अपकृत्य विधि के अंतर्गत मानहानि से आप क्या समझते है? मानहानि के अपवाद क्या है।

मानहानि-

सभी व्यक्ति का  समाज मे कुछ मान सम्मान होता है। मान हानि शब्द से ही यह स्पष्ट हो रहा है कि किसी के मान सम्मान को ठेस पहुँचाना है। जब व्यक्ति समाज मे रहता है तो समाज मे उसकी एक इज़्ज़त होती है यह मान सम्मान से ही आती है।

मान सम्मान समाज के लिए संपत्ति से अधिक मूल्यवान होता है। सभी व्यक्ति अपने सम्मान को हर कीमत पर बनाए रखता है। उसकी सम्मान या प्रतिस्था को हानि पहुँचना मान हानि कहा जाता है।

इसका मतलब होता है किसी के सम्मान को ठेस पाहुचाना होता है। किसी भी स्थित मे मान सम्मान बनाए रखना सबकी प्रमुखता होती है। सभी अपनी प्रतिस्था बना कर रखना चाहते है परंतु यदि कोई किसी व्यक्ति के लिए समाज मे कोई गलत बात कर दे तो वह उसकी मान सम्मान पर आ जाती है और यह उसकी प्रतिस्था कि हानि हुई यानि कि उसके मानहानि हुई। क्योंकि किसी के कहे हुए शब्द से दूसरे पर इसका प्रभाव पड़ता है और लोग अलग सोचने लगते है।

सामण्ड के अनुसार-

मान हानि किसी अन्य व्यक्ति के संबंध मे बिना किसी कारण के वो बात जो सत्य नही हो असत्य बात कही गयी हो और उसका कोई विधिक औचित्य भी नही हो तो वह मान हानि का कारक होता है। यानि कि उसकी वजह से मान हानि होता है।

इनके अनुसार मानहानि बिना किसी कारण के असत्य बात से मान हानि हो तो उस कथन का चित्रो या कथन द्वारा यह प्रकाशित करना जिससे उस संबन्धित व्यक्ति के प्रति घृणा ,उपहास या  अपमान का भाव उत्पन्न होता है तो यह भी मान हानि के अंतर्गत आता है।जिससे उसको तकलीफ़ होती है और उसकी प्रतिष्ठा को हानि पाहुची है तो वह मान हानि के अंतर्गत आता है।

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उदाहरण

क ने खा के बारे मे सबसे कहा कि उसकी नौकरी घूष देकर लगी है जबकि वह बड़ी मेहनत से परीक्षा पास कर नौकरी पाया है तो यह उसकी प्रतिस्था पर ठेस पहुँचाना हुआ और वह मान हानि के अंतर्गत आता है।

स एक स्कूल मे टीचर है और व उस स्कूल मे पड़ता है व ने बोर्ड पर स के लिए लिखा कि उसके द्वारा कोचिंग लिए बच्चों को स पास कर देता है जबकि यह बात असत्य है तो स मान हानि के अंतर्गत आता है क्योंकि इससे उसकी ख्याति पर अशर पड़ता है।  

मानहानि के आवश्यक तत्व –

मानहानि या तो लिखित या किसी के द्वारा बोली गयी शब्दो से हो सकती है। इसमे निम्न तत्व होना चाहिए।

दुर्भाव –

मानहानि सिद्ध करने के लिए वादी को यह सिद्ध करना होता है कि प्रतिवादी ने जो अपमान जनक भाव लिखा है या कही है या प्रकाशित की है उसमे उसकी दुर्भावना की भावना है इसमे दुर्व्यवहार की भावना असावधानी पूर्वक या जानबूझकर हो सकती है। मानहानि का वाद करने वाले को यह सिद्ध करना होता है कि प्रमुख व्यक्ति जो कि जो अपमान जनक भाव लिखा है या कही है या प्रकाशित की है उसमे उसकी दुर्भावना है।

इससे संबन्धित शब्द मानहानि कारक होता है।

प्रतिवादी जिस शब्द का प्रयोग करता है वह मानहानि कारक होना चाहिए यह तब होगा यदि –

वह वादी के प्रति घृणा ,उपहास या  अपमान का भाव उत्पन्न करता है।

उसके व्यवसाय  को हानि पहुचाता है।

उसका समाज मे बदनाम करता है। और उसके लिए समाज के लोगो मे घृणा ,उपहास या  अपमान का भाव उत्पन्न करता है।

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उदाहरण

एक व्यापारी ने नैचुरल क्रीम बनाने का व्यवसाय प्रारम्भ किया परंतु किसी ने यह अफ़वाह उड़ा दी कि यह क्रीम चेहरे को जला देती है। जिससे उसका व्यापार बंद हो गया। वह मान हानि के अंतर्गत आ जाएगा।

किसी वर्ग के लिए मान हानि –

जब शब्द किसी व्यक्ति या उसके समूह के लिए कहे गए है तो वह व्यक्ति या समूह का कोई व्यक्ति तब तक वाद नही कर सकता है जब तक यह सिद्ध न कर दे कि वह उसी या उसके समूह के लिए कहा गया है।

शब्दों को वादी के प्रति निर्देशित होना चाहिए –

मान हानि के लिए यह आवश्यक है कि यह कथन वादी के लिए निर्देशित होना चाहिए प्रतिवादी मान हानि के लिए उत्तरदायी होगा।

शब्दो को प्रकाशित होना चाहिए –

प्रकाशन का अर्थ कोई कथन सभी व्यक्ति या एक व्यक्ति समूह को दिखे केवल एक व्यक्ति जो मान हानि का दावा कर रहा है उसी को नही। और यह आवश्यक है कि मान हानि का कथन प्रकाशित हुआ हो। यदि ऐसा नही है तो कोई मान हानि का दावा नही कर सकता है।

मानहानि का अपवाद –

मान हानि के निम्न अपवाद है।

मान हानि के वाद मे प्रतिरक्षा

सत्य-

यदि आप मानहानि मे सत्य बात कही है तो यह आप कि रक्षा करेगी क्योकि विधि उस नुकसान के भरपाई के लिए नही कहेगी जो सत्य कहा गया हो।

उदाहरण

अलेक्जेंडर बनाम रेलवे कंपनी

इसमे एक व्यक्ति बिना टिकट रेल मे यात्रा कर रहा था और उसको टीटी द्वारा पकड़ लिया जाता है और उसको जुर्माना और सजा सुनाई जाती है और यह पत्रकार द्वारा छाप दिया जाता है। और अलेक्ज़ेंडर द्वारा उस पर मान हानि का दावा किया गया कि उसके द्वारा फैलाई खबर से उसकी समाज मे बेजजती हुई है परंतु न्यायालय ने उसको मुक्त कर दिया क्योंकि यह बात सत्य थी।

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सद्भावपूर्ण टिप्पणी –

सभी व्यक्ति को मूल अधिकार के रूप मे लोक हित मे टीका टिप्पणी करने का अधिकार होता है। परंतु प्रतिवादी को यह सिद्ध करना होगा कि यह टीका टिप्पणी निम्न के लिए किया गया है।

जो उचित है।

यह लोक हित मे है।

यह निष्पक्ष है।

यह लोक हित के तथ्य के आधार पर किया गया है।

विशेषाधिकार –

यदि कोई व्यक्ति किसी पर मानहानि का दावा करता है और दूसरा व्यक्ति यह सिद्ध कर दे कि उसके पास इसका विशेषाधिकार था तो वह इससे बच सकता है। इसमे विशेषाधिकार के अनुसार ही कथन को प्रकाशित करना होता है यह 2 प्रकार का होता है।

आत्यंतिक और सीमित विशेषाधिकार

क्षमायाचना –

अगर मान हानि दायर किए हुए व्यक्ति से आप माफी माग लेते है और वह व्यक्ति आपको माफ कर देता है तो वह आपके खिलाफ वाद दायर नही करेगा और इस प्रकार आप मान हानि से बच सकते है।

हमने आपको अपकृत्य विधि के अंतर्गत मानहानि से आप क्या समझते है? मान हानि के अपवाद क्या है। इसके विषय मे बताया है। यदि आप इससे संबन्धित कोई सुझाव या जानकारी देना चाहते है।या आप इसमे कुछ जोड़ना चाहते है। या इससे संबन्धित कोई और सुझाव आप  हमे देना चाहते है।  तो कृपया हमे कमेंट बॉक्स मे जाकर अपने सुझाव दे सकते है।

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