जैसा कि आप सभी को ज्ञात होगा इससे पहले की पोस्ट मे भारतीय दंड संहिता तक का विस्तृत अध्ययन करा चुके है यदि आपने यह धाराये नही पढ़ी है तो पहले आप उनको पढ़ लीजिये जिससे आपको आगे की धाराये समझने मे आसानी होगी।
धारा 154
इस धारा के अनुसार जब कभी कोई विधिविरुद्ध जमाव या बल्वा किया गया है तब जिस भूमि पर ऐसा विधिविरुद्ध जमाव हो या ऐसा बल्वा किया गया हो तो उसका स्वामी या अधिभोगी ऐसी भूमि में हित रखने वाला या हित रखने का दावा करने वाला प्रत्येक व्यक्ति एक हजार रुपए से अनधिक जुर्माने से दंडनीय होगा। यदि वह या उसका अभिकर्ता या प्रबंधक यह जानते हैं की ऐसा अपराध किया जा रहा है। या किया जा चुका है। या इस बात का विश्वास करने का कारण रखते हुए कि ऐसे अपराध का किया जाना सम्भाव्य है।
तो उसकी सूचना निकटतम पुलिस थाने के प्रधान आफिसर को न दे या न सकते हो तो उस दशा में जिसमें कि उसे या उन्हें यह विश्वास करने का कारण हो कि अपराध लगभग किया ही जाने वाला है। तब वह अपनी क्षमता और शक्ति अनुसार सब क़ानूनी साधनों का उपयोग कर उसका निवारण नहीं करता या करते हैं। और उसके हो जाने पर अपनी क्षमता और शक्ति अनुसार सब क़ानूनी साधनों का उपयोग उस ग़ैरक़ानूनी जनसमूह को बिखरने या उपद्रव को दबाने के लिए नहीं करता या करते तो उन्हें एक हजार रुपए तक के आर्थिक दंड से दंडित किया जाएगा।
धारा 155
इस धारा के अनुसार जब कभी किसी ऐसे व्यक्ति के फायदे के लिए या फिर उसकी ओर से उपद्रव किया जाए जो किसी भूमि जिसके विषय में ऐसा उपद्रव हो उस भूमि का स्वामी या अधिवासी हो या जो ऐसी भूमि में या उपद्रव को पैदा करने वाले किसी विवादग्रस्त विषय में कोई हित रखने का दावा करता हो या उससे कोई फायदा स्वीकार या प्राप्त करने वाला व्यक्ति या उसका अभिकर्ता या प्रबंधक इस बात का विश्वास करने का कारण रखते हुए कि ऐसा उपद्रव किया जाना संभाव्य है ।
जिस ग़ैरक़ानूनी जनसमूह द्वारा ऐसा उपद्रव किया जाए तो उस जनसमूह का होना सम्भाव्य है। अपनी क्षमता और शक्ति अनुसार सब क़ानूनी साधनों का उपयोग कर उस ग़ैरक़ानूनी जनसमूह को बिखरने या उपद्रव को दबाने का निवारण नहीं करता या करते तो उन्हें आर्थिक दंड से दंडित किया जाएगा।
धारा 156
ऐसे व्यक्ति जिसके के फायदे के लिए या ऐसे व्यक्ति की ओर से बल्वा किया जाता है। जो किसी भूमि का जिसके विषय में ऐसा बल्वा हो उसका स्वामी हो या अधिभोगी हो या जो ऐसी भूमि में या बल्वे के पैदा करने वाले किसी विवादग्रस्त विषय में कोई हित रखने का दावा करता हो या जो उससे कोई फायदा प्रतिगृहित कर या पा चुका हो।
तब उस व्यक्ति का अभिकर्ता या प्रबंधक जुर्माने से दंडनीय होगा। यदि ऐसा अभिकर्ता या प्रबंधक यह विश्वास करने का कारण रखते हुए कि ऐसे बल्वे का किया जाना सम्भाव्य था या कि जिस विधिविरुद्ध जमाव द्वारा ऐसा बल्वा किया गया था। उसका किया जाना सम्भाव्य था तब वह अपनी शक्ति-भर सब विधिपूर्ण साधनों का ऐसे बल्वे या जमाव का किया जाना निवारित करने के लिए और उसको दबाने और बिखरने के लिए उपयोग नहीं करता है तो वह दंडनीय होगा।
धारा 157
इस धारा के अनुसार जो कोई अपने आधिपत्य या प्रभार या फिर नियंत्रण के अधीन रहते हुए किसी गॄह या परिसर में किन्हीं व्यक्तियों को यह जानते हुए कि वे व्यक्ति विधिविरुद्ध जनसमूह में सम्मिलित होने या सदस्य बनने के लिए भाड़े पर लाए गए है उसको वचनबद्ध या नियोजित किए गए हैं। या भाड़े पर लाए जाने तथा वचनबद्ध या नियोजित किए जाने वाले हैं। उसको संश्रय देगा या आने देगा या एकत्र करेगा तो उसे 6 माह की अवधि के लिए कारावास जिसे बढ़ाया जा सकता है। या आर्थिक दण्ड या दोनों से दण्डित किया जाएगा।
धारा 158
इस धारा के अनुसार ऐसे कार्य जो धारा 141 के अनुसार किए गए कार्यो में से किसी को करने के लिए या करने में सहायता देने के लिए वचनबद्ध किया या भाड़े पर लिया जाएगा या भाड़े पर लिए जाने या वचनबद्ध किए जाने के लिए अपनी प्रस्थापना करेगा या प्रयत्न करेगा। वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से, जिसकी अवधि छह मास तक की हो सकेगी, या जुर्माने से, या दोनों से, दंडित किया जाएगा ।
या सशस्त्र चलना–तथा जो कोई पूर्वोक्त प्रकार से वचनबद्ध होने या भाड़े पर लिए जाने पर, किसी घातक आयुध से या ऐसी किसी चीज से, जिससे आक्रामक आयुध के रूप में उपयोग किए जाने पर मॄत्यु कारित होनी की संभावना है तो सज्जित होकर चलेगा या सज्जित चलने के लिए वचनबद्ध होगा या अपनी प्रस्थापना करेगा। ऐसे स्थित मे वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से, जिसकी अवधि दो वर्ष तक की हो सकेगी, या जुर्माने से, या दोनों से किसी से दंडित किया जाएगा ।
धारा 159
इस धारा के अनुसार दंगे को परिभाषित किया गया है जब दो या दो से अधिक व्यक्ति यदि हैं। और वह सार्वजनिक स्थान पर लड़ाई कर रहे हैं। तो वे दंगे के दोषी हैं। दंगे के लिए दो बातें प्रमुख होती हैं । पहली बात दो या दो से अधिक व्यक्ति किसी सार्वजनिक स्थान पर लड़ाई कर रहे हो ऐसा सर्वजनिक स्थान जहां पर अनेकों लोग आते जाते हैं तथा वह लोगों का मार्ग है।
सार्वजनिक स्थान समय-समय पर बदलता है बस,रेलवे स्टेशन, प्लेटफार्म, सार्वजनिक पेशाब घर, रेलवे स्टेशन का माल गोदाम है, किसी शॉपिंग मॉल को भी सार्वजनिक स्थान माना लड़ाई के परिणामस्वरूप शांति में विघ्न पैदा हो जाये तो वह दंगा है। लड़ाई होनी चाहिए जिससे लोक शांति में विघ्न पैदा हो जाए। भय फैलने की आशंका पैदा हो जाए। भारतीय दंड संहिता के अंतर्गत दंगा बलवा दोनों एक ही प्रकार के अपराध है परंतु दंगा केवल सर्वजनिक स्थान में ही कारित किया जा सकता है जबकि बलवा सार्वजनिक अथवा निजी किसी भी स्थान पर हो सकता है। दंगा दो या दो से अधिक व्यक्तियों द्वारा कारित किया जा सकता है। जबकि बलवा होने के लिए कम से कम 5 व्यक्ति होना चाहिए।
धारा 160
इस धारा के अनुसार यह दंगा करने वालों के दंड को बताती है। इस धारा के अनुसार जो कोई दंगा करेगा वह दोनों में से किसी भांति के कारावास जिसकी अवधि 1 माह तक हो सकती है। । या जुर्माना ₹100 तक का हो सकता है। या दोनों से दंडित किया जा सकेगा।
आपको इन धारा को समझने मे कोई परेशानी आ रही है। या फिर यदि आप इससे संबन्धित कोई सुझाव या जानकारी देना चाहते है।या आप इसमे कुछ जोड़ना चाहते है।या फिर आपको इन धारा मे कोई त्रुटि दिख रही है तो उसके सुधार हेतु भी आप अपने सुझाव भी भेज सकते है।
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