जैसा कि आप सभी को ज्ञात होगा इससे पहले की पोस्ट मे भारतीय दंड संहिता धारा 241 तक का विस्तृत अध्ययन करा चुके है यदि आपने यह धाराएं नहीं पढ़ी तो आप उनको पढ़ लीजिये जिससे आपको आगे की धाराएं समझने में आसानी होगी।
धारा 242-
इस धारा के अनुसार जो कोई ऐसे कूटकॄत सिक्के को जिसे वह उस समय जब वह सिक्का उसके कब्जे में आया थाउसको प्राप्त हुआ था और वह जानता था कि वह कूटकॄत है। फिर भी कपटपूर्वक या इस आशय से कि कपट किया जाए और उसको कब्जे में रखेगा तो उसको साधारण या कठोर कारावास जो की 3 साल तक की अवधि तक और जुर्माना या दोनों दिया जा सकता है।
धारा 243 –
इस धारा के अनुसार भारतीय सिक्के पर ऐसे व्यक्ति का कब्जा जो की उसका कूटकॄत होना उस समय जानता था जब वह उसके कब्जे में आया था इसके संबंध मे बताया गया है।
जो कोई ऐसे कूटकॄत सिक्के को, जो कि भारतीय सिक्के की कूटकॄति है। और जिसे वह उस समय जिस समय वह सिक्का उसके कब्जे में आया था। वह उस समय जानता था कि वह भारतीय सिक्के की कूटकॄति है। तथा यह कपटपूर्वक इस आशय से कि कपट किया जाए या फिर उसको कब्जो में रखेगा तो उसको साधारण या कठोर कारावास जो की 7 साल तक की अवधि तक और जुर्माना या दोनों दिया जा सकता है।
धारा 244 –
इस धारा के अनुसार जो कोई भारत में विधिपूर्वक स्थापित किसी टकसाल में से नियोजित होते हुए इस विचार से कोई कार्य करेगा, या उस कार्य का लोप करता है। जिसे करने के लिए वह वैध रूप से आबद्ध हो कि उस टकसाल से प्रचालित कोई सिक्का विधि द्वारा नियत वजन या मिश्रण से भिन्न वजन या मिश्रण का कारित किया गया हो तो उसको साधारण या कठोर कारावास जो की 7 साल तक की अवधि तक और जुर्माना या दोनों दिया जा सकता है।
धारा 245-
इस धारा के अनुसार टकसाल से सिक्का बनाने का उपकरण विधिविरुद्ध रूप से लेना बताया गया है। जो कोई भारत में विधिपूर्वक स्थापित किसी टकसाल में से सिक्का बनाने के या फिर किसी औजार या उपकरण को विधिपूर्ण प्राधिकार के बिना बाहर निकाल लाएगा तो वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से
जो की 7 साल तक की अवधि तक और जुर्माना या दोनों दिया जा सकता है।
धारा 246-
इस धारा के अनुसार जो कोई कपटपूर्वक या बेईमानी से किसी सिक्के पर कोई ऐसी कोई क्रिया करेगा। जिससे उस सिक्के का वजन कम हो जाए या उसका मिश्रण परिवर्तित हो जाए तो वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से जो की 3 साल तक की अवधि तक और जुर्माना या दोनों दिया जा सकता है।
धारा 247 –
इस धारा के अनुसार जो कोई कपटपूर्वक या बेईमानी से किसी भी प्रकार के भारतीय सिक्के पर कोई ऐसी क्रिया करेगा जिससे उस सिक्के का वजन कम हो जाए या उसका मिश्रण परिवर्तित हो जाए तो वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से जो की 7 साल तक की अवधि तक और जुर्माना या दोनों दिया जा सकता है।
धारा 248-
इस धारा के अनुसार जो कोई किसी सिक्के पर इस आशय से कि वह सिक्का भिन्न प्रकार के सिक्के के रूप में किसी भी प्रकार से चल जाए कोई ऐसी क्रिया करेगा, जिससे उस सिक्के का रूप परिवर्तित हो जाए तो वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से जो की 3 साल तक की अवधि तक और जुर्माना या दोनों दिया जा सकता है।
धारा 249-
इस धारा के अनुसार जो कोई किसी भारतीय सिक्के पर इस आशय से कि वह सिक्का भिन्न प्रकार के सिक्के के रूप में चल जाए जिससे कोई ऐसी क्रिया करेगा या फिर जिससे उस सिक्के का रूप परिवर्तित हो जाए तो उस दशा मे दोनों में से किसी भांति के कारावास से जो की 7 साल तक की अवधि तक और जुर्माना या दोनों दिया जा सकता है।
धारा 250-
इस धारा के अनुसार जो कोई किसी ऐसे सिक्के को कब्जे में रखते हुए जिसके बारे में धारा 246 या 248 में परिभाषित अपराध किया गया हो और जिसके बारे में उस समय जिस समय जब वह सिक्का उसके कब्जे में आया था तब वह यह जानता था कि ऐसा अपराध उसके बारे में किया गया है। जो की कपटपूर्वक या इस आशय से कि कपट किया जाए की किसी अन्य व्यक्ति को वह सिक्का परिदत्त करेगा या किसी अन्य व्यक्ति को उसे लेने के लिए उत्प्रेरित करने का प्रयत्न करेगा तो दोनों में से किसी भांति के कारावास से जो की 5 साल तक की अवधि तक और जुर्माना या दोनों दिया जा सकता है।
धारा 251 –
इस धारा के अनुसार जो कोई किसी ऐसे सिक्के को कब्जे में रखते हुए जिस सिक्के के बारे में धारा 247 या 249 में परिभाषित अपराध किया गया हो और जिसके बारे में उस समयजिस समय वह सिक्का उसके कब्जे में आया था उस समय वह यह जानता था कि ऐसा अपराध उसके बारे में किया गया है। या फिर वह कपटपूर्वक या इस आशय से कि कपट किया जाए कि किसी अन्य व्यक्ति को वह सिक्का परिदत्त करेगा या किसी अन्य व्यक्ति को उसे लेने के लिए उत्प्रेरित करने का प्रयत्न करेगा तो दोनों में से किसी भांति के कारावास से जो की 10 साल तक की अवधि तक और जुर्माना या दोनों दिया जा सकता है।
धारा 252 –
इस धारा के अनुसार ऐसे व्यक्ति द्वारा सिक्के पर कब्जा जो उसका परिवर्तित होना उस समय जानता था जब वह उसके कब्जे में आया था उसके बारे मे बताया गया है।
जो कोई कपटपूर्वक उद्देश्य से या इस आशय के कि कपट किया है कि ऐसे सिक्के को कब्जे में रखेगा या फिर जिसके बारे में धारा 246 या 248 में से किसी में परिभाषित अपराध किया गया हो और जो उस समय जिस समय सिक्का उसके कब्जे में आया था उस समय यह जानता था कि उस सिक्के के बारे में ऐसा अपराध किया गया है। तो दोनों में से किसी भांति के कारावास से जो की 3 साल तक की अवधि तक और जुर्माना या दोनों दिया जा सकता है।