैं | इनहोने 3 essential element बताया हैं |
कमांड
Soverin
Senction
विधि शास्त्र अलग अलग वैज्ञानिको के विचारो को मिलाकर बनाया गया विज्ञान हैं |
सामण्ड ने कहा हैं की यह सिविल लॉं का पहले सिधान्त का विज्ञान हैं |
Jurisprudence एक ऐसा विषय हैं जिसको हम डाइरैक्ट अप्लाई नही कर सकते यह लॉं को समझने के लिए एक अच्छा विषय हैं| jurisprudence means नॉलेज ऑफ law हम लॉं क्यो पढ़ते हैं | सबसे पहले इसको रोमन ने सुरू किया |
पहले हम इसको moral से जोड़ते थे पर बाद मे हमने अलग किया |
Jurisprudence एक विचार हैं | लॉं क्या हैं , इसका राइट्स क्या हैं , इसकी लियाबिलिटी क्या हैं , यह कहा अप्लाई होगा ये सब हम पढ़ते हैं |
Jurisprudence हमे लॉं के लिखे शब्दो को समझने मे सहायक होता हैं | यह कोई खुद मे लॉं नही हैं |
Jurisprudence specific लॉं को पढ़ने मे सहायता करता हैं |
यह लॉं को बनाने मे सहायता करता हैं |
जीतने reform हम लाते हैं यह उसमे सहायता करता हैं |
Jurisprudence की खुद की ख्याति हैं |
Jurisprudence कोई भी juris जो लॉं को पढ़ने के लिए जो approach करता हैं वह jurisprudence हैं और जब वह निर्णय पर पहुचे तो वह law हैं |
परंतु विधिक दृष्टि से विधि शब्द से आशय ऐसे नियमों से है जो समाज में मानव आचरण को नियंत्रित करते हैं।
समाज में रहते हुए व्यक्ति को जीवन के विभिन्न पहलुओं से पथ भ्रमण करना पड़ता है। ऐसे मे वह अन्य व्यक्ति के संपर्क में आता है।
क्या चीज उचित है. कौनसी अनुचित है. उसका विज्ञान ही विधिशास्त्र है. यह परिभाषा अल्पीअन ने दी है
यह नागरिकों का विज्ञान है. यह नागरिकों की सुविधा है. यह नागरिकों के लिए बनाया गया है. यह नागरिकों पर लागू किया जाता है विधि को देश की सीमा में न्यायालय तथा न्याय अधिकारियों द्वारा लागू किया जाता है।
प्रसिद्ध रोमन विधिवेत्ता अल्पियन (Ulpian) के अनुसार-
प्रसिद्ध रोमन विधिवेत्ता अल्पियन (Ulpian) ने ‘डायजेस्ट’ नामक अपने ग्रन्थ में विधिशास्त्र को उचित एवं अनुचित का विज्ञान (Science of just and unjust) कहा है।
सामण्ड के अनुसार-
(1) विश्लेशणात्मक विधिशास्त्र, (Analytical Jurisprudence)
(2) क्रियात्मक विधिशास्त्र (Functional Jurisprudence)
(3) न्याय के सिद्धान्त
Cicero की परिभाषा के अनुसार-
विधिवत ज्ञान का दार्शनिक पक्ष विधिशास्त्र है| यह चीज क्यों अस्तित्व में आई.यह विचार क्यों आया और उनके पीछे के विचारों को उसके पीछे का विधिशास्त्र कहा जाता है.यही चीज Cicero ने कही कि विधि ज्ञान का दार्शनिक पक्ष वह विधिशास्त्र कहलाता है.
प्रोफेसर ग्रीनलैंड द्वारा दी गई विधिशास्त्र की परिभाषा की आलोचना करते हुए उसे संकीर्ण तथा केवल सांकेतिक निरूपित किया है।उनका कथन है कि विधिशास्त्र केवल औपचारिक विज्ञान नहीं है। बल्कि यह एक पार्थिव विज्ञान भी है। अतः इसे वैद्य संबंधों और विधि नियमों का विज्ञान कहा जा सकता है।
वीनोग्रैडआफ के अनुसार-
विधिशास्त्र की उत्पत्ति विभिन्न राष्ट्रों के इतिहास में उनकी वास्तविक विधि में पाई जाने वाली विषमताओं से हुई है। जिसका उद्देश्य विधिक अधिनियम एवं न्यायिक निर्णयों के निहित सामान्य सिद्धांतों को खोज निकालना है।
विधिशास्त्र को अलग अलग समय मे अलग अलग रूप मे देखा गया हैं | कभी यह विधि कभी यह विधि सिधान्त ,तो कभी विधि शास्त्र कहा गया हैं | जिसका 1945 मे डब्लू फ्रीड के द्वारा लाया गया | इनहोने एक किताब लिखा था जिससे विधि सिधान्त निकाल कर सामने आई|
विधिशास्त्र मे विधि और संकल्पनाओ का साथ होता हैं | इसका उद्देश्य विधि की उत्पत्ति ,विकाश का अध्ययन |
जैसे हम देखते हैं एक वाककेल रोज अनेक परेशानी से गुजरता रहता हैं विधि शास्त्र इसमे सहायता करता हैं |
कैलशर ने बोला की विधिशास्त्र नीति शास्त्र आदि से अलग होना चाहिए |
विधिशास्त्र मे कुछ अच्छा या बुरा नही डूँड़ा जाता हैं | कभी इसको दर्शन के रूप मे देखा गया हैं |
रोमन विधि शास्त्री ने विधि शास्र का विकास नही किया |
इसमे परिभाषा से पहले हमे उसके अर्थ का ज्ञान हो |
अगर काही हम गलत विचार ले कर चल रहे हैं तो गलत धारणा पर ही पहुंचेंगे |
यह काल्पनिक शक्ति प्रकट कर सकती हैं |
रोमन विचारक अलपीन ने कहा ईमानदारी से रहना किसी को क्षति न पाहुचना jurisprudence हैं |
सामण्ड ने नागरिक विधि ,राज्य विधि के बारे मे बताया |
यह धार्मिक विधि को उसमे सम्मलित करते हैं |
आस्टिन ने पॉज़िटिव लॉं का ज्ञान दिया हैं |
लोंगों के संगठन के अनुसार कुछ लोंगों को चुना गया जो लॉं बना सके और सभी उसका पालन करे परंतु हमेशा यह लॉं सही नही होता हैं |
हम जागरूक हैं हम समझ सकते हैं हमारे उपर दबाव होता हैं |
हमारे उपर सोसाइटी का कंट्रोल होता हैं |
और अब लॉं का कंट्रोल ज्यदा होता हैं |
लॉं की कोई एक परिभाषा देना ठीक नही हैं | सबके अपने विचार हैं और उस अनुसार वह उसको परिभाषित करेंगे |
कुछ एक्ट ऐसे होते हैं जो सोसाइटी के अनुसार गलत होता हैं पर लॉं के अनुसार वह ठीक होता हैं अतः दोनों के अनुसार किसी चीज को परिभाषित नही किया जा सकता हैं | जैसे लव मैरेज सोसाइटी के अनुसार आज भी अच्छी नही मानी जाती पर स्टेट उसको सही मानता हैं |
आचरण पर कंट्रोल ही विधिशास्त्र हैं |
अलपीयन ने कहा हैं की यह सही और गलत का विज्ञान हैं |
लॉं का बेसिक ज्ञान सबको जरूरी हैं बिना इसके कोई सफल नही हो सकता बेंथम ने कहा की ज्यदा से ज्यदा लोग खुश रहे ,लॉं का उपयोग समाज के लिए होना चाहिए |
Jurisprudence का समाज से क्या relation हैं –
हम लोग समाज मे रहते हैं | और समाज मे अच्छे बुरे कार्य होते रहते हैं और हम उस अनुसार लॉं बनाते हैं | जैसे जैसे लॉं बना हैं समाज उसके प्रति जागरूक हुआ हैं जैसे आपने देखा सती प्रथा अब खत्म हो चुकी हैं | बाल विवाह कुछ जगह आज भी चल रहा हैं परंतु कानून बनने से काफी हद तक कम हो गया हैं | महिला कानून , महिला अधिकार आदि पर कानून बनने से आज महिलाए घर से बाहर निकाल रही हैं और साथ मे कार्य कर रही हैं यह समाज का बदलाव ही हैं | जो लॉं के अनुसार बदलता रहता हैं |
Jurisprudence और history –
History से हम यह सीखते हैं की जो गलतिया पहले हुए हैं हम उनको कभी न दोहराए| इसके अलावा कुछ लॉं ऐसे हैं जो प्राचीन काल से चले आ रहे हैं क्या उसमे सुधार होना चाहिए |
अच्छा समझाय गया है।इस विषय को।आज कल ये विषय मे पढ़ा रहा हूँ।मुझे समझने समझने में मदद मिलेगी।
superb,,,