भारतीय संविधान और दण्ड प्रक्रिया संहिता मे महिलाओ के कानूनी अधिकार का वर्णन

महिलाओ के कानूनी अधिकार- आज के बदलते दौर मे महिलाओ की दशा मे भी परिवर्तन हुए हैं | आज महिलाये पहले की तरह बेबश और बेकार नही हैं आज महिलाये धरती से लेकर आसमान तक अपना परचम लहरा रही हैं आज नारी इंस्पेक्टर ,पायलट ,क्रषी निदेशक और देश की रक्षा करने मे भी पीछे नही हट रही हैं |

आज की नारी सशक्त नारी हैं परंतु बदलते समय मे भी नारी की भूमिका धूमिल हो रही हैं| आज भी नारी की सुरक्षा को लेकर संशय हैं |आज के दौर मे भी नारी सुरक्षित नही महसूस कर रही हैं |

आज भी नारी के साथ अत्याचार लगातार हो रहे हैं हलाकी इसमे कमी आई हैं पर आज भी पूर्णता नारी सुरक्षित नही इसके कई कारण हैं | कुछ महिलाओ को आज भी अपने अधिकारो का पता नही है |कुछ महिलाओ को इसका ज्ञान तो हैं पर वह लोक लज्जा ,भय आदि की वजह से अपने अधिकारो को छीन नही सकती हैं |

इस पोस्ट के माध्यम से हम महिलाओ के अधिकार और इनकी शक्तियों का तथा महिलाये अपने अधिकार के लिए कहा जा सकती हैं कैसे अपने अधिकार प्राप्त कर सकती हैं इसकी जानकारी देंगे|

भारतीय संविधान मे महिलाओ के कानूनी अधिकार-

भारतीय संविधान ने महिलाओ को निम्न अधिकार दिये गए हैं।

इसमे अनुच्छेद 14,15 मे समता का अधिकार दिया गया हैं जिसके अनुसार स्त्री हो या पुरुष सबको समान अधिकार हैं |

अनुच्छेद 15 के अनुसार सभी का धर्म जाति मूल वंश आदि के आधार पर विभाजन नही किया जा सकता हैं |

अनुच्छेद 16 के अनुसार लोकसेवा के लिए सभी बराबर हैं|

अनुच्छेद 23 मे मानव के साथ हुए दुर्व्यवहार का वर्णन किया जाता हैं|

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अनुच्छेद 39 के अनुसार नीति निदेशक तत्व के बारे मे बताया गया हैं जिसमे महिलाओ को पुरुषो की भाति समान वेतन दिया जाएगा ,तथा स्त्रीयों के शोषण के विरुद्ध कानून के बारे मे जानकारी दी गयी हैं |

अनुच्छेद 42  के अनुसार कोई भी व्यक्ति स्त्री से कठोर कार्य नही करा सकता और न ही भारी मशीनों पर जादा देर तक कार्य करा सकता हैं |इसके लिए कठोर सजा का प्रावधान दिया गया हैं|

अनुच्छेद 51 (3) के अनुसार सभी धर्म जाति की रक्षा करे तथा स्त्रीयों का सम्मान करे सभी मे समानता की भावना जाग्रत करे |सभी मे समरसता प्रदान करे |

अनुच्छेद 243 (घ) के अनुसार पंचायत मे महिलाओ की स्थिति सुनिश्चित करे तथा पुरुष की भाति महिलाओ को भी अधिकार प्रदान करे |

अनुच्छेद 494 के अनुसार यदि एक बार विवाह हो गया हैं तो पुनः विवाह करना दंडनीय हैं |

अनुच्छेद 498 के अनुसार किसी दूसरे की पत्नी को बहला फुसला कर अपने साथ ले जाना अपराध हैं|

अनुच्छेद 498(अ) पत्नी के साथ अपमानवीय व्योहार करना

अनुच्छेद 509 स्त्री का अनादर करना।

इसके अलावा प्रशूति लाभ भी दिया जाएगा –

इसमे भारत सरकार ने 6000 रुपये का लाभ प्रदान किया जाएगा | 2017 बिल के अनुसार गर्भवती महिलाओ की मदत के लिए नए कानून बनाया जा रहा हैं |

धारा 46 के अनुसार अनुसूचित तथा दुर्बल लोंगों को शिक्षा संबंधी अधिकार प्रदान किए गए हैं |

सरकार ने आईसीएसडी के अनुसार पोशाक तत्व की खुराक तथा पोषण आहार प्रदान करता हैं |

51आ(ए) के अनुसार राज्य ऐसे कानून का विरोध करेगा जहा महिलाओ का शोषण हो रहा हो |

नगर पालिका के चुनाव मे भी स्त्री का 1/3 आरक्षण प्रदान किया जाएगा |

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भारतीय दंड अधिनियम के अनुसार महिलाओ के अधिकार –

महिलाओ की सुरक्षा के लिए क्रिमिनल एक्ट 2013 का संशोधन किया –

जिसके अनुसार महिलाओ के खिलाफ होने वाले संघेय अपराधो का दंड बढ़ा दिया गया हैं |इसमे जुर्माना का प्रावधान भी कर दिया गया हैं | अब जमानत करना आशान नही हैं |

354 b के अनुसार स्त्री का पीछा करना या हमला करना आदि शामिल हैं | इसमे 3 साल की सजा का प्रावधान हैं |

166b के अनुसार यदि कोई अस्पताल किसी पीडिट को एड्मिट करने से माना कर देता हैं तो 1 साल की सजा का प्रावधान हैं |

326a और b के अनुसार यदि कोई किसी लड़की पर अम्ल आदि फेखता हैं तो 10 वर्ष से आजीवन करवाश दिया जाता हैं |

धारा 344 के अनुसार असलील वीडियो दिखाना ,टौंत काशना या टिपपड़ी करता हैं तो 3 साल की सजा का प्रावधान हैं |

354c के अनुसार द्रस्तकारिता पर 1 साल की सजा का प्रावधान हैं |

354d के अनुसार यदि कोई किसी स्त्री का पीछा करता हैं तो उसको कम से कम 3 साल की सजा का प्रावधान हैं|

376 रेप के लिए कम से कम 7 वर्ष कारावाश का प्रावधान हैं |जो बड़ा कर आजीवन कारावाश कर दिया गया हैं |

363-373 तक किड्नापिंग के अंतर्गत आता हैं |

धारा 509 मे सेक्सुयल हराशमेंट आता हैं |

302-304 के अंतर्गत यदि कोई महिला दहेज के लिए मार दी जाती हैं तो यह इसके अंतर्गत आता हैं |

366b के अनुसार यदि कोई किसी महिला की तशकरी करता हैं तो यह इसके अंतर्गत सजा का प्रावधान हैं |

इसके अलावा शादी शुदा स्त्री अपने ही घर मे रह सकती हैं और अपने साथ हुए अत्याचार को लिखित सूचना देकर बंद करा सकती हैं |

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महिला को अपने बच्चे की कस्टडि लेने का अधिकार होता हैं |

हिन्दू विवाह अधिनियम के अनुसार भी कुछ कारण होने पर पत्नी को तलाक लेने का अधिकार होता हैं |

यदि पुरुष अक से अधिक विवाह कर चुका हो|

यदि पुरुष महिला को प्रताड़ित करता हो|

यदि दोनों 1 साल से अलग रह रहे हो |

यदि पति को कोई मानशिक बीमारी हो गयी हो |

शादी सुदा स्त्री अपने पति से गुजारा भत्ता ले सकती हैं |

तलाक के बाद सेक्शन 25 के अंतर्गत भरण पोषण प्राप्त कर सकती हैं |

कोई भी महिला को अपने पिता की संपत्ति मे हिस्सा पाने का अधिकार होता हैं |

पत्नी को अपने स्त्री धन पर पूरा अधिकार होता हैं|

बिना स्त्री के अनुमति के लिंग जांच नही की जा सकती हैं |

कोई भी विवाहित या अविवाहित महिला बच्चे को गोद ले सकती हैं |

बच्चे के दाखिले के लिए पति का नाम लिखना आवश्यक नही हैं |

महिला कर्मचारी को समान कार्य के लिए समान वेतन देना आवश्यक हैं |

शाम को 7 बजे के बाद यदि कोई महिला कार्य नही करना चाहती हैं तो उसका वेतन नही काटा जा सकता हैं|

विधवा अपने पति की संपत्ति की मालकिन होती हैं भले ही वह दूसरा विवाह क्यो न कर ली हो |

अगर पत्नी एचआईवी पॉज़िटिव हैं तो पति को यह हक़ हैं की उसकी सेवा करे|

किसी भी महिला को केवल महिला पोलिस ही गिरफ्तार कर सकती हैं|

सुर्वोदय के पहले तथा सुर्वोदय के बाद महिला को पोलिस थाने मे रख कर पूछ ताछ नही कर सकती हैं |

महिला की जांच महिला डॉक्टर ही करेंगे |

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