जैसा कि आप सभी को ज्ञात होगा इससे पहले की पोस्ट मे हमने भारतीय संविधान के अनुसार अनुच्छेद 108 तक का वर्णन किया था अगर आप इन धाराओं का अध्ययन कर चुके है। तो यह आप के लिए लाभकारी होगा । यदि आपने यह धाराएं नही पढ़ी है तो पहले आप उनको पढ़ लीजिये जिससे आपको आगे की धाराएं समझने मे आसानी होगी।
अनुच्छेद 109
इस अनुच्छेद के अनुसार धन विधेयकों के संबंध में विशेष प्रक्रिया को बताया गया है।
(1) इसके अनुसार धन विधेयक को राज्य सभा में पुरःस्थापित नहीं किया जाएगा।
(2) धन विधेयक लोकसभा के द्वारा पारित किए जाने के पश्चात राज्य सभा को उसकी सिफारिशों के लिए प्रेरित किया जाएगा। और राज्य सभा विधेयक की प्राप्ति की तारीख से चौदह दिन की अवधि के भीतर विधेयक को अपनी सिफारिशों सहित लोकसभा को वापस कर देगी। और ऐसा होने पर लोकसभा, राज्यसभा की सभी या किन्हीं सिफारिशों को स्वीकार या अस्वीकार कर सकेगी।
(3) यदि लोकसभा, राज्यसभा की किसी सिफारिश को स्वीकार कर लेती है। तो ऐसे स्थित मे धन विधेयक राज्य सभा द्वारा सिफारिश किए गए । और लोकसभा द्वारा स्वीकार किए गए संशोधनों सहित दोनों सदनों के द्वारा पारित किया गया समझा जाएगा।
(4) यदि लोकसभा, राज्यसभा की किसी भी सिफारिश को स्वीकार नहीं करती है । तो ऐसे स्थित मे धन विधेयक, राज्यसभा द्वारा सिफारिश किए गए किसी संशोधन के बिना, दोनों सदनों द्वारा उस रूप में पारित किया गया समझा जाएगा जिसमें वह लोकसभा द्वारा पारित किया गया था।
(5) यदि लोकसभा द्वारा पारित और राज्यसभा को उसकी सिफारिशों के लिए पारेषित धन विधेयक उक्त चौदह दिन की अवधि के भीतर लोकसभा को नहीं बताया जाता है । तो उक्त अवधि की समाप्ति पर वह दोनों सदनों द्वारा, उस रूप में पारित किया गया समझा जाएगा जिसमें वह लोकसभा द्वारा पारित किया गया था।
अनुच्छेद 110
इस अनुच्छेद मे धन विधेयक की परिभाषा को बताया गया है।
(1) इस अध्याय के प्रयोजनों के लिए कोई भी विधेयक धन विधेयक तब समझा जाएगा यदि उसमें केवल निम्नलिखित सभी या किन्हीं विषयों से संबंधित उपबंध हैं। अर्थात् :–
(क) यदि किसी कर का अधिरोपण, उत्सादन, परिहार, परिवर्तन या विनियमन हो रहा हो।
(ख) भारत सरकार द्वारा धन उधार लेने का या कोई प्रत्याभूति देने का विनियमन अथवा भारत सरकार द्वारा अपने पर ली गई या ली जाने वाली किन्हीं वित्तीय बाध्यताओं से संबंधित विधि का संशोधन यदि हुआ हो।
(ग) भारत की संचित निधि या आकस्मिकता निधि की अभिरक्षासे संबन्धित ऐसी किसी विधि में धन जमा करना या उसमें से धन निकालना आदि शामिल हो ।
(घ) भारत की संचित निधि में से धन का विनियोग करना
(ङ) किसी व्यय को भारत की संचित निधि पर भारित व्यय घोषित करना । या फिर ऐसे धन की अभिरक्षा करना या उसका निर्गमन अथवा संघ या राज्य के लेखाओं की संपरीक्षा।
(च) भारत की संचित निधि या भारत के लोक लेखे मद्धे धन प्राप्त करना । अथवा ऐसे धन की अभिरक्षा या उसका निर्गमन अथवा संघ या राज्य के लेखाओं की संपरीक्षा करना
(छ) उपखंड (क) से उपखंड (च) में विनिर्दिष्ट किसी विषय का आनुषंगिक कोई विषय।
(2) यदि कोई विधेयक केवल इस कारण धन विधेयक नहीं समझा जाएगा कि वह जुर्माना या अन्य अन्य शास्त्रियों के अधिरोपण का अथवा अनुज्ञप्तियों के लिए फीस की या की गई सेवाओं के लिए फीस की मांग करता है। या उनके संदाय का उपबंध करता है। अथवा इस कारण धन विधेयक नहीं समझा जाएगा कि वह किसी स्थानीय प्राधिकारी या निकाय द्वारा स्थानीय प्रयोजनों के लिए किसी कर के अधिरोपण करता है।
उत्सादन, परिहार, परिवर्तन या विनियमन का उपबंध करता है।
(3) यदि यह प्रश्न उठता है कि कोई विधेयक धन विधेयक है या नहीं । तो उस पर लोकसभा के अध्यक्ष का विनिश्चय अंतिम होगा।
(4) जब धन विधेयक अनुच्छेद 109 के अधीन राज्य सभा को पारेषित किया जाता है। तब जब वह अनुच्छेद 111 के अधीन अनुमति के लिए राष्ट्रपति के समक्ष प्रस्तुत किया जाता है। और तब प्रत्येक धन विधेयक पर लोकसभा के अध्यक्ष के हस्ताक्षर सहित यह प्रमाण पृष्ठांकित किया जाएगा कि वह धन विधेयक है।
अनुच्छेद 111
इस अनुच्छेद मे यह बताया गया है की यदि संसद के दोनों सदनों द्वारा पारित विधेयक राष्ट्रपति के पास जाता है। और तब राष्ट्रपति उस विधेयक को सम्मति प्रदान कर सकता है। या अस्वीकृत कर सकता है.।परन्तु राष्ट्रपति अनुमति के लिए अपने समक्ष विधेयक प्रस्तुत किए जाने के पश्चात जितना जल्दी हो सके उस विधेयक को यदि वह धन विधेयक नहीं है। तो दोनों सदनों को इस संदेश के साथ लौटा सकेगा कि वे विधेयक पर या उसके किन्हीं विनिर्दिष्ट उपबंधों पर पुनर्विचार करें । और विशिष्टतया किन्हीं ऐसे संसाधनों के पुरःस्थापन की वांछनीयता पर विचार करें वह सन्देश के साथ या बिना संदेश के संसद को उस पर पुनर्विचार के लिए भेज सकता है। पर यदि दोबारा विधेयक को संसद द्वारा राष्ट्रपति के पास भेजा जाता है तो वह इसे अस्वीकृत नहीं करेगा।
अनुच्छेद 112
इस अनुच्छेद के अनुसार वार्षिक वित्तीय विवरण को बताया गया है।
(1)- इसमे राष्ट्रपति प्रत्येक वित्तीय वर्ष के संबंध में संसद के दोनों सदनों के समक्ष भारत सरकार की उस वर्ष के लिए प्राक्कलित प्राप्तियों और व्यय का विवरण रखवाएगा। जिसको ”वार्षिक वित्तीय विवरण” कहा गया है।
(2)- वार्षिक वित्तीय विवरण में दिए हुए व्यय के प्राक्कलनों इस प्रकार है।
(क)- इस संविधान में भारत की संचित निधि पर भारित व्यय के रूप में वर्णित व्यय की पूर्ति के लिए अपेक्षित राशियाँ इसमे सम्मिलित होती है।
(ख)- भारत की संचित निधि में से किए जाने के लिए प्रस्थापित अन्य व्यय की पूर्ति के लिए अपेक्षित राशियाँ जो कि पृथक-पृथक दिखाई जाएगी तथा राजस्व लेखे होने वाले व्यय का अन्य व्यय से भेद किया जाएगा।
(3)- निम्नलिखित व्यय भारत की संचित निधि पर भारित व्यय होगा-
(क)- राष्ट्रपति की उपलब्धियां तथा भत्ते तथा उसके पद से संबंधित अन्य व्यय जो हुआ है।
(ख)- राज्यसभा के सभापति और उपसभापति के तथा लोकसभा के अध्यक्ष और उपाध्यक्ष के वेतन और भत्ते आदि।
(ग)- ऐसे ऋण भार जिसका दायित्व भारत सरकार पर है। और जिनके अंतर्गत ब्याज, निक्षेप निधि भार और मोचन भार तथा उधार लेने और ऋण सेवा और ऋण मोचन से संबंधित अन्य व्यय हैं।
(घ)- उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीशों को या उनके संबंध में संदेय वेतन, भत्ते और पेंशन आदि का ब्योरा
फेडरल न्यायालय के न्यायाधीशों को या उसके संबंध में संदेह पेंशन आदि।
उस उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों को या उनके संबंध में दी जाने वाली पेंशन जो भारत के राज्यक्षेत्र के अंतर्गत किसी क्षेत्र के संबंध में का प्रयोग करता है या जो भारत डोमिनियन के राज्यपाल वाले प्रांत के अंतर्गत किसी क्षेत्र के संबंध में इस संविधान के प्रारंभ से पहले किसी भी समय का प्रयोग करता था।
(ङ)- भारत के नियंत्रक-महालेखापरीक्षक को या उसके संबंध में, संदेय वेतन, भत्ते और पेंशन आदि
(च)- किसी न्यायालय या माध्यम अधिकरण के निर्णय,व डिक्री या पंचाट की तुष्टि के लिए अपेक्षित राशियाँ
(छ)- कोई अन्य व्यय जो इस संविधान द्वारा या संसद के द्वारा, विधि द्वारा, इस प्रकार भारित घोषित किया जाता है।
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