बच्चों के अधिकार,कानून की बात तो आज सभी करते हैं।लेकिन ये कानून कौन कौन से हैं इसकी जानकारी बहुत कम लोगों को है।आइए देखें बच्चों के वो कौन कौन से अधिकार हैं जिन्हें देकर हम बच्चों का जीवन संवार सकते हैं।
वैसे तो बच्चो के कानून की बात करे तो 41 बाल अधिकारों में से 16 अधिकार भारतीय बच्चों के संदर्भ में ज्यादा जरूरी हैं। इन्हें हर भारतीय को जानना भी चाहिये। इसीलिए मैं उन्हीं 16 अधिकारों के बारे में विस्तार से लिख रही हूं।
जिंदा रहना एवम विकसित होना : हर बच्चे को जिन्दा रहने का मौलिक अधिकार है। इसकी पूरी जिम्मेदारी राज्य पर है।हर राज्य इस के लिये नैतिक रूप से बंधा है।राज्य को हर बच्चे के जीवन और विकास को निश्चित करना चाहिए।
कोई भेद भाव नहीं बिना भेदभाव के हर अधिकार हर बच्चे के लिए लागू होंगे।यह हर राज्य की नैतिक जिम्मेदारी है कि वह बच्चों को किसी भी तरह के भेदभाव से बचाये।उनके अधिकारों को बढ़ाने के लिए उचित कदम उठाए।
मां बाप की जिम्मेदारी :- बच्चों को आगे बढ़ाने की पहली जिम्मेदारी मां बाप दोनों पर है।राज्य इस काम में उन्हें सहारा देगा।राज्य मां बाप या अभिभावक को बच्चों के विकास के लिये उचित सहायता देगा।
स्वास्थ्य सेवायें:- बच्चे को उच्चतम स्वास्थ्य एवं चिकित्सा सुविधायें पाने का अधिकार है।हर राज्य बच्चों को प्रारंभिक स्वास्थ्य की रक्षा,और शिशुओं की मृत्यु दर कम करने पर विशेष बल देगा।
अच्छा जीवन स्तर:- हर बच्चे को अच्छा जीवन स्तर पाने का अधिकार है।जिसमें उसका पर्याप्त मनसिक, शारीरिक, बौद्धिक, नैतिक और सामाजिक विकास हो सके। उसे पर्याप्त रोटी कपड़ा और मकान मिल सके।
विकलांग बच्चों के लिए उचित व्यवस्था:- हर अक्षम बच्चे को विशेष देखभाल, शिक्षा, प्रशिक्षण पाने का अधिकार है।जिससे वह सक्षम हो कर अपने समाज का हिस्सा बन जाए।
नशीले पदार्थों से बचाव:- हर बच्चे को नशीली दवाओं,मादक पदार्थों के उपयोग से बचाए जाने का
अधिकार है।राज्य बच्चे को इन दवाओं,नशीले पदार्थों के बनाने बेचने से बचायेगा।
शिक्षा की व्यवस्था:- हर बच्चे को शिक्षा पाने का अधिकार है।हर राज्य का यह कर्तव्य है कि वह हर बच्चे के लिये प्राथमिक स्तर की शिक्षा निःशुल्क एवम अनिवार्य करे।बच्चों को माध्यमिक स्कूलों में प्रवेश दिलवाए।यथा संभव हर बच्चे को उच्च शिक्षा दिलवाए।विद्यालयों में अनुशासन बच्चों के आत्मसम्मान को चोट पहुंचाने वाला न हो।शिक्षा बच्चों को ऐसे जीवन के लिये तैयार करे जो उसमें समझ,शान्ति एवं सहनशीलता विकसित करे।
क्रीड़ा एवं सांस्कृतिक गतिविधियां :- बच्चे के सम्पूर्ण विकास में खेलकूद, मनोरंजन, सांस्कृतिक गतिविधियों, विज्ञान का बड़ा हाथ होता है। इसलिये हर बच्चे को छुट्टी, खेलकूद तथा कलात्मक,सांस्कृतिक गतिविधियों में भाग लेने का अधिकार प्राप्त है। बच्चे को ऐसा माहौल प्रदान करना राज्य की जिम्मेदारी है।
दुर्व्यवहार से रक्षा :- बच्चे को उपेक्षा,गाली,दुर्व्यवहार से बचाये जाने का अधिकार है। राज्य का यह कर्तव्य है वह बच्चों को हर तरह के दुर्व्यवहार से बचाये। पीड़ित बच्चों के सुधार,उचित उपचार के लिये उचित सामाजिक कार्यक्रम चलाये जाने चाहिए।
अनाथ बच्चों की रक्षा :- समाज के अनाथ बच्चों को सुरक्षा पाने का अधिकार है।राज्य का कर्तव्य है कि अनाथ बच्चों के सरक्षण, उनको पारिवारिक माहौल देने वाली संस्थाओं या सही परिवार द्वारा गोद लेने की व्यवस्था करे।
बाल श्रमिकों की सुरक्षा:- बच्चों को ऐसे कामों से बचाये जाने का अधिकार है जो उसके स्वास्थ्य, शिक्षा, विकास को हानि पहुंचायें।राज्य को बाल मजदूरी और नौकरी की न्यूनतम उम्र तय करने के साथ काम करने का माहौल सुधारना चाहिये।
बेचने, भगाने पर रोक:- किसी बच्चे को बेचना, बहला फ़ुसलाकर अपहरण करना, या जबरन काम करवाना कानूनी अपराध है।राज्य की नैतिक जिम्मेदारी है कि वह बच्चे को इनसे
बचाये।
यौन शोषण से बचाव:- हर राज्य की जिम्मेदारी है कि वह बच्चों को यौन अत्याचारों,वेश्यावृत्ति या अश्लील चित्रों के व्यवसाय से बचाये।
यातना ,दासता पर रोक :- बच्चे को कठोर दण्ड,यातना, गैर कानूनी कैद नहीं दी जा सकती। 18 साल
से कम बच्चे को आर्थिक दण्ड,उम्रकैद जैसी सजा नहीं दी जा सकती। बाल कैदियों के साथ क्रूरता,कठोरता का व्यवहार नहीं होना चाहिये।
किशोर न्याय का प्रबंध :- अपराध करने वाले बच्चों के साथ ऐसा व्यवहार होना चाहिये जिससे उनके
आत्मसम्मान, योग्यता, विकास को बल मिले।जो उन्हें समाज के साथ फ़िर से जोड़े। जहां तक संभव हो ऐसे बच्चों को कानूनी कार्यवाहियों या संस्थागत परिवर्तनों से बचाना चाहिये।
इनकी रक्षा के लिए निम्न अधिनियम बनाए गए है।
बाल अधिकार समिति की निश्चायक टिप्पणियां
संशोधन अधिनियम 1956 अनैतिक व्यापार रोकथाम में प्रस्तावित
शिशुओं एवं छोटे बच्चों के आहार संबंधी राष्ट्रीय दिशानिर्देश
शिशु दुग्ध अनुकल्प संबंधी अधिसूचना
शिशु दुग्ध अनुकल्प, पोषण बोतल एवं शिशु खाद्य (उत्पादन, आपूर्ति एवं वितरण का विनियमन) संशोधन अधिनियम, 2003
शिशु दुग्ध अनुकल्प, पोषण बोतल एवं शिशु खाद्य (उत्पादन, आपूर्ति एवं वितरण का विनियमन) अधिनियम, 1992
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शिशु दुग्ध अनुकल्प संबंधी अधिसूचना 2003
शिशु दुग्ध अनुकल्प अधिनियम, 1992
बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम, 2006
बाल विवाह निषेध अधिनियम , 1929
बाल अधिकार संरक्षण आयोग (संशोधन) अधिनियम, 2006
राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग नियमावली, 2006
बाल अधिकार संरक्षण आयोग अधिनियम, 2005
किशोर न्याय की देखभाल और बच्चों को अंग्रेजी में नियम 2007 का संरक्षण
किशोर न्याय (बच्चों की देखरेख और संरक्षण) अधिनियम, 2000
किशोर न्याय (बच्चों की देखरेख और संरक्षण) संशोधन अधिनियम, 2006
किशोर न्याय अधिनियम का कार्यान्वयन अर्ध शासकीय संख्या 1-22004-सीडब्ल्यू।।
09 सितम्बर, 2011 तथा 26 दिसम्बर, 2011 को अधिसूचित किशोर न्याय (बच्चों की देखरेख और संरक्षण) अधिनियम 2011 और किशोर न्याय (बच्चों की देखरेख और संरक्षण) संशोधन नियमावली, 2011
बच्चों का लैंगिक अपराधों से संरक्षण विधेयक, 2011
बच्चों का लैंगिक अपराधों से संरक्षण अधिनियम, 2012 में संशोधन
बच्चों का लैंगिक अपराधों से संरक्षण अधिनियम, 2012 को लागू करने से संबंधित 09/11/2012 का भारत का राजपत्र
बच्चों का लैंगिक अपराधों से संरक्षण नियमावली, 2012
बच्चों का लैंगिक अपराधों से संरक्षण अधिनियम, 2012
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