भारतीय दंड संहिता धारा 161 से 172 तक का विस्तृत अध्ययन

जैसा कि आप सभी को ज्ञात होगा इससे पहले की पोस्ट मे भारतीय दंड संहिता तक का विस्तृत अध्ययन करा चुके है यदि आपने यह धाराये  नही पढ़ी है तो पहले आप उनको पढ़ लीजिये जिससे आपको आगे की धाराएं  समझने मे आसानी होगी।
भारतीय दंड संहिता की धारा 161 से 165 के अनुसार, भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 ( की धारा 31 द्वारा निरस्त हो गयी है।

धारा 166

भारतीय दंड संहिता 1860 की धारा के अनुसार किसी सरकारी नौकरी करने वाले व्यक्ति या किसी लोक सेवक के द्वारा होने वाले अपराध के बारे मे बताया गया है।  इसमें अपराध के साथ – साथ उसके निवारण के लिए और भविष्य में अपराध को घटित होने से रोकने के लिए सजा का प्रावधान भी दिया गया है। यदि कोई व्यक्ति जो किसी सरकारी नौकरी के पद पर पदस्थ है।  वह एक लोक सेवक होने के नाते जानबूझकर किसी कानून के किसी भी प्रावधान का इस प्रकार उल्लंघन या उस कानून की अवज्ञा करता है।

जिस प्रकार सरकार के द्वारा उस लोक सेवक को उस कानून का संचालन करने के लिए दिशा निर्देश दिए गए हैं। वह लोक सेवक या सरकारी नौकरी करने वाला व्यक्ति इस बात को अच्छे से जनता है।  कि उसके द्वारा ऐसा कार्य करने से या उस कानून का उल्लंघन करने से किसी अन्य व्यक्ति को हानि पहुंच सकती है। या उस अन्य व्यक्ति को किसी प्रकार की चोट पहुंच सकती है।  तो ऐसी स्तिथि में वह लोक सेवक के अनुसार अपराध करता है। और उसे उसके इस अपराध के लिए उचित दंड भी दिया जाता है।

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दूसरे शब्दों में यदि कोई सरकारी कर्मचारी या कोई लोक सेवक किसी अन्य व्यक्ति के साथ किसी प्रकार का दुर्व्यवहार करता है।  तो वह अपने पद का गलत प्रयोग करके उस व्यक्ति पर होने वाले अत्याचारों का कारण बनता है। वह खुद ही उस व्यक्ति पर उसे चोट पहुंचाने के उद्देश्य से ही आक्रमण करता है। तो ऐसा लोक सेवक भारतीय दंड संहिता की धारा 166 में वर्णित अपराध के अनुसार जो  अपराधी होता है।  और अपने द्वारा किये गए कृत्य के लिए सजा का हक़दार भी होता है।सरकारी कर्मचारी जो किसी अन्य व्यक्ति को चोट पहुंचाने के इरादे से कानून का उल्लंघन करता है।  उसे कारावास की सजा से दण्डित किया जाता है।  जिसकी समय सीमा को अधिकतम 1 बर्ष तक बढ़ाया जा सकता है।

धारा 167

इस धारा के अनुसार जो कोई लोक सेवक होते हुए और ऐसे लोक सेवक के नाते किसी दस्तावेज या इलेक्ट्रॉनिक अभिलेख की रचना या अनुवाद करने का भार-वहन करते हुए उस दस्तावेज या इलेक्ट्रॉनिक अभिलेख की रचना तैयार या अनुवाद ऐसे प्रकार से जिसे वह जानता हो या विश्वास करता हो कि त्रुटिपूर्ण हो।  इस आशय से या सम्भाव्य जानते हुए करेगा कि तद्द्वारा वह किसी व्यक्ति को क्षति कारित करे।  तो उसे किसी एक अवधि के लिए कारावास जिसे तीन वर्ष तक बढ़ाया जा सकता है, या आर्थिक दंड, या दोनों से दण्डित किया जाएगा।

धारा 168

इस धारा के अनुसार जो कोई लोक सेवक होते हुए और ऐसे लोक सेवक के नाते इस बात के लिए वैध रूप से आबद्ध होते हुए कि वह व्यापार में न लगे हुए हो।  व्यापार में लगेगा  वह सादा कारावास से जिसकी अवधि एक वर्ष तक की हो सकेगी या जुर्माने से या दोनों से दंडित किया जाएगा |

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धारा 169

इस धारा के अनुसार जो भी कोई लोक सेवक होने के नाते किसी अमुक संपत्ति को क्रय करने और बोली लगाने के लिए वैध रूप से आबद्ध न होते हुए या तो अपने निजी नाम में या किसी दूसरे के नाम में अथवा दूसरों के साथ संयुक्त रूप से या अंशों में उस संपत्ति को क्रय करेगा।
तो उसे किसी एक अवधि के लिए कारावास जिसे दो वर्ष तक बढ़ाया जा सकता है।  या आर्थिक दंड या दोनों से दण्डित किया जाएगा और यदि संपत्ति क्रय कर ली गई है। तो वह अधिक्रत कर ली जाएगी।

धारा 170

इस धारा के अनुसार जो भी कोई किसी विशिष्ट पद को लोक सेवक के नाते धारण करने का अपदेश यह जानते हुए करेगा कि वह ऐसा पद धारण नहीं करता है।  या ऐसा पद धारण करने वाले किसी अन्य व्यक्ति का कूट-प्रतिरूपण करेगा और ऐसे बनावटी रूप में ऐसे पदाभास से कोई कार्य करेगा या करने का प्रयत्न करेगा तो उसे किसी एक अवधि के लिए कारावास जिसे दो वर्ष तक बढ़ाया जा सकता है।  या आर्थिक दण्ड या दोनों से दण्डित किया जाएगा।
आपको इन धारा को समझने मे कोई परेशानी आ रही है। या फिर यदि आप इससे संबन्धित कोई सुझाव या जानकारी देना चाहते है।या आप इसमे कुछ जोड़ना चाहते है।या फिर आपको इन धारा मे कोई त्रुटि दिख रही है तो उसके सुधार हेतु भी आप अपने सुझाव भी भेज सकते है।

धारा 171

इस धारा के अनुसार जो कोई लोक सेवकों के किसी खास वर्ग का न होते हुए भी  इस आशय से कि यह विश्वास किया जाए या इस ज्ञान से कि सम्भाव्य है कि यह विश्वास किया जाए।  कि वह लोक सेवकों के उस वर्ग का है। लोक सेवकों के उस वर्ग द्वारा उपयोग में लाई जाने वाली पोशाक के सदृश पोशाक पहनेगा या निशानी के सदृश कोई निशानी धारण करेगा तो उसे किसी एक अवधि के लिए कारावास की सजा जिसे तीन महीने तक बढ़ाया जा सकता है। या दो सौ रुपए तक का आर्थिक दंड या दोनों से दण्डित किया जाएगा।

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धारा 172

इस धारा के अनुसार जो कोई किसी ऐसे लोक सेवक द्वारा निकाले गए समन या सूचना या आदेश की तामील से बचने के लिए फरार हो जाता है या  जो ऐसे लोक सेवक के नाते ऐसे समन सूचना या आदेश को निकालने के लिए वैध रूप से सक्षम हो वह सादा कारावास से  जिसकी अवधि एक मास तक की होती है। , या जुर्माने से जो पांच सौ रुपए तक का हो सकेगा या दोनों से दंडित किया जा सकता है।

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