मोटर वाहन अधिनियम 1988 परिचय Motor Vehicle Act 1988 intro

मोटर वाहन अधिनियम 1988 में कुल 223 धाराएं हैं जिन्हें 14 अध्ययनों में विभाजित किया गया है। 1 जुलाई 1989 को लागू हुआ था। मोटर वाहन अधिनियम व्यावहारिक रूप से सड़क परिवहन वाहनों के हर पहलू को नियंत्रित करता है यह भी निर्धारित करता है कि चालकों के पास वैध ड्राइविंग लाइसेंस है या नहीं और कोई भी वाहन तब तक नहीं चलाया जा सकता है जब तक कि वह एमबी अधिनियम के तहत पंजीकृत ना हो अथवा चालक के पास लाइसेंस ना हो चालक भी एक वयस्क होना चाहिए और 18 वर्ष से कम आयु का नहीं होना चाहिए। को चलाने के लिए चालक के पास वैध ड्राइविंग लाइसेंस होना आवश्यक है।

नए कानून के तहत आपातकालीन वाहनों को रास्ता नहीं देने और अयोग्य होने के बावजूद गाड़ी चलाने पर ₹10000 का जुर्माना लगाया जा सकता है या फिर ड्राइविंग लाइसेंस नियमों का उल्लंघन करने वाले एग्रीगेटर्स पर ₹100000 तक का जुर्माना लगाया जा सकता है।

 मोटर वाहन अधिनियम की धारा 138 सबसेक्शन 3 के अनुसार एमवी एक्ट में सीट बेल्ट लगाने पर विशिष्ट जुर्माना निर्धारित किया गया है बिना सीट बेल्ट के ड्राइविंग करना एक दंडनीय अपराध है।

मोटर वाहन अधिनियम का ढंग से पालन हो इसके लिए इस अधिनियम में अर्थदंड का प्रावधान किया गया है। हम सभी जानते हैं कि हमारे देश में जनसंख्या बहुत अधिक है और हमारे देश में बहुत से लोग रोज ही एक्सीडेंट के शिकार हो जाते हैं क्योंकि किसी के गलत तरीके से इस अधिनियम का उल्लंघन करके अपने वाहन को चलाते हैं जिसकी वजह से कभी-कभी एक्सीडेंट हो जाता है और मृत्यु भी हो जाती है इस अधिनियम में शक्ति लाने के लिए दंड का प्रावधान जोड़ा गया है।

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मोटर वाहन अधिनियम में ड्राइवर कंडक्टर के लाइसेंस मोटर वाहनों के पंजीकरण परमिट के माध्यम से मोटर वाहनों पर नियंत्रण करना राज्य परिवहन उपक्रम से संबंधित विशेष प्रावधान तथा यातायात विनिमय या फिर बीमा देता या फिर अपराध और दंड आज के बारे में अलग-अलग प्रावधान दिए गए हैं यह अधिनियम संपूर्ण भारत में लागू होता है।

यह अधिनियम सड़क परिवहन वाहनों पर भी लागू होता है कि अपने वाहन को कैसे चलाना है वाहन को चलाने के लिए कौन-कौन से कागज की आवश्यकता पड़ेगी इसके अलावा वाहन चलाते समय किन बातों का ध्यान रखना आवश्यक है यदि कोई व्यक्ति इस कानून का उल्लंघन करता है तो वह अर्थदंड एवं दंड या फिर दोनों का भागीदार होगा।

 इस अधिनियम के अनुसार सड़क दुर्घटना से पीड़ित को मुआवजा देने एवं पीड़ित को कैसे सुझाव देने की योजना विकसित की गई है जिसको गोल्डन आर्यन की घातक चोट के बाद की 1 घंटे की समय अवधि के अंतर्गत तत्काल मेडिकल देखभाल से मृत्यु से बचाव की संभावना सबसे अधिक होती है उपचार देना आवश्यक है।

केंद्र सरकार थर्ड पार्टी इंश्योरेंस के अंतर्गत मुआवजा देने का प्रावधान रखता है इस अधिनियम के अंतर्गत हित एंड रन के मामलों में न्यूनतम मुआवजे को बढ़ा दिया गया है।

यदि एक्सीडेंट से किसी की मृत्यु की स्थिति में आ जाता है तो उसे ₹25000 से बढ़ाकर के ₹200000 तक का मुआवजा दिया जा सकता है।

यदि किसी को गंभीर चोट आई है ऐसी स्थिति में मुआवजा 12500 से बड़ा करके ₹50000 तक दिया जा सकता है।

इस योजना के अंतर्गत दुर्घटना के दौरान वाहन का बीमा होना अनिवार्य है इस योजना का लाभ मोटर वाहन दुर्घटना कोष वह करेगी।

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मोटर वाहन अधिनियम की कुछ महत्वपूर्ण धाराएं इस प्रकार है।

धारा 177

सामान्य मोटर वाहन अपराध के लिए लागू होती है इस धारा में पहले जुर्माना ₹100 था जो कि बड़ा करके ₹500 कर दिया गया है।

धारा 177 ए

 यह धारा सड़क विनिमय उल्लंघन करने पर लागू होती है जिसका जुर्माना ₹500 तक है।

धारा 178

यह धारा बिना टिकट यात्रा करने पर लागू होती है जिसका जुर्माना ₹500 तक है।

धारा 179

यह धारा अधिकारियों के आदेश की अवज्ञा करने पर लागू होता है जिसका जुर्माना ₹2000 तक हो सकता है।

धारा 180

यह धारा बिना लाइसेंस वाहनों का अनाधिकृत प्रयोग पर लागू होता है इस का जुर्माना ₹5000 एवं कारावास हो सकता है।

धारा 181

धारा का प्रयोग बिना ड्राइविंग लाइसेंस के गाड़ी चलाने पर प्रयोग होता है इसमें ₹5000 तक जुर्माना हो सकता है।

धारा 182

इस धारा के अनुसार यदि किसी भी कारण से अयोग्यता के बावजूद वाहन चलाया जा रहा है तो ₹10000 तक जुर्माना हो सकता है।

धारा 183

धारा गति से ऊपर यदि वाहन चलाया जाता है तो उसके लिए लागू होती है यदि एलएलबी के लिए यह ₹1000 और यदि राष्ट्र में तेज गति से वाहन चलाई जा रही है तो उसके लिए ₹2000 का जुर्माना हो सकता है।

धारा 184

इस धारा का प्रयोग खतरनाक ड्राइविंग करने पर लागू किया जाता है इस पर ₹5000 तक का जुर्माना हो सकता है।

धारा 185

यदि कोई व्यक्ति शराब पीकर के ड्राइविंग कर रहा है और पकड़ा जाता है तो उसे ₹2000 से लेकर के ₹10000 तक का जुर्माना देना पड़ सकता है।

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धारा 189

धारा के अंतर्गत यदि कोई व्यक्ति अपनी गाड़ी की स्पीड से तेज गति से गाड़ी को चला रहा है या फिर रेसिंग कर रहा है और इस समय यदि वे पकड़ा जाता है तो उसे ₹5000 तक का जुर्माना वसूला जा सकता है।

धारा 192

धारा का प्रयोग बिना परमिट के वाहन चलाने के लिए प्रयोग किया जाता है यदि कोई व्यक्ति बिना परमिट के वाहन चलाते हुए पकड़ा जाता है तो उसे ₹10000 तक का जुर्माना देना पड़ सकता है।

धारा 193

धारा का प्रयोग लाइसेंस शर्तों के उल्लंघन करने के लिए किया जाता है यदि कोई व्यक्ति लाइसेंस की शर्तो का उल्लंघन करता है तो उसे ₹25000 से लेकर ₹100000 तक का जुर्माना लगाया जा सकता है।

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