जैसा कि आप सभी को ज्ञात होगा इससे पहले की पोस्ट मे हमने भारतीय संविधान के अनुसार अनुच्छेद 112 तक का वर्णन किया था अगर आप इन धाराओ का अध्ययन कर चुके है। तो यह आप के लिए लाभकारी होगा । यदि आपने यह धाराये नही पढ़ी है तो पहले आप उनको पढ़ लीजिये जिससे आपको आगे की धाराये समझने मे आसानी होगी।
अनुच्छेद 113
इस अनुच्छेद के अनुसार संसद में प्राक्कलनों के संबंध में प्रक्रिया को बताया गया है।
(1)- इसके अनुसार प्राक्कलनों में से जितने प्राक्कलन भारत की संचित निधि पर भारित व्यय से संबंधित हैं । ऐसे प्राक्कलन संसद में मतदान के लिए नहीं रखे जाएंगे। यदि किन्तु इस खंड की किसी बात का यह अर्थ नहीं लगाया जाएगा कि वह संसद के किसी सदन में उन प्राक्कलनों में से किसी प्राक्कलन पर चर्चा को निवारित करती है ।
(2)- उक्त प्राक्कलनों में से जितने प्राक्कलन अन्य व्यय से संबंधित होते हैं। वे लोक सभा के समक्ष अनुदानों की मांगों के रूप में रखे जाएंगे और लोक सभा को
यह शक्ति होगी कि वह किसी मांग को अनुमति दे या अनुमति देने से इंकार भी कर सकता है। अथवा किसी मांग को जो उसमें विनिर्दिष्ट रकम को कम करके अनुमति दे ।
(3)- किसी अनुदान की मांग राष्ट्रपति की सिफारिश पर ही की जाएगी, अन्यथा नहीं की जा सकती है ।
अनुच्छेद 114
इस अनुच्छेद के अनुसार विनियोग विधेयक को बताया गया है।
(1) लोकसभा के द्वारा अनुच्छेद 113 के अधीन अनुदान किए जाने केबाद मे यथाशक्य शीघ्र ही भारत की संचित निधि में से जो किया गया है-
(क) लोकसभा द्वारा इस प्रकार किए गए अनुदानों की जो कि
(ख) भारत की संचित निधि पर भारित हुई हो किन्तु संसद के समक्ष पहले रखे गए विवरण में दर्शित रकम से किसी भी दशा में अनधिक व्यय की
पूर्ति के लिए अपेक्षित सभी धनराशियों के विनियोग का उपबंध करने के लिए विधेयक पुर:स्थापित किया जाएगा।
(2) इस प्रकार किए गए किसी अनुदान की रकम में परिवर्तन करने या फिर उस अनुदान के लक्ष्य को बदलने अथवा भारत की संचित निधि पर भारित व्यय की रकम में परिवर्तन करने का प्रभाव रखने वाला कोई संशोधन किया जा सकता है। ऐसे किसी विधेयक में संसद के किसी सदन में प्रस्थापित नहीं किया जाएगा और पीठासीन व्यक्ति का इस बारे में विनिश्चय अंतिम होगा कि कोई संशोधन इस खंड के अधीन अग्राह्य है या नहीं।
(3) अनुच्छेद 115 और अनुच्छेद 11 6 के उपबंधों के अधीन रहते हुए यदि भारत की संचित निधि में से इस अनुच्छेद के उपबंधों के अनुसार पारित विधि द्वारा किए गए विनियोग के अधीन ही कोई धन निकाला जाएगा या फिर नहीं।
अनुच्छेद 115
इस अनुच्छेद मे यह बताया गया है कि अनुपूरक, अतिरिक्त या अधिक अनुदान क्या होता है।
(क) अनुच्छेद 114 के उपबंधों के अनुसार जो विधि बताई गयी है उस अनुसार यदि किसी विधि द्वारा किसी विशिष्ट सेवा पर चालू वित्तीय वर्ष के लिए व्यय किए जाने के लिए प्राधिकृत कोई रकम उस वर्ष के प्रयोजनों के लिए अपर्याप्त पाई जाती है। या फिर उस वर्ष के वार्षिक वित्तीय विवरण में अनुपयात न की गई हो या किसी नई सेवा पर अनुपूरक या अतिरिक्त व्यय की चालू वित्तीय वर्ष के दौरान आवश्यकता पैदा हो गई है। या
(ख) किसी वित्तीय वर्ष के दौरान किसी सेवा पर जो कि उस वर्ष और उस सेवा के लिए अनुदान की गई रकम से अधिक कोई धन व्यय हो गया है।
तो राष्ट्रपति, यथास्थिति, संसद के दोनों सदनों के समक्ष उस व्यय की प्राक्कलित रकम को दर्शित करने वाला दूसरा विवरण रखवाएगा या लोकसभा में ऐसे आधिक्य के लिए माँग को प्रस्तुत करवाएगा।
(2) ऐसे किसी विवरण और व्यय या मांग के संबंध में जो कि भारत की संचित निधि में से ऐसे व्यय या ऐसी माँग से संबंधित अनुदान की पूर्ति के लिए धन का विनियोग प्राधिकृत करने के लिएबनायी ज्ञी विधि के अनुरूप हो वह अनुच्छेद 112, अनुच्छेद 113 और अनुच्छेद 114 के उपबंध वैसे ही प्रभावी होंगे जैसे वे वार्षिक वित्तीय विवरण और उसमें वर्णित व्यय या किसी अनुदान की किसी मांग के संबंध में और भारत की संचित निधि में से ऐसे व्यय या अनुदान की पूर्ति के लिए धन का विनियोग प्राधिकृत करने के लिए बनाई जाने वाली विधि के संबंध में प्रभावी हैं।
अनुच्छेद 116
इस अनुच्छेद के अनुसार लेखानुदान, प्रत्ययानुदान और अपवादानुदान को बताया गया है।
(1) इस धारा के पूर्वगामी उपबंधों में किसी बात के होते हुए यदि लोकसभा को-
(क) किसी वित्तीय वर्ष के किसी भाग के लिए प्राक्कलित व्यय के संबंध में कोई अनुदान या फिर उस अनुदान के लिए मतदान करने के लिए अनुच्छेद 113 में विहित प्रक्रिया के पूरा होने तक और उस व्यय के संबंध में अनुच्छेद 114 के उपबंधों के अनुसार विधि के पारित होने तक या फिर अग्रिम देने की बात की गयी हो।
(ख) जब किसी सेवा की महत्ता या फिर उसके अनिश्चित रूप के कारण या फिर उसके मांग के ऐसे ब्यौरे के साथ वर्णित नहीं की जा सकती है। जो वार्षिक वित्तीय विवरण में सामान्यतया दिया जाता है । तब भारत के संपत्ति स्रोतों पर अप्रत्याशित मांग की पूर्ति के लिए अनुदान करने की बात काही जाती है।
(ग) किसी वित्तीय वर्ष की चालू सेवा का जो अनुदान भाग नहीं है। ऐसा कोई अपवादानुदान करने की यदि शक्ति होगी और जिन प्रयोजनों के लिए उक्त अनुदान किए गए हैं। तो उनके लिए भारत की संचित निधि में से धन निकालना विधि द्वारा प्राधिकृत करने की संसद को शक्ति होगी।
(2) खंड (1) के अधीन किए जाने वाले किसी अनुदान और उस खंड के अधीन बनाई जाने वाली किसी विधि के संबंध में अनुच्छेद 113 और अनुच्छेद 114 के उपबंध वैसे ही प्रभावी होंगे जैसे वे वार्षिक वित्तीय विवरण में वर्णित किसी व्यय के बारे में कोई अनुदान करने के संबंध में और भारत की संचित निधि में से ऐसे व्यय की पूर्ति के लिए धन का विनियोग प्राधिकृत करने के लिए बनाई जाने वाली विधि के संबंध में प्रभावी हैं।
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