भारतीय संविधान के अनुसार भारत में नागरिकता का अधिग्रहण कैसे होगा |

भारतीय संविधान के अनुसार भारत में नागरिकता का अधिग्रहण -भारत में नागरिकता के सम्बन्ध में भारतीय संविधान में कोई कठिन नियम नही बना हैं |इसका परिणाम यह हुआ कि भारतीय संविधान के लागू होने तक जो इंडिया में थे वह भारतीय नागरिक  हो गए | उन्हें भारत की नागरिकता प्राप्त हुई |उसके  अलावा बाकी के नियम पार्लियामेंट द्वारा समय समय पर परिवर्तन द्वारा बनाया गया | इसको ध्यान में  रखते हुए पार्लियामेंट ने citizenship act 1955 बनाया | इस एक्ट के द्वारा नागरिकता कानून  में कई  संशोधन  हुआ | देश में नागरिक होने से सम्बंधित गुडो को कानूनी जमा पहनाना ही नागरिकता हैं प्रय्तेक देश अपने राज्य के नागरिक को कुछ अधिकार देते हैं और उसके बदले में नागरिको को सरकार द्वारा बनाये गए नियमो के अनुसार चलना पड़ता हैं|नागरिकता एक कानूनों और न्यायिक अवधारणा हैं |ऐसे कई तरीके जैसे विवाह ,वंशानुक्रम, जन्म प्रक्तिकरण और आग़ीश्र्टाटीण द्वारा कोई भारतीय नागरिक बन सकता हैं |जिसको परिवर्तित भी किया जा सकता हैं |और इसको वापस भी लिया जा सकता हैं|किसी के पास एक से अधिक नागरिकता भी हो सकती हैं|अनुच्छेद 5 से 10 नागरिकता कानून को बताता हैं और अनुच्छेद 11 के अनुसार सरकार नियम में परिवर्तन कर सकता हैं |सरकार द्वारा CAA अनुच्छेद 11 के अनुसार ही लाया गया हैं|

इस एक्ट के अनुसार भारत की नागरिकता 5 प्रकार से प्राप्त की जा सकती हैं |

जन्म से 

वंशक्रम के अनुसार

प्राकृतिक

रजिस्ट्रेशन द्वारा 

भारतीय छेत्र में INCORPORATION द्वारा 

जन्म से – वह व्यक्ति जो 26 जनवरी 1950 से पहले जन्मा हैं और भारत में रह रहा  हैं या फिर भारत में जिसका जन्म हुआ हैं वह जन्म से भारतीय हैं |

वह जिसके पिता ने डिप्लोमेटिक इमुनिटी ली हो वह भारत का नागरिक नही हो |

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वह जिसके पिता परग्रह वाशी हो और जिसका जन्म परग्रह में हुआ हो|

वंशानुक्रम –

वंशानुक्रम वैसे तो माता पिता से प्राप्त गुडो को कहते हैं जैसे माता पिता होते हैं संतान भी उससे मिलती हुई या उसके जैसे होती हैं | व्यक्ति को उसके माता पिता से ही नही वरण वहा रह रहे समाज का भी उसपर असर पड़ता हैं |इसी के अनुसार यदि कोई व्यक्ति इंडिया के भर जन्मा है तो भी वह इंडियन नागरिकता प्राप्त कर सकता हैं यदि उसके जन्म के समय उसके पिता भारतीय नागरिक हो | यदि उसके पिता वंशानुक्रम के अनुसार भारतीय हैं तो वह भी भारतीय होगा लकिन उसके लिए उसका जन्म प्रमाण पत्र भारत का बना हो या उसके पिता भारत सरकार के लिए कार्य कर रहे हो |

देशीकरण- भारत में देशी कारण  द्वारा नागरिकता प्राप्त की जा सकती हैं |कोई भी व्यक्ति देशीकरण द्वारा नागरिकता प्राप्त कर सकता हैं यदि वहा देशीकरण नियम लागू किया गया हैं तो |कोई दुसरे देश का व्यक्ति यदि अपनी पूरी जिन्दगी भारत में गुजार दी हो तो वह भारत सरकार द्वारा सहमति से भारत की नागरिकता प्राप्त कर सकता हैं या फिर वह भारत सरकार के लिए काम कर रहा हो तो भी सेंट्रल गवर्नमेंट सभी की सहमती से उसको भारत की नागरिकता प्रदान कर सकती हैं |उसके लिए निम्न शर्ते पुरी करनी पड़ेगी |

वह किसी उस देश के नागरिक बनाना चाहते हो जहा भारत के नागरिक देशी करण द्वारा वहा के नागरिक बन सके |

वह किसी अन्य देश की नागरिकता त्याग कर भारत सरकार को अवगत कराता हैं |

वह भारत में पंजीकरण से पहले 12 महीने से रह रहा हो |

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वह भारत सरकार की नौकरी करता हो |और 10 साल से भारत में रह रहा हैं|

वह चरित्रवान व्यक्ति हैं|

उसको भारतीय संविधान के अनुसार यंहा की भाषा की जानकारी हो |

यंहा की नागरिकता प्राप्त करने के बाद यहाँ रहना चाहता हो या सरकारी कार्य करना हो |

रजिस्ट्रेसन द्वारा-

इस प्रकार के व्यक्ति जो भारतीय नागरिकता प्राप्त नही किये हैं सपद द्वारा प्राप्त कर सकते हैं आईये जानते हैं कैसे-

वह व्यक्ति जो भारतीय मूल का हो और रजिस्ट्रेशन से ठीक 5 साल पहले से  भारत में रह रहा हो |

वह भारतीय मूल के व्यक्ति जो अबिभाज्य भारत में कही और देश में निवास कर रहे हो |

वह औरत जिसका विवाह किसी भारतीय के साथ हुआ हो|

भारतीय नागरिक के नाबालिक बच्चे |

ऐसे नागरिक जो भारत सरकार द्वरा भारत में रहते हो या भारत सरकार की नौकरी करते हो और वह राष्टमंडली  देशो से हैं|

INCORPORATION  द्वारा भारतीय छेत्र में विलय –

यदि भारत के किसी छेत्र का विलय होता हैं तो भारत सरकार यह जानकारी देती हैं कि जिस जगह का विलय हो रहा वहा के लोग कहा जायेंगे और कौन वहां का नागरिक होगा भारत सरकार किसको वंहा की नागरिकता प्रदान करेगी |इसमें नागरिकता ३ प्रकार से प्रदान की जा सकती हैं |

पहली तो वह की जो भी व्यक्ति वहां निवास कर रहा हो अपनी स्वेच्छा से अपनी नागरिकता चुन ले की वह किस छेत्र में रहना चाहता हैं और कहाँ का निवासी बनना चाहता हैं|

कोई भी निवासी अपनी इच्छा से नागरिकता का त्याग भी कर सकता हैं जिसके लिए उसको भारत सरकार को फार्म के द्वारा सूचित करना पड़ेगा और घोषणा करना पड़ता हैं यह मुख्यता उनके द्वारा किया जाता हैं जो दुसरे देश की नागरिकता प्राप्त करना चाहते हैं |

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केंद्र सरकार द्वारा सहमती से भी किसी को नागरिकता दे जा सकती हैं या समाप्त की जा सकती हैं |

केंद्र सरकार निम्न कारणों से किसी नागरिक की नागरिकता समाप्त कर सकती हैं |

यदि कोई नागरिक युद्ध के समय दुसरे देश का साथ दे रहा हो |

यदि कोई नागरिक भारतीय संविधान को नही मान रहा  या उसका उल्लंघन कर रहा हो 

यदि कोई नागरिक जिसको अभी जल्दी ही नागरिकता प्रदान की गयी हो 5 में से 2 साल जेल में रहा हो |

यदि कोई नागरिक जिसको जल्द ही नागरिकता दे गयी हो  7 में से 5 साल विदेश में रहा हो |

केंद्र सरकार आपसी सहमती से ऐसे लोंगो की नागरिकता समाप्त कर सकती हैं|

इसी पर आधारित एक केस असम समजौता हैं जिसमे बांग्लादेश से आये प्रवासीय को रोकने के लिए यह कदम उठाया गया जिसमे आजादी के बाद भी असम से सटे होने की वजह से बांगलादेशी असम में आ  जाते थे जिससे उनकी संख्या वहां के निवासियों से अधिक हो गयी जिसको रोकने के लिए अक कानून बनाया गया जिसको अनुच्छेद 6अ के नाम से जाना जाता हैं | जिसमे यह कहा गया कि 1 जनवरी 1966 से 24 मार्च 1971 तक असम में आये लोंगो को वेदेशी माना जायेगा और सरकार ने जिसकी नागरिकता समाप्त कर दी हैं उनको  वंहा से निकाल दिया जायेगा जिसके लिए सरकार ने 10 वर्ष का समय सीमा निर्धारित की थी |इसके अनुसार 10 साल तक इनको अलग माना जायेगा तथा इनको वोटिंग का अधिकार तब तक नही होगा जिसका नाम वोटिंग लिस्ट में हैं वह ही वहा का नागरिक माना जायेगा |

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