क्या जेल से सरकार चलाई जा सकती हैं अरविंद केजरीवाल को क्यों हुई जेल ? जानें क्या कहता है कानून
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को दिल्ली मे शराब नीति मामले में शामिल होने के लिए प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने गिरफ्तार कर लिया, जिससे वह मुख्यमंत्री पद पर रहते हुए गिरफ्तारी होने वाले देश के पहले मुख्यमंत्री बन गए।
ईडी से पहले नौ समन मिलने के बावजूद, जब वह पूछताछ के लिए उपस्थित नहीं हुए, तो फिर अंततः उनकी गिरफ्तारी हुई।
गिरफ़्तारी के बावजूद,अब जन केजरीवाल और आप ने यह पुष्टि की कि वह सरकार चलाना जारी रखेंगे, लेकिन इस बीच आपको ये जान लेना जरूरी है कि क्या वास्तव में कोई नेता जेल जाने के बाद वहां से अपनी सरकार चला सकता है? क्या है नियम
क्या मुख्यमंत्री जेल जाने के बावजूद क्या वह अपने पद पर बने रह सकते हैं?
भारत में, राष्ट्रपति और राज्यपाल जैसे कुछ ऐसे उच्च पदों पर बैठे लोगों को नागरिक और आपराधिक मामलों में मुकदमे से प्रतिरक्षा प्राप्त होती है। प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री जैसे अन्य उच्च पदों पर बैठे लोगों को नागरिक और आपराधिक मामलों में मुकदमे से प्रतिरक्षा नहीं मिलती है। तथा जन प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 भारत में चुनावों से संबंधित कानूनों का एक समूह है। यह अधिनियम कुछ अपराधों के लिए उम्मीदवारों को चुनाव लड़ने के लिए अयोग्य घोषित करता है। लेकिन अयोग्यता के लिए दोषसिद्धि जरूरी है।
केजरीवाल के मामले मेंभी उन्हें अभी तक दोषी नहीं ठहराया गया है, जिसका अर्थ है कि वह तकनीकी और कानूनी रूप से पद पर बने रह सकते हैं। हालांकि, जेल से सरकार चलाना कठिन है। पर अभी ऐसा कोई नियम नहीं जिससे उन्हे रोका जा सकता है।
क्यों किया गया है गिरफ्तार ?
दिल्ली के सीएम को शराब घोटाले से संबंधित मनी लॉन्ड्रिंग मामले में ईडी ने धन शोधन निवारण अधिनियम, 2002 (PMLA) के तहत गिरफ्तार किया। केजरीवाल को जिस कानून के तहत गिरफ्तार किया गया है।
यह कानून 2002 में बनाया गया था और 1 जुलाई 2005 को लागू किया गया था। इस कानून का मुख्य उद्देश्य मनी लॉन्ड्रिंग को रोकना है। इसके दायरे में बैंक, म्यूचुअल फंड और बीमा कंपनियां को भी 2012 में शामिल किया गया। इस एक्ट के अंतर्गत अपराधों की जांच की जिम्मेदारी प्रवर्तन निदेशालय के पास होती है।
क्या कहता है यह कानून?
पीएमएलए की धारा 45 के अनुसार दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को इस धारा के तहत गिरफ्तार किया गया जिसमे जमानत मिलना बहुत मुश्किल होता है। आरोपी व्यक्ति के लिए अपनी रिहाई कराना चुनौतीपूर्ण हो जाता है। पीएमएलए के तहत सभी अपराध संज्ञेय और गैर-जमानती हैं, जिनमें अग्रिम जमानत का कोई प्रावधान नहीं है।
धारा 45 के तहत जमानत के लिए निम्न शर्तें
वर्तमान सरकार ने 2018 में पीएमएलए में कुछ संशोधन किया था, जिसके मद्देनजर धारा 45 के तहत जमानत के लिए दो सख्त शर्तें है। पहला यह कि कोर्ट को यह मानना होगा कि आरोपी दोषी नहीं है और दूसरा यह कि जमानत के दौरान आरोपी का अपराध करने की कोई भी मंशा नहीं होगी। सुप्रीम कोर्ट ने 2018 में ईडी की शक्तियों और पीएमएलए अधिनियम में संशोधन को बरकरार रखते हुए कहा कि मनी लॉन्ड्रिंग एक जघन्य अपराध है, जो देश के सामाजिक और आर्थिक मामले को प्रभावित करता है।
मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की अर्जी पर हाई कोर्ट में सुनवाई शुरू हो गई है. केजरीवाल ने अपनी गिरफ्तारी को चुनौती दी है. केजरीवाल की अर्जी पर ईडी ने दिल्ली हाईकोर्ट में हलफनामा दिया था, जिसमें केजरीवाल को घोटाले का मुख्य साजिशकर्ता बताया थाअरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी और ज्यूडिशियल कस्टडी के खिलाफ दिल्ली हाईकोर्ट में सुनवाई पूरी हो गई है. केजरीवाल ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की है और खुद की रिहाई की मांग की है। ऐसे मे जब तक आरोप सिद्ध नहीं हो जाता तब तक जेल से सरकार चलाया जा सकता है।
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