अनाधिकार प्रवेश — अनाधिकार प्रवेश वह प्रवेश होता है जो की किसी की भूमि पर बिना किसी उचित अधिकार के प्रवेश के रूप मे या भूमि संबंधी अधिकार में हस्तक्षेप के द्वारा हो। इस प्रकार किसी व्यक्ति की भूमि पर अवैध रूप से अगर प्रवेश किया जाए तो ऐसे प्रवेश को अनाधिकार प्रवेश या अतिचार कहते हैं।
रतन लाल धीरजलाल के अनुसार –
“Tresspass of land is an unwarranted entry upon the land of another or any direct and immediate act of interference with the possession of land.
अर्थात् हम कह सकते है की “अतिचार किसी व्यक्ति की भूमि पर अनाधिकृत प्रवेश करने या फिर उसके आधिपत्य में किसी प्रकार का प्रत्यक्ष हस्तक्षेप करने को कहते हैं”
डॉ॰ अण्डरहिल ने अतिचार की परिभाषा इस प्रकार दी है
“Transfer quare clausum frigit is committed by entry on the land of a person without lawful authority. It constitutes a tort without proof of actual damage.”
भारतीय दण्ड संहिता की धारा 441 मे इसे अपराध माना गया है अर्थात इस प्रकार के दुष्कृत्य के निर्माण के लिए बल का प्रयोग आवश्यक नहीं है। किसी दीवार, बाड़े अथवा फाटक को तोड़े बिना भी यह संभव हो जाता है।
इसके लिए कोई अवैध उद्देश्य अथवा वास्तविक क्षति भी आवश्यक नहीं है । यदि कोई व्यक्ति अनाधिकृत रूप से दूसरे व्यक्ति की भूमि में प्रवेश करता है और बिना किसी हानि पहुँचाए वापस चला जाता है तब भी वह इसका दोषी है।
यह दुष्कृति वास्तव में किसी व्यक्ति की भूमि पर अनाधिकार प्रवेश करने अथवा हम कह सकते है की उसके आधिपत्य में किसी प्रकार का हस्तक्षेप करने से पूर्ण हो जाती हैं।
इन परिभाषाओं के अध्ययन से हम इस निष्कर्ष पर पहुँचते हैं कि “अन्य व्यक्ति की संपत्ति के प्रति किया गया छोटा से छोटा गलत कार्य अनाधिकार प्रवेश के अंतर्गत आ जाता है बशर्ते कि उसमें सम्पत्ति के स्वामी के आधिपत्य में हस्तक्षेप किया गया हो।
अनाधिकार प्रवेश के निम्न प्रकार
- दोषपूर्ण प्रवेश के द्वारा
- लाइसेंस के दुरुपयोग द्वारा
- वायुमंडल में अनाधिकार प्रवेश द्वारा
- जानवरों द्वारा अनाधिकार प्रवेश
- भूमि पर रहकर अनाधिकार प्रवेश
1. दोषपूर्ण प्रवेश के द्वारा
किसी भी व्यक्ति के द्वारा यदि किसी अन्य व्यक्ति की भूमि पर व्यक्तिगत प्रवेश या किसी भी अनाधिकार प्रवेश की कोटि में आ जाता है अनाधिकार प्रवेश में शारीरिक संपर्क आवश्यक है। जैसे किसी की दीवाल को छूना या उस पर बैठना या फिर पैर रखना अनाधिकार प्रवेश की कोटि में आते हैं।
2. लाइसेंस के दुरुपयोग के द्वारा —
किसी व्यक्ति के द्वारा यदि अपनी भूमि किसी अन्य व्यक्ति को किसी योजना के लिए देना, परंतु उस व्यक्ति द्वारा भूमि पर अन्य कोई कार्यवाही यदि की जाती है तो ऐसा करना ही उस व्यक्ति को अनाधिकार प्रवेश के अपकृत्य का दोषी ठहरायेगा।
3. वायुमंडल में अनाधिकार प्रवेश —
यह सामान्य नियम है कि प्रत्येक व्यक्ति को अपनी भूमि के ऊपर समस्त वायुमंडल पर पूरा अधिकार होता है ।किंतु अगर कोई व्यक्ति भूमि के ऊपर वायुमंडल की की सतह में अनाधिकार प्रवेश करता है तो उस कार्य को वायुमंडल में अनाधिकार प्रवेश नहीं माना जाता है । जब तक कि अनाधिकार प्रवेश से भूमि को कोई वास्तविक क्षति न पहुँची हो।
जहाँ तक किसी व्यक्ति की भूमि के ऊपर वायुमंडल में उड़ने की बात है तो इस प्रकार के विषय पर एयर नैविगेशन एक्ट,1920 ने स्थिति को बिलकुल स्पष्ट कर दिया है।
इस अधिनियम के अनुसार
“यदि कोई वायुयान किसी व्यक्ति की भूमि के ऊपर वायुमंडल में होकर उड़ता है तो उस भूमि का स्वामी वायुयान के स्वामी के विरुद्ध अनाधिकार प्रवेश के आधार पर मुक़दमा नहीं चला सकता।
किन्तु यह शर्त है कि वायुयान भूमि से पर्याप्त ऊँचाई पर उड़ेऔर यदि वायुयान के उड़ान लेते समय या उतरते समय भू-स्वामी को किसी प्रकार की क्षति पाहुचती है तो वह भू-स्वामी क्षतिपूर्ति प्राप्त करने का अधिकारी होगा।”
भारतीय विधि में भी यह उपबंध दिया गया है कि “यदि कोई व्यक्ति जानबूझकर किसी व्यक्ति को या फिर उसकी भूमि को किसी भी प्रकार से क्षति पहुँचाने के इरादे से ऐसी उड़ान भरता है तो वह है एक अपराध है और इस प्रकार के अपराध के लिए उसे छह माह के कारावास या 1 हज़ार रुपए का अर्थदण्ड या दोनों से दंडित किया जा सकता है।”
4. जानवरों के द्वारा अनाधिकार प्रवेश—
किसी की भूमि के अंदर जानवरों का प्रवेश भी प्रतिवादी द्वारा यदि किया गया है तो यह अनाधिकार प्रवेश माना गया है।
कामस बनाम वरवीज़ में यह निर्धारित किया गया कि यदि किसी व्यक्ति के जानवर जो की भेड़, बकरी, गाय, भैस, आदि यदि किसी अन्य की भूमि में प्रवेश कर जाते हैं तो वह व्यक्ति जानवरों द्वारा भूमि अनाधिकार प्रवेश पर क्षति के लिए उत्तरदायी होगा।
5. भूमि पर रहकर अनाधिकार प्रवेश —
यदि किसी भी व्यक्ति को हम अपनी भूमि पर किसी भी वैध प्रयोजन के लिए देते है और वह व्यक्ति उस भूमि पर रहकर अपने वैध काम को पूरा कर लेता है परन्तु कार्य करने के पश्चात् भी अगर भूमि को नही छोड़ता है तो इसे हम भूमि पर अनाधिकार प्रवेश कहेंगे।
अनाधिकार प्रवेश की कार्यवाही में वादी को निम्नलिखित बातें सिद्ध करना होगा ।
- जिस समय भूमि पर क़ब्ज़ा किया गया हो उस समय वादी का भूमि पर पूर्ण रूप से वास्तविक आधिपत्य था।
- इस प्रवेश से उसके भूमि संबंधी आधिपत्य में प्रत्यक्ष हस्तक्षेप हुआ हो । परंतु इसमें यह सिद्ध करना आवश्यक नहीं कि उसकी भूमि पर वास्तविक क्षति हुई है। क्योंकि अनाधिकार प्रवेश स्वतः वाद योग्य है।
उपाय-
वादी को अनाधिकार प्रवेश के विरुद्ध निम्नलिखित तीन उपाय हैं
वह वादी के ख़िलाफ़ कभी भी वाद ला सकता है।
उसको बलपूर्वक अपनी भूमि पर आधिपत्य से रक्षा करना चाहिए और अनाधिकार प्रवेश कर्ता को अपनी भूमि से बलपूर्वक हटा दें।
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