भारतीय दंड संहिता धारा 6 से 15 तक का विस्तृत अध्ययन –

आपने अगर धारा 1 से 5 तक नही पढ़ा हैं। तो कृपया पहले उसको पढ़ लीजिये। इससे आपको समझने मे आसानी होगी। यह आप IPC टैग मे जाकर देख सकते है। अब आइये समझते है भारतीय दंड संहिता धारा 6 से 15 क्या है।

धारा 6

धारा 6 के अनुसार संहिता की धारा 6 मे यदि काही अपवाद का वर्णन नही किया गया है। परंतु वह धारा 76 से 106 मे वर्णित हैं तो यह स्वतः ही लागू हो जाएगा। साधारण अपवाद धारा 76 से 106 मे सम्मलित होगा।

इस संहिता मे अपराध की परिभाषा के हर दंड ,उपबंध मे साधारण अपवाद जो की धारा 76 से 106 मे दिया गया हैं। वह लागू होगा चाहे उसको बताया गया हो या नही बताया गया हो। संहिता की सभी धाराओ मे अपवाद लागू होगा उसके लिए अलग से कहने की आवश्यकता नही हैं।

इस संहिता कि हर परिभाषा हर अपवाद या साधारण अपवादो के अत्यधीन समझी जाएगी चाहे अपवादो को दोहराया नही गया हो। अर्थात जो एक बार अपवाद आ गया उसको दोहराया नही जाएगा ।

अपवाद जिसमे बचाव लेना होता हैं। जैसे एक बार यह बता दिया गया कि 7 वर्ष से कम आयु के बच्चे के द्वारा किया गया अपराध ,अपराध नही है। तो यह बार बार दोहराया नही जाएगा सभी मे इसका ध्यान रखना होगा।

उदाहरण –

जैसे कि कोई व्यक्ति र को मारने आ रहा हैं। और र को लगता है कि वह उसको जान से मार देगा र आत्म रक्षा हेतु गोली चलाता है और वह व्यक्ति मारा जाता हैं। तो यह अपवाद हैं। यह आत्म रक्षा का अधिकार है। इसमे दंड नही दिया जाएगा।

See Also  दण्ड प्रक्रिया संहिता धारा 148 से 154 तक का विस्तृत अध्ययन

धारा 7

भारतीय दंड संहिता मे जिसका एक बार स्पस्टीकरण कर दिया गया बार बार करने कि आवश्यकता नही है। यदि किसी चीज को एक बार कही बताया गया है तो पूरे संहिता मे उसको उसी अर्थ मे उसी भाव मे प्रयोग होगा।

उसका मतलब हर जगह वही होगा जैसा कि एक बार बताया गया है। हर पद जिसको संहिता के किसी भाग मे स्पस्ट किया गया है। तो हर जगह पूरे संहिता मे वही स्थान होगा।

धारा 8

भारतीय दंड संहिता के अनुसार इसमे लिंग को स्पस्ट किया गया है। इस धारा के अनुसार यहा पर पुर्लिंग शब्द का प्रयोग नर और नारी दोनों के लिए किया जाता है।

जैसे कि अपराध शब्द नर और नारी दोनों के लिए प्रयोग हुआ है। इसी प्रकार अभियुक्त शब्द का प्रयोग भी दोनों पुरुष और स्त्री के लिए करते है।

जैसे अपराध कि परिभाषा मे ब्यक्ति का प्रयोग होता है। जिसमे स्त्री और पुरुष दोनों आता है। जैसे (वह) शब्द मे स्त्री और पुरुष दोनों के लिए प्रयोग होगा। जैसे कि (कोई व्यक्ति) का प्रयोग स्त्री और पुरुष दोनों के लिए प्रयोग हो सकता है।  

धारा 9

भारतीय दंड संहिता वचन को परिभाषित करती है। यह वचन को बताती है।  यदि यह एक वचन या बहू वचन के शब्दो को अलग से परिभाषित नही करती है। तो कही भी एक वचन के शब्दो मे बहुवचन लगाया जा सकता है। या कही एक वचन का प्रयोग कर सकते है। यह गलत नही होगा।

जैसे सह अभियुक्त मे एक या एक से अधिक हो सकते है। अगर कही स्पस्ट कर दिया गया हैं कि 2 या 5 होना चाहिए तो यह ऐसे ही होगा परंतु जहा स्पस्ट नही किया गया हो तो वह एक वचन को बहुवचन मे परिवर्तित कर सकते है।

See Also  अंतर्राष्ट्रीय कानून क्या है इसके तत्व कौन कौन से है?

जैसे जो कोई व्यक्ति हत्या करेगा तो उसको सजा मिलेगी यानि कि यहा एक व्यक्ति या बहुत व्यक्ति कि बात नही कि गयी हत्या मे एक व्यक्ति भी हो सकते है। कई व्यक्ति भी हो सकते है यानि कि यहा एक वचन का प्रयोग हुआ है परंतु हम उसको किसी भी रूप मे ले सकते है।

धारा 10

भारतीय दंड संहिता पुरुष और स्त्री को बताता है। इसमे किसी भी आयु का नर पुरुष कहलाता है। और किसी भी उम्र कि नारी को स्त्री कहा जाएगा। इसमे उम्र मायने नही रखती है। स्त्री शब्द मे हर मानव कि नारी होगी। और पुरुष मे हर मानव का पुरुष होगा। जैसे 6 माह कि बच्ची नारी होगी।

और 6 माह का बच्चा होगा तो वह पुरुष होगा। इसको बताना इसलिए आवश्यक था जिससे सबको संहिता मे प्रदर्शित किया जाता हैं। जैसे 6 माह कि बच्ची के साथ रेप हुआ तो यह भी स्त्री कि परिभाषा मे आती हैं और यह स्त्री हैं इसलिए इसके दोषियो को सजा मिलेगी।

धारा 11

भारतीय दंड संहिता व्यक्ति को बताती है।

व्यक्ति 2 प्रकार से होता है।

प्राक्रतिक व्यक्ति

लीगल व्यक्ति   

प्राक्रतिक व्यक्ति वह होता है जो प्रक्रति द्वरा उत्पन्न हुआ है।

लीगल व्यक्ति वह है जिसमे कंपनी ,निकाय,निगम आदि  निगमित हो या नही यह व्यक्ति कहलाता है। यदि कोई व्यक्ति है तो उसको कारावाश दिया जा सकता है। परंतु कंपनी, फर्म, निगम, निकाय आदि को जुर्माने से दंडित किया जा सकता है।

धारा 12

भारतीय दंड संहिता मे लोक को बताया गया है। लोक यानि कि व्यक्तियों का समूह या लोंगों का समूह होता है। लोक का वर्ग या समुदाय लोंगों के अंतर्गत आता है। जिसको इंग्लिश मे public कहते है।

See Also  (सीआरपीसी) दंड प्रक्रिया संहिता धारा 244 से धारा 247 का विस्तृत अध्ययन

धारा 13

भारतीय दंड संहिता कि धारा 13 रानी शब्द को बताती है। पहले के समय मे रानी होती थी जो अब नही है। आईपीसी कि धारा 1860 मे बनी थी इसलिए उस समय रानी शब्द प्रयोग होता था पर अब इसका प्रयोग नही होता है और संविधान मे संसोधन करके विधि अनुकूल उसको हटा दिया गया और धारा 13 अब लागू नही होती है।

धारा 14

भारतीय दंड संहिता सरकार के सेवक को बताती है सरकार का सेवक सरकारी कर्मचारी होता है चाहे वह अधिकारी हो , या चपरासी हो या कोई अन्य व्यक्ति हो जो सरकार का कार्य करता हो सभी सरकार के सेवक होंगे।

धारा 15

भारतीय दंड संहिता मे अंग्रेजी भारत की परिभाषा को बताया गया है। यह हमारे देश की आजादी के पहले जब भारतीय दंड संहिता बनी थी तब प्रयोग होता था जो कि अब प्रयोग मे नही है इस धारा को संशोधन करके हटा दिया गया है।  

इस पोस्ट के माध्यम से हम अपने ज्ञान को आप तक पहुँचाने का प्रयास कर रहे है। यदि इसमे कोई त्रुटि मिलती है या इसको बेहतर बनाने से संबन्धित आपका कोई सुझाव हो  या इससे संबन्धित कोई ज्ञान की बढ़ोतरी करनी है तो कृपया आप कमेंट बॉक्स के माध्यम से हमे सूचित करे । 

Leave a Comment