गैर निष्पादित परिसंपत्तियों (NPA) Non Performing Assets क्या होती है।

गैर निष्पादित परिसंपत्तियों (NPA) Non Performing Assets से संबंधित आपके मन मे बहुत से प्रश्न आते है । आज हम आपको इन्हीं प्रश्नों के answer देने की कोसिस करेंगे । जिनमे निम्न पप्रशं शामिल है।
क्या होता है नॉन-परफॉर्मिंग एसेट (एनपीए)?
एनपीए प्रावधान क्या है।
एनपीए कितने प्रकार का होता है?
एनपीए की सीमा क्या है?
ऋण समाधान योजना क्या है?
उदाहरण
NPA होने के बाद क्या होता है?

क्या होता है नॉन-परफॉर्मिंग एसेट (Non Performing Assets)?

बैंकों द्वारा दिया गया ऐसा ऋण जो कि , जिसका ब्याज तथा मूलधन 90 या उससे अधिक दिनों से बैंक को नहीं चुकाया गया हो। तो वह  गैर निष्पादित परिसंपत्ति (Non Performing Asset) कहलाता है।की बार कोई लोन एरियर में तब होता है जब मूलधन या ब्याज भुगतान में देरी होती है या उसे अदा नहीं किया जाता। लोन डिफॉल्ट तब होता है जब लैंडर लोन एग्रीमेंट को टूटा हुआ मानते हैं और ऋण लेने वाला देयता को पूरा करने में अक्षम होता है।

एक झलक मे समझाए तो —

    गैर-निष्पादनकारी परिसंपत्तियों से तात्पर्य ऐसे ऋण से है । जो कि  लौटना संदिग्ध हो।

 बैंक जो कि अपने ग्राहकों को जो ऋण देता है।  वह उसे अपने खाते में संपत्ति के रूप में दर्ज़ करता है। परन्तु यदि किसी कारणवश बैंक को यह आशंका होती है कि ग्राहक यह ऋण नहीं लौटा पाएगा तो ऐसी संपत्ति को ही गैर-निष्पादनकारी संपत्ति या कहा जाता है।

किसी भी बैंक की वित्तीय अवस्था को मापने का यह अच्छा पैमाना है। यदि इसमें वृद्धि होती है, तो यह बैंक के लिये चिंता का विषय बन जाता है।

    गैर-निष्पादनकारी परिसंपत्तियाँ (non-performing assets-NPA) किसी भी अर्थव्यवस्था के लिये बोझ होती हैं। ये देश की बैंकिंग व्यवस्था को रुग्ण बनाती हैं। गौरतलब है कि पिछले कुछ वर्षों से ‘बैड लोन’ और ‘बैड एसेट’ (ख़राब परिसम्पत्तियाँ) में बेतहाशा वृद्धि हुई है। विदित हो कि ‘गैर-निष्पादनकारी परिसंपत्तियाँ’, बैड लोन और बैड एसेट से ही मिलकर बनती हैं।

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    बैड लोन से बैंकों के लाभांश में कमी आती है। यही कारण है कि  बैंक के लिये ऋण देना मुश्किल हो जाता है।

 जब बैंकों के लिये ऋण देना मुश्किल हो जाता है, तो फिर निवेश में कमी आने लगती है और जब निवेश में कमी आने लगे तो अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर पर प्रतिकूल प्रभाव देखने को मिलता है।

  यदि किसी बैंक ने किसी संस्था को कुछ राशि ऋण के तौर पर दीतो  जब बैंक ने ऋण दिया था तब तो परिस्थितियाँ ऐसी थी कि संस्था द्वारा ऋण राशि को चुकाया जाना आसान लग रहा था। लेकिन बाद में प्रतिकूल हालातों में संस्था ऋण चुकाने में असमर्थ हो गई।

 यदि बैंक उसे वित्तीय संकटों से उबारने के उद्देश्य से और ऋण देता है।  तो इस बात का डर हमेशा  लगातार बना रहता है कि कहीं बाद में दिया गया ऋण भी न डूब जाए। इस प्रकार से एनपीए किसी भी अर्थयवस्था के लिये बिगड़ैल बैल के जैसा होता है।

  एनपीए को पूरी तरह से खत्म करना संभव नहीं है। लेकिन दो ऐसे क्षेत्र हैं, जिनमें संरचनात्मक सुधार करके निश्चित रूप से इस स्थिति में सुधार लाया जा सकता हैं: पहला है पीएसबी का प्रबंधन करके और दूसरा जाँच एजेंसियों द्वारा बैंक धोखाधड़ी के मामलों को संभालने से संबंधित है।

एनपीए प्रावधान क्या है?
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NPA का फुल फॉर्म नॉन-परफॉर्मिंग एसेट्स होता है। एनपीए कुछ और नहीं बल्कि भारतीय बैंकों और अन्य परिचालन वित्तीय संस्थानों द्वारा दिए जा रहे ऋण हैं, जिनके हित और मूलधन काफी लंबे समय से अतिदेय स्थिति में हैं। जब हम लंबे समय की बात करते हैं, तो यह 90 दिन या 90 दिनों से अधिक का होता है।

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एनपीए (Non Performing Asset) कितने प्रकार का होता है?

तीन प्रकार के होते हैं एनपीए

असल में किसी लोन खाते को एनपीए घोषित करने के बाद बैंक को एनपीए खातों को तीन श्रेणियों- मे बाँटा जा सकता है । जो कि ‘सब स्टैंडर्ड असेट्स’, ‘डाउटफुल असेट्स’ और ‘लॉस असेट्स’ के रूप में वर्गीकृत करना होता है। जब कोई लोन खाता एक साल या इससे कम अवधि तक एनपीए की श्रेणी में रहता है उसे ‘सब स्टैंडर्ड असेट्स’ कहा जाता है।

एनपीए (Non Performing Asset) की सीमा क्या है?

आरबीआई की एक नई  घोषणा के अनुसार, ऐसे सभी खातों के लिए बैड लोन वर्गीकरण की अवधि अब 90 दिनों से बदलकर 180 दिन हो गई है। जिसमे भुगतान करने में 90 दिनों के अतिदेय के बाद खाते गैर-निष्पादित संपत्ति (एनपीए) में बदल जाते हैं। तथा खातों को 90-दिन की अवधि से पहले मानक के रूप में वर्गीकृत किया जाता है।

ऋण समाधान योजना क्या है?

एकमुश्त समाधान योजना जो कि ऋण समाधान योजना है और यह उन गरीब किसानों को सहायता देने के लिए शुरू की गयी हैं जिन्होंने अपनी कृषि भूमि या उससे संबंधित आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए ऋण लिया हैं।यह योजना  गरीब किसान कृषि संबंधी जरूरतों व खर्चों को पूरा करने के लिए ऋण तो ले लेते है।  परन्तु वह आसानी से ऋण नहीं चूका पाते हैं।  क्योंकि उन्हें प्राकृतिक आपदाओं के कारण बहुत सी परेशानियों और नुकसान का सामना करना पड़ता हैं। इस योजना का लाभ किसानो नागरिक ही उठा सकते हैं। इस योजना के तहत सभी 2.63 लाभ कृषको को लाभान्वित किया जायेगा। यह योजना किसानों के कल्याण के लिए शुरू की गयी हैं।

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विजय माल्या और नीरव मोदी के मामलों के बीच एक निराशाजनक समानता है। दोनों ने भारतीय बैंकों को 22,000 करोड़ रुपए से अधिक का चूना लगाया और देश छोड़कर भाग गए।सरकार भी कुछ नहीं कर पाई।  यदि इस मुद्दे पर गहराई से विचार करें तो हम पाएंगे कि 22,000 करोड़ रुपए की यह परिसंपत्ति बैंकों की कुल गैर-निष्पादित संपत्ति (Non-Performing Assets (NPAs) का एक छोटा सा हिस्सा है। जो कि  वास्तविक रूप में यह कई लाख करोड़ रुपए के आँकड़े में है।

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