इनकम टैक्स (IT) क्या होता है?-
भारतीय संविधान की अनुसूची 7 में केंद्र सरकार को ऐसे लोगों से टैक्स वसूलने का अधिकार दिया गया है, जिनकी आमदनी कृषि के अलावा अन्य स्रोतों से है.
भारत में यह प्रायः एक खास सीमा से अधिक आय वालों द्वारा वसूला जाता है वरिष्ठ नागरिकों के लिए तीन लाख रुपए रखी गई है।
आय का अर्थ
वेतन के रूप में आय
जब कोई व्यक्ति कही नौकरी करता हैं किसी के अंदर कार्य करता हैं तो उसके लिए उसको सैलरी मिलती हैं जिसको इंकम टैक्स के पहले हेयड्स मे रखते हैं | उसकी यह इंकम इसके अंतर्गत आती हैं | इसमे employer और employee relationship होना बहुत जरूरी होता हैं |इसको आर्म लेंथ relationship कहलाता हैं | कांट्रैक्ट ऑफ सर्विस हैं तो यह इंकम फ़्रोम अदर सोर्से होता हैं |foregoing सैलरी भी चार्ज होती हैं | चारजिंग सेक्शन 15 के अनुसार होता हैं सैलरी तब taxable होगी जो यह तो मिल चुकी हो या ड्यू हो चुकी हो जो पहले आएगा उस अनुसार taxable होगा |
वेतन, एन्युटी, पेंशन, ग्रेच्युटी, फीस, कमीशन, (लीव एनकैशमेंट), सालाना वृद्धि, प्रोविडेंट फंड में जमा रकम ये सब इसके अंतर्गत आते हैं तथा कर्मचारी के पेंशन खाते में जमा धन भी इसमे शामिल हैं|
मकान किराये से आय –
इसके अंतर्गत मकान को किराए पर देने पर जो आय होती हैं वह सम्मलित की जाती हैं| जिसके पास मकान है और वह किराए पर देकर पैसा कमाता हैं तो वह प्राप्त इंकम पर टैक्स देता हैं और यह इंकम फ़्रोम हाउस प्रॉपर्टि के अंदर आता हैं |इसका चारजिंग सेक्शन 22 हैं |लैंड की इंकम इसके अंतर्गत नही आती हैं | ownership होना बहुत जरूरी होता हैं | बिज़नस के लिए ली गयी कोई प्रॉपर्टि की खरीद और सले PGBP के अंतर्गत आती हैं न की हाउस प्रॉपर्टि के अंतर्गत आएगी | सेक्शन 23 (4) के अनुसार कोई स्टॉक के लिए इंकम अगले साल से taxable होगा | seperable अससेस्ट्स हाउस प्रॉपर्टि मे और inseparable अससेस्ट्स अगले हेयड्स मे आता हैं |
इसके अंतर्गत मकान को किराए पर देने पर जो आय होती हैं वह सम्मलित की जाती हैं|
कारोबार या पेशे से आय- इसमे किसी को दिया गया धन जिससे लाभ निकाल सके और ब्याज का खरीद और बिक्री का लाभ आदि शामिल हैं|
पूंजीगत लाभ के रूप में आय
पूंजीगत लाभ के तहत कोई पूंजीगत संपत्ति की बिक्री से हुआ लाभ आता हैं| इसमें शॉर्ट टर्म और लॉन्ग टर्म दोनों तरह के पूंजीगत लाभ शामिल हैं. पूंजी से प्राप्त लाभ पूंजी गत लाभ कहलाता हैं जैसे ट्रेड मार्क ,पटेंट ,कॉपीराइट आदि से प्राप्त लाभ इसके अलावा जब कोई व्यक्ति कोई पुरानी जमीन की खरीद बेचने या कोई भी अससेस्ट को बेच कर फायदा कमाते हैं तो वह इसके अंतर्गत आता हैं | इस लाभ को आय के रूप में माना जाता है और इस प्रकार यह वर्षमें कुछ करों को आकर्षित करता है जो कि पूंजीगत संपत्ति का हस्तांतरण होता है। इसे कैपिटल गेन टैक्स कहा जाता है। जब कोई परिसंपत्ति विरासत में मिली हो तोपूंजीगत लाभ लागू नहीं होता है। क्योंकि कोई बिक्री नहीं होती है जो कि हो रही है, यह केवल एक हस्तांतरण है। लेकिन, जिस व्यक्ति को संपत्ति विरासत में मिली हैं अगर वह व्यक्ति इसको बेचता हैं तो यह पूंजीगत लाभ मे नही आता हैं |
कपड़े सामान या उपभोग का सामान इसके अंतर्गत नही आता हैं | कैपिटल गईं समय पर निरभर करता हैं यह 2 प्रकार का होता हैं शॉर्ट टर्म कैपिटल और लॉन्ग टर्म शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन अधिग्रहण के तीन साल से कम समय के भीतर बेची जाने वाली किसी भी संपत्ति को अल्पकालिक संपत्ति माना जाता है, इसलिए इसको बेचकर अर्जितलाभ को अल्पकालिक पूंजीगत लाभ कहा जाता है |वही शेयर के केस मे यह 1 साल होता हैं | लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन वह होता हैं जो तीन साल के बाद संपत्ति या संपत्ति बेचकर अर्जित लाभ को दीर्घकालिक पूंजीगत लाभ कहा जाता है
अन्य स्रोत से आय
इसके अंतर्गत बैंक से मिला इन्टरेस्ट ,securities पर इन्टरेस्ट, रेस, लॉटरी तथा 50000 रुपये से जादा का गिफ्ट अगर होता हैं तो भी वह आय मे सामील होता हैं।
INDIVIDUAL TAXATION
धारा 3 के अनुसार
Income of Non-Resident Shipping कंपनी
ऐसी इन्कम जोकि अससेसी द्वारा कमाई गयी हो जो फ़र्म या कंपनी बंद होने जा रही हो |ऐसे ट्रान्सफर जो कि कर न देने के वजह से किए जा रहे हो।
बिजनेस को बंद करने से प्राप्त आय।
हम इसप्रकार कर को ज्ञात करेंगे-
निर्धारण वर्ष
करदाता
पुरुष / महिला / वरिष्ठ नागरिक
आवासीय स्थिति
वेतन से आय
हाउस प्रॉपर्टी से आय
पूंजी लाभ
अन्य स्रोतों से आय
कृषि आय
कटौती
शुद्ध कर योग्य आय
आयकर
अधिभार
शिक्षा उपकर
माध्यमिक और उच्च शिक्षा उपकर
कुल कर देयता
रिटर्न के प्रस्तुत करने की नियत तारीख
टैक्स भुगतान का विवरण
ब्याज u/s234ए की राशि
ब्याज u/s 234बी की राशि
ब्याज u/s 234सी की राशि
सेक्शन 80 सी: इसके अंतर्गत आप जीवनबीमा, बच्चे का फीस आदि का deduction ले सकते हैं|
सेक्शन 80 CCC: यह सेक्शन पेंशन फंड में किए गए निवेश पर मिलने वाली टैक्स कटौतियां बताती है।
सेक्शन 80 सीसीडी: यह पेंशन स्कीम मे निवेश को बढ़ावा देती हैं |
सेक्शन 80 CCF: इसमे लंबे समय के इन्फ्रास्ट्रक्चर बॉन्ड के सब्स्क्रिप्शन पर टैक्स कटौतियों का प्रावधान है. आप इस सेक्शन के तहत रु. 20,000 तक का क्लेम कर सकते हैं।
सेक्शन 80 ccg इसमे आप 5000 तक कटौती की रकम ले सकते हैं|
सेक्शन 80D: इसमें खुद के, जीवनसाथी के और आश्रित बच्चों के हेल्थ इंश्योरेंस के प्रीमियम के लिए क्लेम किया जा सकता है., यदि आपके मटा पिता जिनकी उम्र 60 साल से कम है, और यदि उनकी उम्र 60 से अधिक है तो दावे की सीमा रु. 50,000 है.
सेक्शन 80E: . केवल व्यक्ति ही इस कटौती के पात्र हैं जो education लोन लिए हो , और अप्रूव्ड परोपकारी संस्थाओं और फाइनेंशियल इंस्टीट्यूशंस से लिए गए लोन पर टैक्स लाभ की अनुमति है
पात्रता शर्तों पर 100% कटौती – इसमें उन संगठनों के लिए दान शामिल हैं, जो परिवार नियोजन और खेल के विकास को बढ़ावा देते हैं.
सेक्शन 80GG. इसमे किराया भत्ता मिलता हैं |जो भी कम हो, उसका कटौती के रूप में दावा किया जा सकता है
सेक्शन 80GGA: ऐसे सभी दान जो सामाजिक/वैज्ञानिक/सांख्यिकीय रिसर्च में मदद करते हैं या राष्ट्रीय शहरी गरीबी उन्मूलन फंड के लिए दिए गए हैं, टैक्स कटौती के लिए पात्र हैं।
सेक्शन 80GGB: ये टैक्स कटौतियां उन भारतीय कंपनियों के लिए लागू होती हैं, जो राजनीतिक दलों को पैसे दान करते हैं।
सेक्शन 80EE: यह सेक्शन होम लोन पर टैक्स लाभ प्रदान करता है, पहली बार घर खरीदने वाले व्यक्ति हर फाइनेंशियल वर्ष में कुछ रुपये तक की टैक्स कटौती के लिए पात्र हैं. आप इस सेक्शन के तहत तब तक टैक्स कटौती का दावा कर सकते हैं।