जीएसटी के अंतर्गत दो राज्यों के बीच का व्यापार (अंतरप्रांतीय बिक्री – Interstate Sale)

जी.एस.टी. के अंतर्गत  सी.एस.टी. अर्थात  केन्द्रीय बिक्री  कर का कोई अस्तित्व  नहीं होता है।

जब हम केन्द्रीय बिक्री कर की बात करते है तो यह केंद्र सरकार द्वारा लगाया गया कर है।

यह एक ऐसा  कर है जिसकी  सच्चाई यह है  यह बिक्री  करने वाले राज्य द्वारा दो राज्यों के मध्य होने वाले व्यापार पर वसूल किया  जाने वाला कर है और देश के हर एक  राज्य जो विकसित राज्य है और जिनको हम निर्माता राज्य भी कहते है। इस कर के द्वारा काफी मात्रा मे कर इकट्ठा करते है।

अगर हम अंतरप्रांतीय बिक्री की बात करते है तो यह  माल कि सप्लाई के सम्बन्ध में यदि माल की सप्लाई का स्थान और माल के सप्लायर के स्तिथी एक ही राज्य या एक ही केंद्र शासित राज्य में ना हो तो वह अंतरप्रांतीय बिक्री कहलाएगा।

धारा 7(3) के अनुसार जीएसटी के बारे मे यह बताया गया है की –

जब सेवा की सप्लाई का स्थान और सप्लायर की स्थिति भिन्न भिन्न इस  प्रकार है तो इसे सेवा की अंतरप्रांतीय सप्लाई कहा जाएगा :-

जब दो अलग –अलग राज्यों में हो .
जब दो अलग- अलग केंद्र शासित राज्यों में हो .
तथा एक राज्य और एक केंद्र शासित राज्य में स्थित हो ।

जब सेवा की सप्लाई का स्थान और सप्लाई की स्थिति यदि भिन्न भिन्न होता है तो  किसी एक राज्य या किसी एक केंद्र शासित प्रदेश में ना हो तो यह अंतरप्रांतीय सेवा की सप्लाई कहा जाएगा।

राज्य के भीतर सप्लाई-

जब सप्लायर की स्थिति और सप्लाई का स्थान एक ही राज्य या केंद्र शासित प्रदेश में हो तो इसे राज्य के भीतर सप्लाई कहा जाएगा ।  इसके बारे मे  इंटीग्रेटेड गुड्स एवं सर्विस टैक्स कानून की धारा 8 में बताया गया है।

See Also  Income tax क्या होता हैं Individual taxation क्या हैं- Under Income Tax Act 1961

धारा  8(1) के अनुसार –

जब माल के सप्लायर की स्थिति और माल के सप्लाई का स्थान दोनों  एक ही राज्य या एक ही केंद्र शासित प्रदेश में हो तो इसे माल की राज्य के भीतर सप्लाई कहा जाएगा।

धारा 8(1) के अनुसार  राज्य के भीतर सप्लाई की परिभाषा दी गई है उसके कुछ अपवाद भी है ।   इन परिस्थितियों में यदि माल के सप्लायर की स्थिति और माल के सप्लाई का स्थान एक ही राज्य या एक ही केंद्र शासित प्रदेश मे किया गया है तब  भी वह राज्य के भीतर सप्लाई नहीं मानी जायेगी ।ऐसे स्थित  में सप्लाई अंतरप्रांतीय माना जाता है।

इसके कुछ अपवाद इस प्रकार से है।

        जब कोई भी  सप्लाई स्पेशल इकोनॉमिक जोन के लेवल पर या स्पेशल इकनोमिक जोन यूनिट को की जाए या  फिर उनके द्वारा की जाए.
भारत के राज्य क्षेत्र में यदि कोई आयातित माल  जब तक कि वह भारत की सीमा शुल्क सरहद को पार करता है
धारा 15 के तहत किसी पर्यटन को की गई सप्लाई इसके अंतर्गत नहीं आती है।

धारा  8(2)के अनुसार –

इंटीग्रेटेड गुड्स एवं सर्विस टैक्स कानून की धारा 8(2) के अनुसार जब कोई सेवा के सप्लायर की स्थिति और सेवा की सप्लाई का स्थान एक ही राज्य या एक ही केंद्र शासित प्रदेश में हो तो इसे सेवा की राज्य के भीतर सप्लाई कहते हैं .

इसमे यह ध्यान रखना जरूरी है की  जब किसी सेवा की सप्लाई स्पेशल इकनोमिक जोन डेवलपर द्वारा या स्पेशल इकोनॉमिक जोन यूनिट के द्वारा की जाती है  तो यह हमेशा अंतरप्रांतीय सप्लाई ही कहलाएगी और इसी तरह जब किसी सेवा की सप्लाई स्पेशल इकनोमिक जोन डेवलपर द्वारा या स्पेशल इकोनॉमिक जोन यूनिट को की जा रही है तब भी यह सप्लाई हमेशा अंतरप्रांतीय सप्लाई होती है।

See Also  Treasury management क्या होता हैं।

एक और विशेष परिस्थिति का जिक्र करना आवश्यक होता है क्यों कि यह स्थिति भी सप्लाई के दौरान कई बार आती है।

जब माल किसी तीसरे व्यक्ति के निर्देश पर डिलीवर किया गया हो. – धारा 10(1)(b) के अनुसार –

 जहां पर  माल खरीदता कोई और है । और इसकी डिलीवरी उस खरीददार के निर्देश पर किसी और व्यक्ति को की जाती है  तो ऐसे में जो निर्देश देने वाला व्यक्ति होता है उसी का व्यवसाय स्थल माल की सप्लाई का स्थान माना जाता है ।

उदाहरण –

जय एण्ड  कंपनी नई दिल्ली माल का एक आर्डर वाय एंड कम्पनी अजमेर को इस निर्देश पर देती है कि इसकी डीलिवेरी जेड एंड कम्पनी उदयपुर को दी जाए . यहाँ यह ध्यान रखें कि माल का सप्लायर वाय एंड कम्पनी अजमेर है और जय  एंड कंपनी नई दिल्ली खरीदा है जिसके निर्देश पर मॉल की सुपुर्दगी जेड एंड कम्पनी उदयपुर को की जा रही है ।

आब इस केस में माल अजमेर से चला और उदयपुर गया अर्थात राजस्थान से राजस्थान में ही गया है लेकिन आप ध्यान रखें कि ऐसा नई दिल्ली के व्यापारी के निर्देश पर  किया गया है तो इस धारा 10(1)(b) के अनुसार इस माल की सप्लाई का स्थान नई दिल्ली होगा और इस प्रकार से यह एक अंतरप्रांतीय सप्लाई होगी और इसमें बिल नई दिल्ली के डीलर के नाम बनेगा और कर जीएसटी लगेगा ।

अंतरास्टीय बिक्री  के दौरान C-forms की जरुरत तो समाप्त हो गई है। यकीनन  ऐसा को आश्वासन हमारे कानून निर्माता  रोड  परमिट  के बारे में नहीं दे रहे है और जिस  प्रकार के संकट मिल रहें है । उनके अनुसार रोड परमिट  जारी रहेंगे और अब उनका स्वरूप ई-वे हबल Electronic Way bill के रूप में होगा ।

See Also  इंकम टैक्स एक्ट 1962 के अनुसार आमदनी के पाँच स्रोत FIVE HEAD OF INCOME AS PER INCOME TAX ACT 1962

यदि आप इससे संबन्धित कोई सुझाव या जानकारी देना चाहते है।या आप इसमे कुछ जोड़ना चाहते है। या इससे संबन्धित कोई और सुझाव आप हमे देना चाहते है।  तो कृपया हमें कमेंट बॉक्स में जाकर अपने सुझाव दे सकते है।

हमारी Hindi law notes classes के नाम से video भी अपलोड हो चुकी है तो आप वहा से भी जानकारी ले सकते है।  कृपया हमे कमेंट बॉक्स मे जाकर अपने सुझाव दे सकते है।और अगर आपको किसी अन्य पोस्ट के बारे मे जानकारी चाहिए तो उसके लिए भी आप उससे संबन्धित जानकारी भी ले सकते है।तथा फाइनेंस से संबंधित सुझाव के लिए आप my money add .com पर भी सुझाव ले सकते है।

Leave a Comment