जैसा कि आप सभी को ज्ञात होगा इससे पहले की पोस्ट में दंड प्रक्रिया संहिता धारा 291 तक का विस्तृत अध्ययन करा चुके है यदि आपने यह धाराएं
नहीं पढ़ी है तो पहले आप उनको पढ़ लीजिये जिससे आपको आगे की धाराएं समझने में आसानी होगी।
धारा 291
इस धारा के अनुसार चिकित्सीय साक्षी का अभिसाक्ष्य को बताया गया है।
(1) अभियुक्त की उपस्थिति में मजिस्ट्रेट द्वारा लिया गया निर्णय और अनुप्रमाणित किया गया या इस अध्याय के अधीन कमीशन पर लिया गया तथा सिविल सर्जन या अन्य चिकित्सीय साक्षी का अभिसाक्ष्य इस संहिता के अधीन किसी जांच, विचारण या अन्य कार्यवाही में साक्ष्य में दिया जा सकेगा, यद्यपि अभिसाक्षी को साक्षी के तौर पर नहीं बुलाया गया है।
(2) यदि न्यायालय ठीक समझता है तो वह ऐसे किसी अभिसाक्षी को समन कर सकता है और उसके अभिसाक्ष्य की विषयवस्तु के बारे में उसकी परीक्षा कर सकता है और अभियोजन या अभियुक्त के आवेदन पर वैसा करेगा।
धारा 292
इस धारा के अनुसार टकसाल के अधिकारियों का साक्ष्य को बताया गया है।
(1) इस अनुसार कोई दस्तावेज जो की यथास्थिति, किसी टकसाल या नोट छपाई मुद्राणालय के या सिक्योरिटी प्रिंटिंग प्रेस के (जिसके अन्तर्गत स्टांप और लेखन सामग्री नियंत्रक का कार्यालय भी है। या फिर न्याय संबंधी विभाग या न्यायालयिक प्रयोगशाला प्रभाग के ऐसे अधिकारी की या प्रश्नगत दस्तावेजों के सरकारी परीक्षक या प्रश्नगत दस्तावेजों के राज्य परीक्षक की जिसे केन्द्रीय सरकार अधिसूचना द्वारा इस निमित्त विनिर्दिष्ट करे उसको इस संहिता के अधीन किसी कार्यवाही के दौरान परीक्षा और रिपोर्ट के लिए सम्यक्त रूप से उसे भेजी गई किसी सामग्री या चीज के बारे में स्वहस्ताक्षरित रिपोर्ट होनी तात्पर्यित है। तथा इस संहिता के अधीन किसी जांच, विचारण या अन्य कार्यवाही में साक्ष्य के तौर पर उपयोग में लाई जा सकेगी। यद्यपि ऐसे अधिकारी को साक्षी के तौर पर नहीं बुलाया गया है।
(2) यदि न्यायालय ठीक समझता है तो वह ऐसे अधिकारी को समन कर सकता है और उसकी रिपोर्ट की विषयवस्तु के बारे में उसकी परीक्षा कर सकता है :
परन्तु ऐसा कोई अधिकारी किन्हीं ऐसे अभिलेखों को पेश करने के लिए समन नहीं किया जाएगा जिन पर रिपोर्ट आधारित है।
(3) भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 1872 की धारा 123 और 124 के उपबंधों पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना यह है कि ऐसा कोई अधिकारी जो की यथास्थिति, किसी टकसाल या नोट छपाई मुद्राणालय या सिक्योरिटी प्रिंटिंग प्रेस या न्याय संबंधी विभाग के महाप्रबंधक या किसी अन्य भारसाधक अधिकारी या न्यायालयिक प्रयोगशाला के भारसाधक किसी अधिकारी या प्रश्नगत दस्तावेज संगठन के सरकारी परीक्षक या प्रश्नगत दस्तावेज संगठन के राज्य परीक्षक की अनुज्ञा के बिना जो कि
(क) ऐसे अप्रकाशित शासकीय अभिलेखों से, जिन पर रिपोर्ट आधारित है, प्राप्त कोई साक्ष्य देने के लिए अनुज्ञात नहीं किया जाएगा। अथवा
(ख) किसी सामग्री या चीज की परीक्षा के दौरान उसके द्वारा किए गए परीक्षण के स्वरूप या विशिष्टियों को प्रकट करने के लिए अनुज्ञात नहीं किया जाएगा।
धारा 293
इस धारा के अनुसार कतिपय सरकारी वैज्ञानिक विशेषज्ञों की रिपोर्ट को बताया गया है।
(1) कोई दस्तावेज जो किसी सरकारी वैज्ञानिक विशेषज्ञ की जिसे यह धारा लागू होती है। तथा इस संहिता के अधीन किसी कार्यवाही के दौरान परीक्षा या विश्लेषण और रिपोर्ट के लिए सम्यक् रूप से उसे भेजी गई किसी सामग्री या चीज के बारे में स्वहस्ताक्षरित रिपोर्ट होनी तात्पर्यित है। तथा इस संहिता के अधीन किसी जांच, विचारण या अन्य कार्यवाही में साक्ष्य के तौर पर उपयोग में लाई जा सकेगी।
(2) यदि न्यायालय ठीक समझता है। तो वह ऐसे विशेषज्ञ को समन कर सकता है। और उसकी रिपोर्ट की विषयवस्तु के बारे में उसकी परीक्षा कर सकेगा।
(3) जहाँ ऐसे किसी विशेषज्ञ को न्यायालय द्वारा समन किया जाता है और वह स्वयं हाजिर होने में असमर्थ है वहां, उस दशा के सिवाय जिससे न्यायालय ने उसे स्वयं हाजिर होने के लिए स्पष्ट रूप से निदेश दिया है, वह अपने साथ काम करने वाले किसी जिम्मेदार अधिकारी को न्यायालय में हाजिर होने के लिए प्रतिनियुक्त कर सकता है यदि वह अधिकारी मामले के तथ्यों से अवगत है तथा न्यायालय में उसकी ओर से समाधानप्रद रूप में अभिसाक्ष्य दे सकता है।
(4) यह धारा निम्नलिखित सरकारी वैज्ञानिक विशेषज्ञों को लागू होती है।
(क) सरकार का कोई रासायनिक परीक्षक या सहायक रासायनिक परीक्षक
(ख) मुख्य विस्फोटक नियंत्रक।
(ग) अंगुली-छाप कार्यालय निदेशक
(घ) निदेशक, हाफकीन संस्थान, मुम्बई
(ङ) किसी केन्द्रीय न्याय संबंधी विज्ञान प्रयोगशाला या किसी राज्य न्याय संबंधी विज्ञान प्रयोगशाला का निदेशक [उप-(निदेशक या सहायक निदेशक] ;
(च) सरकारी सीरम विज्ञानी।
*(छ) कोई अन्य सरकारी वैज्ञानिक विशेषज्ञ, जो इस प्रयोजन के लिए केन्द्रीय सरकार द्वारा, अधिसूचना द्वारा विनिर्दिष्ट किया गया हो।]
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